झाबुआ

अणुवत्स संयतमुनिजी,मुनि मण्डल व साध्वी वृंद के सानिध्य में 20 जुलाई वर्षावास प्रारंभ दिवस पर जप तप से मनाया जाएगा चौमासी पर्व

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वर्षावास के प्रारंभिक दिवस से ही कई आराधक अपनी आराधना में रम जाएंगे


थांदला (वत्सल आचार्य) आचार्यश्री उमेशमुनिजी के सुशिष्य प्रवर्तकश्री जिनेंद्रमुनिजी के आज्ञानुवर्ती संयतमुनिजी,आदित्यमुनिजी,अमृतमुनिजी,अचलमुनिजी ठाणा 4 स्थानीय पौषध भवन पर एवं साध्वीश्री निखिलशीलाजी, दिव्यशीलाजी, प्रियशीलाजी एवं दीप्तिजी म. सा. आदि ठाणा-4 दौलत भवन पर वर्षावास हेतु विराजित हैं। शनिवार 20 जुलाई से चातुर्मास प्रारंभ हो रहा हैं। इस दिन चौमासी पर्व है। कई श्रावक-श्राविकाएँ इस दिन उपवास, आयंबिल, नीवी, एकासन, बियासन तप के अलावा प्रतिपूर्ण पौषध आदि विविध आराधना करेंगे।

आराधकों को विशेष इंतजार रहता हैं

श्रीसंघ के अध्यक्ष भरत भंसाली, सचिव प्रदीप गादिया और नवयुवक मंडल के अध्यक्ष रवि लोढ़ा ने बताया की वर्षावास को लेकर श्रीसंघ का प्रत्येक सदस्य अति उत्साहित हैं। वैसे तो वर्षावास आने का हर किसी को इंतजार रहता हैं। वहीं आराधना में रमने वाली आत्माओं को तो इसका बेसब्री से विशेष इंतजार रहता हैं। कई आराधक तप आदि करने का पूर्व से ही मन बना लेते हैं। वही ऐसे गुप्त आराधक भी हैं जो चातुर्मास प्रारंभ होने के पूर्व से ही अपनी तप आराधना प्रारंभ कर देते हैं। वर्षावास में एकासन, बियासन, आयंबिल, नीवी, उपवास, बेला, तेला, पचोला, अठ्ठाई, नौ उपवास, ग्यारह, सोलह, इक्कीस, मासक्षमण के अलावा विविध तप आराधनाएं होती हैं। साथ ही सिद्धितप, धर्मचक्र, मेरुतप, परदेशी राजा का तप, बेले-बेले, तेले-तेले, चौले- चौले, पचोले-पचोले, एकांतर एकासन, एकांतर उपवास आदि विभिन्न तपस्याएं होती हैं। यहाँ कई आराधकों की वर्षीतप की आराधना भी चल रही हैं। इसमें ऐसे भी आराधक हैं, जिनकी वर्षो से वर्षीतप की आराधना अविरत निर्बाध रूप से चल रही हैं। साथ ही कई आराधक निरंतर रात्रि संवर की आराधना भी करते हैं।

चार माह विभिन्न तप की लड़ियां चलेगी

संत सती मंडल की प्रेरणा से यहाँ वर्षावास प्रारंभ दिवस से ही विभिन्न तप की लड़ियां चलेगी। इसमें श्रावक-श्राविकाएँ और बच्चे भी उत्साहपूर्वक भाग लेकर आराधना करने का लाभ लेंगे। ज्ञान-आराधना के तहत जिन्हें सामायिक, प्रतिक्रमण, कल्याण मंदिर, थोकड़े आदि कंठस्थ नही हैं, वे कंठस्थ करेंगे और जिन्हें ये कंठस्थ हैं, वे संयमी आत्माओं की प्रेरणा एवं सानिध्य में अपनी ज्ञान-आराधना को आगे बढ़ाएंगे।वर्षावास के दौरान आने वाली महापुरुषों की पुण्यतिथि, जन्म जयंती, दीक्षा जयंती आदि जप-तप-त्याग-तपस्या से मनाई जाएगी। वर्षावास में ज्ञानवर्धक विभिन्न धार्मिक प्रतियोगिताएं भी आयोजित होंगी।

चौमासी प्रतिक्रमण का आयोजन होगा

चौमासी पर्व वर्ष में तीन बार आता है। एक चौमासी पर्व आषाढ़ माह में वर्षावास के प्रारंभ दिवस पर, दूसरा कार्तिक माह में वर्षावास पूर्ण दिवस पर एवं तीसरा फाल्गुन माह में फाल्गुनी चौमासी पर्व आता हैं। वर्षावास प्रारंभ दिवस पर चौमासी पर्व हैं। इस दिन शाम 7 : 15 बजे से पौषध भवन पर मुनिवृंद के सानिध्य में श्रावक वर्ग का एवं दौलत भवन पर साध्वी मंडल की निश्रा में श्राविका वर्ग का चौमासी प्रतिक्रमण होगा। चौमासी पर्व पर सामूहिक उपवास आदि विविध तप आराधना करने वाले समस्त तप आराधको के सामूहिक पारणे 21 जुलाई रविवार को स्थानीय महावीर भवन पर होंगे सामूहिक पारणे करवाने का लाभ नानालाल मंगलेश श्रीश्रीमाल परिवार ने लिया है।

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