सृष्टि की परमशक्ति के सान्निध्य का बोध करवाने वाला महापर्व गुरु पूर्णिमा को दर्शन, पूजन, आरती, प्रसाद का आयोजन होगा- राजेन्द्र अग्निहौत्री ।******** सरस्वती नंदन स्वामी गुरूद्वारा में धुमधाम से मनेगा गुरूपूर्णिमा उत्सव !
सृष्टि की परमशक्ति के सान्निध्य का बोध करवाने वाला महापर्व गुरु पूर्णिमा को दर्शन, पूजन, आरती, प्रसाद का आयोजन होगा- राजेन्द्र अग्निहौत्री ।
सरस्वती नंदन स्वामी गुरूद्वारा में धुमधाम से मनेगा गुरूपूर्णिमा उत्सव !
झाबुआ । आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को पद्मावती नदी के पावन तट पर स्थित श्री सरस्वती नंदन भजनाश्रम, वैकुंठधाम गुरुद्वारा पर श्री सरस्वतीनंदन जी महाराज के आश्रम में धूमधाम से गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा। श्री गुरुद्वारा सरस्वती नंदन भजनाश्रम के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद अग्निहौत्री ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गुरु को समर्पित गुरु पूर्णिमा रविवार को वैकुंठधाम गुरुद्वारा पर श्रद्धाभाव से मनाया जाएगा। भारतीय धर्म व साहित्य और संस्कृति में अनेक ऐसे उदाहरण हैं, जिनमें गुरु का महत्व प्रकट होता है। इसके अलावा कई शास्त्रों में श्लोकों के जरिये गुरु की महिमा और महत्व का वर्णन किया गया है। इसी कड़ी में श्री सरस्वती नंदन स्वामी भजनाश्रम धार्मिक न्यास, श्री गुरुद्वारा वैकुंठ धाम थांदला में हजारों गुरु भक्तों की उपस्थिति में गुरुपूर्णिमा उत्सव का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि सृष्टि की परमशक्ति के सान्निध्य का बोध करवाने वाला महापर्व गुरु पूर्णिमा रविवार को दर्शन, पूजन, आरती, प्रसाद का आयोजन होगा। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार शनिवार रात गुजरात व थांदला के भक्त मंडल द्वारा कीर्तन का संगीतमय आयोजन होगा।
उन्होने बताया कि इस सांसारिक जीवन में आध्यात्मिक उन्नति के लिए दीक्षा के गुरु का बड़ा महत्व है। गुरु का प्रकाश जीवन में संबल प्रदान करने वाला होता है पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन श्री वेदव्यास जी क्या पूजन सर्वप्रथम उनके पांच शिष्यों द्वारा किया गया था।
यह भी मानना है कि इस दिन वेदों के पुराने के रचयिता व्यास जी का जन्म भी हुआ था अतः उनकी जन्म जयंती को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। अन्य कई पौराणिक मान्यताएं हैं। जो वेद व्यास जी से जुड़ी हुई है।’’सनातन धर्म में गुरु को भगवान के समतुल्य माना जाता है प्रत्येक सनातनी व्यक्ति को किसी गुरु से दीक्षा लेना अनिवार्य माना जाता है।’
श्री अग्निहौत्री के अनुसार ’गुरु अपनी वाणी के द्वारा शिष्य से ब्रह्म संबंध अथवा आध्यात्मिक संबंध परम पिता परमात्मा से स्थापित करने के लिए गुरुमंत्र के रूप में दीक्षा देते है,। शिष्य उसे गुरु मंत्र को आधार बनाकर अपनी बुराइयों को दूर कर आध्यात्मिक चेतना को प्राप्त करते हैं। सनातन संस्कृति में माना जाता है की माता-पिता संस्कार को प्रदान करते हैं जबकि गुरु शिष्य को विद्या दान देकर उसके शून्य जीवन में पूर्णता को प्रदान करते हैं ताकि वह अपने ज्ञान के दीपक से समाज को दिशा दे सके।’अतः संपूर्ण भारत ही नहीं वरन विदेशों में निवासरत सनातनी भारतीय भी इस पर्व को अपनी आस्था के अनुरूप बड़ी धूमधाम से गुरु के समीप जाकर मानते हैं एवं गुरु का पद पूजन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।’
उन्होने बताया कि थांदला नगर में भी श्री सरस्वती नंदन स्वामी भजन आश्रम बैकुंठ धाम गुरुद्वारा थांदला में पूज्य गुरुदेव का आश्रम स्थित है, यहां पर महाराष्ट्र गुजरात राजस्थान एवं मान्य का स्थान से उनके अनुयाई आकर गुरु पूजन का लाभ लेते हैं।’ इस आश्रम में 21 जुलाई रविवार को गुरु पूर्णिमा उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाएगा गुरुद्वारा न्यास थांदला आश्रम के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद अग्निहोत्री ने बताया कि -’इस दिन प्रातः 5 बजे पूज्य गुरुदेव श्री सरस्वती नंदन स्वामी जी का महाअभिषेक किया जाएगा तत्पश्चात प्राप्त 8 बजे से उनका पाद पूजन आरंभ होगा एवं मध्यान्ह 12 बजे महा आरती होगी तथा महा आरती के पश्चात भोजन प्रसादी भंडारे का आयोजन भी किया गया है।
इस उत्सव में सम्मिलित सभी अतिथियों के लिए निवास हेतु प्रथक से व्यवस्था ट्रस्ट द्वारा की गई है। गुरु पूर्णिमा उत्सव के सफल आयोजन हेतु विभिन्न समितियां का गठन किया गया है,आश्रम प्रभारी भूदेव आचार्य के नेतृत्व में राजेंद्र प्रसाद अग्निहोत्री को न्यास के अध्यक्ष एवं श्रीरंग आचार्य एवं कंचनभाई पाटनवाडिया को उपाध्यक्ष भगवत प्रसाद शुक्ला कोषाध्यक्ष डॉक्टर जयाबेन पाठक सचिव दीपक आचार्य तुषार भट्ट संयोजक के साथ-साथ समिति में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में रमेन्द्र सोनी, वासुदेव सोनी, ओमप्रकाश बैरागी, सत्य प्रकाश परमार दिनेश चंद्र उपाध्याय जैसे सदस्यों को सम्मिलित कर उत्सव को सानंद मनाया जावेगा।’
श्री अग्निहोत्री ने समस्त सनातन प्रेमी गुरु भक्तों को इस कार्यक्रम में अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित होकर धर्म लाभ लेने की अपील की है ताकि वह अपने गुरु का आशीर्वाद प्राप्त कर अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सके।’