झाबुआ – श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ सभा द्वारा 265 वा स्थापना दिवस स्थानीय लक्ष्मी बाई मार्ग स्थित तेरापंथ सभा भवन पर जप, तप और भक्ति के साथ मनाया गया । कार्यक्रम में ज्ञानशाला बच्चों की प्रस्तुति, ड्राइंग कंपटीशन अंतर्गत पुरस्कार वितरण , मंत्र दीक्षा, ज्ञानशाला प्रशिक्षिका का सम्मान आदि कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
रविवार रात्रि 8:00 बजे तेरापंथ सभा भवन पर 265 वा स्थापना दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया गया । नमस्कार महामंत्र के जप के साथ, मंगलाचरण की प्रस्तुति दीपा गादीया ने दी । तेरापंथ सभा अध्यक्ष मितेश गादिया द्वारा शब्दों के माध्यम से उपस्थित जनों का अभिवादन किया गया तथा स्थापना दिवस को लेकर जानकारी साझा करते हुए बताया कि तेरापंथ धर्मसंघ आचार्य भिक्षु द्वारा स्थापित अध्यात्म प्रधान धर्मसंघ है, जिसकी स्थापना विक्रम संवत 1817 (29 जून 1760) को हुई थी। आज से 265 वर्ष पूर्व आचार्य भिक्षु ने केलवा ( राजस्थान )की अंधेरी ओरी में तेरापंथ धर्म की स्थापना की थी। प्रारम्भ में इस धर्मसंघ में तेरह साधु तथा तेरह ही श्रावक थे, इसलिए इसका नाम ‘तेरापंथ’ पड़ गया। संस्थापक आचार्य श्री भिक्षु ने उस नाम को स्वीकार करते हुए उसका अर्थ किया -‘हे प्रभो ! यह तेरापंथ है। तेरापंथ जैन धर्म का एक अत्यंत तेजस्वी और सक्षम संप्रदाय है। आचार्य भिक्षु इसके प्रथम आचार्य थे। इसके बाद क्रमश: दस आचार्य हुए। इसे अनन्य ओजस्विता प्रदान की, चतुर्थ आचार्य जयाचार्य ने और नए-नए आयामों से उन्नति के शिखर पर ले जाने का कार्य किया , नौवें आचार्य श्री तुलसी ने। उन्होंने अनेक क्रांतिकारी कदम उठाकर इसे सभी जैन संप्रदायों में एक वर्चस्वी संप्रदाय बना दिया। दशवें आचार्य श्री महाप्रज्ञ ने इस धर्मसंघ को विश्व क्षितिज पर प्रतिष्ठित किया और ग्यारहवें आचार्य श्री महाश्रमण इसे व्यापक फलक प्रदान कर जन-मानस पर प्रतिष्ठित कर रहे हैं। तेरापंथ का अपना संगठन है, अपना अनुशासन है, अपनी मर्यादा है । यह भी बताया कि आज इसी धर्मसंघ के सभी साधु-साध्वियां आचार्य महाश्रमण की एक आज्ञा से देश व विदेश में नैतिकता, सद्भभावना एवं नशा मुक्ति का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं ।
उद्बोधन पश्चात बच्चों के मंत्र दीक्षा कार्यक्रम का आयोजन किया गया , जिसके अंतर्गत ज्ञानशाला प्रशिक्षिका हंसा गादीया और दीपा गादीया द्वारा बच्चों को ….अपने बड़ों का आदर करने , व्यसन मुक्त जीवन जीने , किसी भी तरह का नशा नहीं करने और अनावश्यक रूप से मोबाइल का उपयोग नहीं करने आदि संकल्प कराए गए । इसके पश्चात बच्चों द्वारा सुंदर नृत्य प्रस्तुति दी गई , जिसकी सराहना उपस्थित समाजजन ने की । श्रीमती रसना भंडारी द्वारा भी गीतिका के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्ति तथा दीपा गादीया द्धारा भी गीतिका का संगान किया गया । तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष पुखराज चौधरी द्वारा भी तेरापंथ के गौरवशाली इतिहास का वर्णन किया गया तथा धर्मसंघ के सिद्धांतो , एक आचार , एक विचार और एक आचार्य की आज्ञा ही सर्वोपरि है का विश्लेषण किया । समाज के संरक्षक राजेंद्र चौधरी ने भी विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आचार्य भिक्षु एक दूरदृष्टा संत थे। उन्होंने जैन धर्म में आई शिथिलताओं पर प्रहार किया और एक गुरु और एक विधान के सिद्धांत को प्रतिपादित किया । उन्होंने कहा कि तेरापंथ धर्म संघ एक मर्यादित धर्मसंघ है। 265 वर्ष पूर्व आचार्य भिक्षु ने जिन मर्यादाओं का निर्माण किया वह आज भी प्रतिष्ठित है। तेरापंथ धर्मसंघ के साधु-साध्विया जीवन भर पदयात्रा करते हुए स्व-कल्याण के साथ जनता को उपदेश देकर मानवता का संदेश देते है । इसके पश्चात ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका हंसा गादीया द्वारा समण संस्कृति संकाय ( शाखा – जैन विश्व भारती, लाडनूं , राजस्थान ) द्वारा संचालित जैन विद्या की परीक्षा भाग 1 से 9 तक उत्तीर्ण करने पर , श्रीमती उषा कांसवा व वर्षो कोठारी द्बारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया तथा उनकी इस उपलब्धि पर सर्व समाज ने उनकी प्रशंसा भी की । इसके पश्चात समाज द्वारा निष्पादित ड्राइंग कंपटीशन में भाग लेने पर सभी बच्चों को पुरस्कार दिए गए । कार्यक्रम अंतर्गत सामूहिक रूप से जाप भी किए गया । कार्यक्रम के अंत में समाजजनों ने खड़े होकर संघ गीत का संगान किया । कार्यक्रम का सफल संचालन मितेश गादीया ने किया व आभार राजेंद्र चौधरी ने माना ।