झाबुआ

शासकीय मॉडल स्कूल भवन निर्माण कार्य कल्याणपूरा की निविदा प्रक्रिया में ठेकेदार द्वारा तथ्यों को छुपाने को लेकर, शिकायत के बाद जांच हुई शुरू

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झाबुआ – जिले में पीडब्ल्यूडी पीआईयु विभाग द्वारा भवन निर्माण कार्य की गुणवत्ता और ठेकेदार द्बारा निविदा प्रक्रिया में तथ्यों को छुपाने को लेकर पूर्व में शिकायत हुई ।  शिकायतकर्ता द्वारा तथ्यों व सबूतों के आधार पर मुख्यमंत्री कार्यालय, लोक निर्माण मंत्री ,प्रमुख सचिव,  अपर सचिव,  प्रमुख अभियंता को लिखित शिकायत मॉडल स्कूल भवन निर्माण कार्य कल्याणपूरा की निविदा प्रक्रिया को  लेकर शिकायत की गई थी इसके अलावा दो अन्य आवेदकों ने भवन निर्माण कार्य में दरारें और निविदा प्रक्रिया में ठेकेदार को आर्थिक लाभ पहुंचाने को लेकर भी प्रधानमंत्री कार्यालय , मुख्यमंत्री कार्यालय,  लोक निर्माण विभाग मंत्री कार्यालय व लोकायुक्त कार्यालय को इसकी शिकायत की थी । शिकायत  के बाद अब जांच संबंधित विभाग को ही दी गई है और जांच शुरू हुई है ।

जानकारी अनुसार पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा निविदा क्रमांक 2023-PWPIU-303966_1  मॉडल स्कूल भवन निर्माण कार्य कल्याणपूरा (सीएमराइस स्कूल अंतर्गत) की निविदा प्रक्रिया आमंत्रित की गई  । निविदा प्रक्रिया में अजय अग्रवाल द्वारा L1 पर रहे । लेकिन अजय अग्रवाल द्वारा बीड कैपेसिटी में दूसरे विभागों में चल रहे कार्यों की जानकारी छुपाई गई । जबकि ठेकेदार द्वारा ₹100 के शपथ पत्र पर नोटरी करके दी जाती है कि निविदा में दी गई संपूर्ण जानकारी सत्य है । लेकिन शिकायतकर्ता राधेश्याम कृष्णलाल पटेल ने आरोप लगाया है कि ठेकेदार अजय अग्रवाल द्बारा निविदा 303966-1 में  दूसरे विभागों में चल निर्माण कार्य की जानकारी नहीं दी है । उनके द्वारा नेशनल प्रोजेक्ट्स निर्माण निगम लिमिटेड विभाग की निविदा क्रमांक 2022-एनपीसीसी-119073-1 की जानकारी छुपाई  ।जो संभवत पूर्ण नहीं हुआ । निविदा क्रमांक 2023-PWPIU_301810_1 बैतूल , निविदा क्रमांक -MPBDC _248459-1 तिरला जिला धार की जानकारी भी छुपाई गई ।  शिकायतकर्ता का कहना है कि उपरोक्त सभी कार्य L 1 रहे  अजय अग्रवाल द्वारा एक्जिस्टिंग कमिटमेंट्स में नहीं बताए गए । जिसके द्वारा प्रस्तुत बीड कैपेसिटी में एवं विभाग को ₹100 के शपथ पत्र दी जाए जानकारी CORRUPT PRACTICE की श्रेणी में आती है शिकायतकर्ता द्वारा पूर्व में मुख्य अभियंता भवन इंदौर को इस संबंध में सूचित किया चुका जा चुका था लेकिन उन्होंने इस शिकायत को नजरअंदाज करते हुए फाइनेंसियल बीड एक्सेप्ट की जाकर , ठेकेदार को कार्य अलर्ट करने हेतु आगामी कार्य की गई । शिकायतकर्ता द्बारा  एक अन्य निविदा का उदाहरण भी देते हुए बताया कि पूर्व में निविदा क्रमांक 2023-PWPIU-310354-1 शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल भवन निर्माण,  रजला जिला झाबुआ , की निविदा प्रक्रिया को  निरस्त किया जाकर पुनः निविदा आमंत्रित की गई थी । लेकिन इस निविदा प्रक्रिया को निरस्त नहीं करते हुए ठेकेदार द्वारा निविदा में तथ्यों को छुपाने के बाद भी कार्य अलर्ट किया गया । वही शिकायत के बाद कार्यालय मुख्य अभियंता, लोक निर्माण विभाग इंदौर द्बारा 19 जुलाई को पत्र लिखकर शिकायतकर्ता को अपना अभिमत देने की बात कही । वही शिकायतकर्ता द्वारा ईमेल के माध्यम से अपना जवाब प्रस्तुत किया गया और बताया गया कि आपके कार्यालय द्वारा लोकायुक्त इंदौर को इस शिकायत में बयान दिया गया कि ठेकेदार अजय अग्रवाल द्वारा छुपाए गए कार्य की शिकायत प्राप्त होने के बाद, उनकी फाइनेंसियल बीड में से जो कार्य उनके द्वारा छुपाए गए हैं उसकी वैल्यू हटाने के बाद ठेकेदार की फाइनेंसियल बीड रहती है ।तो विभाग यह बताने का कष्ट करें कि क्या विभाग द्वारा कोई ऐसा आदेश या सर्कुलर है कि आपके द्वारा किसी ठेकेदार की निविदा में गलत जानकारी देने पर या अधूरी जानकारी देने पर, छुपाए गए कार्य की गणना की जा सके । जानकारी छुपाना करप्ट प्रैक्टिस की श्रेणी में आता है । लेकिन इसके बाद भी आपके विभाग द्वारा कार्य अलार्ट किया गया । शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि इंदौर जिले में स्कीम नंबर 140 में हाई कोर्ट निर्माण में भी ठेकेदार द्वारा गलत जानकारी प्रस्तुत की गई थी जिसमें संभवत ठेकेदार को जेल भी हुई थी । शिकायतकर्ता द्वारा ई- मेल के माध्यम से संपूर्ण दस्तावेज का पीडीएफ बनाकर जवाब के रूप में दिया गया । इसके अलावा दो अन्य शिकायतकर्ताओं ने भी प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय , लोक निर्माण मंत्री कार्यालय और लोकायुक्त कार्यालय में इस विभाग की कार्यप्रणाली को लेकर शिकायत की है वही एक और अन्य आवेदक ने भी सीएम हेल्पलाइन पर भी इस निविदा प्रक्रिया को लेकर शिकायत दर्ज कराई है लेकिन पीडब्ल्यूडी पीआईयूं विभाग द्वारा इस शिकायत को देखा तक नहीं गया है और अब यह शिकायत L 2 पर पहुंच गई है । सबसे बड़े दिलचस्प बात यह है कि इस विभाग की शिकायत की जांच ही संभागीय कार्यालय को दी गई है जिससे जांच प्रभावित होने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता है । आने वाले दिनों में देखना यह दिलचस्प होगा कि इस विभाग की शिकायत , इस विभाग के आला अधिकारी को ही दी गई है शिकायत व जांच में क्या कारर्वाई होती है यह जांच का विषय है । शिकायतकर्ताओं का कहना है कि यदि विभाग द्वारा निष्पक्ष रूप से जांच नहीं किए जाने पर , न्यायालय की शरण में जाने की बात भी कही है ।

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