झाबुआ – पुलिस लाईन झाबुआ स्थित सामुदायिक भवन में राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) के निर्माण एवं महत्ता के संबंध में रविवार को सम्मेलन आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप “पद्म श्री” रमेश परमार एवं श्रीमती शांति परमार , श्रीमती सरला शुक्ला पति शहीद – स्व. श्री बाबुशंकर शुक्ला , साहित्यकार एवं इतिहास विद से.नि. प्राध्यापक के.के. त्रिवेदी को भी आमंत्रित किया गया । कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों को पुलिस अधीक्षक पद्मविलोचन शुक्ल, अति. पुलिस अधीक्षक प्रेमलाल कुर्वे , एसडीओपी रूपरेखा यादव एवं अन्य अधिकारियों द्वारा आमंत्रित अतिथियों का अभिनंदन किया गया।
राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) के निर्माण का इतिहास एवं महत्ता के संबंध में जानकारी देने हेतु मुख्य वक्ता के रूप में सेवा निवृत्त उप पुलिस अधीक्षक रवि अतरोलिया को आमंत्रित किया गया । सेवा निवृत्त उप पुलिस अधीक्षक रवि अतरोलिया द्वारा राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) के निर्माण एवं महत्ता के बारे में बताते हुए राष्ट्रीय ध्वज के गौरव व सम्मान के बारे में बताया गया। ध्वज के तीनों रंगों (केसरिया, सफेद व हरा) व अशोक चक्र के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास, राष्ट्रीय ध्वज का निर्धारित माप, तिरंगा फहराने के नियम, राष्ट्रीय ध्वज का डिजाइन, राष्ट्रीय ध्वज का विकास, राष्ट्रीय ध्वज के अमानक होने पर उसकी पहचान कैसे करे, राष्ट्रीय ध्वज के मानक स्वरूप व इसको कैसे रखा जाना चाहिये इसके सम्मान बारे में जानकारी दी गई। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराते समय क्या-क्या दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिये, इसके बारे में जानकारी दी गई। राष्ट्रीय ध्वज देश के गौरव का प्रतीक है। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे झंडे की आन-बान-शान को बरकरार रखने के लिए देश के कई जवान अपने प्राणों की आहुति दे चुके है । श्री अतरोलिया ने राष्ट्रीय ध्वज को लेकर विशेष रूप से ध्यान रखने योग्य बातें बताई……
आपको बता दें कि तिरंगा फहराने के भी कुछ नियम हैं।
1- अभी तक झंडा हाथ से काते और बुने गए ऊनी, सूती, सिल्क या खादी से बना होना चाहिए। मगर अब सरकार ने इसमें संशोधन कर दिया है। यानी अब पॉलिएस्टर और मशीन से बने राष्ट्रीय ध्वज का भी उपयोग किया जा सकता है मानक स्तर को ध्यान में रखते हुए ।
2- झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का होना चाहिए। केसरिया रंग को नीचे की तरफ करके झंडा लगाया या फहराया नहीं जा सकता।
3- भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार पहले केवल सूर्योदय के बाद राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता था, लेकिन इस नियम में संशोधन कर दिया गया है. तिरंगा अब दिन के 24 घंटों में किसी भी समय देश में किसी भी व्यक्ति के घर पर प्रदर्शित किया जा सकता है. नए नियम में कहा गया है तिरंगा दिन-रात फहराया जा सकता है । मानक स्तर को छोड़कर ।
4.झंडे को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जा सकता। झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराया जाएगा, सिवाय उन मौकों के जब सरकारी इमारतों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराने के आदेश जारी किए गए हों।
5- झंडे को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता। किसी भी तरह फिजिकल डैमेज नहीं पहुंचा सकते। झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करना अपराध की क्षेणी में आता है ।
6- झंडे का कर्मशियलल इस्तेमाल नहीं कर सकते। किसी को सलामी देने के लिए झंडे को झुकाया नहीं जाएगा। अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसका वस्त्र बना देता हो, मूर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अलावा) के शव पर डालता हो, तो इसे तिरंगे का अपमान माना जाएगा।
7- तिरंगे की यूनिफॉर्म बनाकर पहनना गलत है। अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगे को कपड़ा बनाकर पहनता हो तो यह भी अपमान है। तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
8- झंडे पर किसी तरह के अक्षर नहीं लिखे जाएंगे। खास मौकों और राष्ट्रीय दिवसों जैसे गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडा फहराए जाने से पहले उसमें फूलों की पंखुड़ियां रखने में कोई आपत्ति नहीं है।
9- किसी कार्यक्रम में वक्ता की मेज को ढकने या मंच को सजाने में झंडे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। गाड़ी, रेलगाड़ी या वायुयान की छत, बगल या पीछे के हिस्से को ढकने में यूज नहीं कर सकते। झंडे का इस्तेमाल किसी इमारत में पर्दा लगाने के लिए नहीं किया जा सकता।
10- फहराए गए झंडे की स्थिति सम्मानजनक बरकरार होनी चाहिए। फटा या मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए। झंडा फट जाए, मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से पूरी तरह नष्ट कर दिया जाए।
11- यदि झंडे को किसी मंच पर फहराया जाता है, तो उसे इस प्रकार लगाया जाना चाहिए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उसके दाहिनी ओर रहे। एक तरीका यह भी है कि झंडे को वक्ता के पीछे दीवार के साथ और उससे ऊपर लेटी हुई स्थिति में प्रदर्शित किया जाए।
12- किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर नहीं लगाया जा सकता। इसके अलावा, फूल, माला, प्रतीक या अन्य कोई वस्तु झंडे के पोल के ऊपर रखी जाए।
पुलिस अधीक्षक झाबुआ पद्मविलोचन शुक्ल ने भी राष्ट्रीय ध्वज (तिरंगा) के निर्माण एवं महत्ता के बारे में बताया गया व तत्कालीन चौकी प्रभारी कुन्दनपुर शहीद – स्व. श्री बाबुशंकर शुक्ला के बारे में वृतांत बताया गया व उनकी पत्नी श्रीमती सरला शुक्ला को शाल एवं श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के अंत में साहित्यकार एवं इतिहास विद से.नि. प्राध्यापक के.के. त्रिवेदी द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने की शपथ दिलाई गई। कार्यक्रम का समापन राष्ट्र गान से हुआ।