झाबुआ

गायत्री स्व सहायता समूह से जुड़कर दितुडी दीदी के जीवन में आया आर्थिक परिवर्तन*

*दितुड़ी बाई ने मुख्यमंत्री और प्रदेश की सरकार को दिया धन्यवाद*

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*सफलता की कहानी*

*गायत्री स्व सहायता समूह से जुड़कर दितुडी दीदी के जीवन में आया आर्थिक परिवर्तन*

*दितुड़ी बाई ने मुख्यमंत्री और प्रदेश की सरकार को दिया धन्यवाद*

        झाबुआ 12 अगस्त, 2024। दितुड़ी बाई की शादी पेटलावद ब्लॉक के बोडायता पंचायत के महुड़ीपाड़ा गाँव में प्रभुलाल डिन्डोर से हुई, शादी होने के बाद ससुराल में परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण दितुड़ी बाई को अपने पति के साथ घर खर्च चलाने के लिए मजदूरी का कार्य करना पड़ता था लेकिन नियमित स्थायी रोजगार नहीं होने की वजह से बहुत बार पलायन करके मजदूरी करने जाना पड़ता था, जिससे बच्चो की पढाई एवं पालन-पोषण में दिक्कत का सामना करना पड़ता था, दितुड़ी बाई अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देना चाहती थी वे अपने बच्चों की पढाई को लेकर हमेशा चिंतित रहती थी और इस तरह गरीबी की स्थिति में परेशानी में घर का गुजारा चल रहा था।
*समूह से जुड़ाव :-*
         दितुड़ी बाई को एक दिन पंचायत की ग्राम सभा के माध्यम से आजीविका मिशन के तहत बनाए जा रहे स्वयं सहायता समूह के बारे में पता चला तब उन्होंने समूह के बारे में पूरी जानकारी ली और समूह के महत्त्व व समूह से होने वाले फायदे के बारे में जाना, फिर अपने फलिए की महिलाओ से बात कर समूह से जुड़ने और समूह की उपयोगिता के बारे में बताया और 10 दीदियों ने मिलकर गायत्री स्वयं सहायता समूह का गठन किया एवं साप्ताहिक बचत करने का निर्णय लिया और अपने समूह का खाता मध्यप्रदेश ग्रामीण बैंक शाखा सारंगी में खुलवाया व समूह की बचत को बैंक में जमा करना शुरू किया। समूह के बेहतर संचालन और नियमित दस्तावेजीकरण होने पर समूह को आजीविका मिशन द्वारा 10000 रुपये का रिवॉल्विंग फण्ड (अनुदान राशि) प्राप्त हुआ। 
*गतिविधि एवं वर्तमान स्थिति :-*
          दितुड़ी बाई शुरुआत से ही अपने समूह में सक्रिय एवं जागरूक सदस्य रही है , दितुड़ी बाई ने समूह से जुड़ने के बाद अपना स्वयं का रोजगार शुरू करने की ठानी और समूह से 25 हज़ार रुपये लोन लेकर अपने गाँव में ही कंगन स्टोर की दुकान खोली और दुकान चलाना शुरू किया। धीरे–धीरे दुकान से अच्छी आय होने लगी फिर अपनी दुकान में चप्पल–जुते का सामान भी रखना शुरू किया और दुकान को बड़ा किया। अब दुकान चलाने में दितुड़ी बाई के पति ने भी सहयोग किया और दोनों ने इसके साथ ही गाँव के आस पास लगने वाले हाट–बाजार में भी दुकान लगाई और अपनी दुकान से दितुड़ी बाई की मासिक आय 12000 रूपये तक होने लगी। दितुड़ी बाई ने अपनी कमाई से समूह से लिया सारा ऋण समूह को चुकता कर दिया। दितुड़ी बाई को अब मजूदरी करने नहीं जाना पड़ता है, वर्तमान में दितुड़ी बाई अपनी आजीविका गतिविधियों से अच्छी कमाई कर रही है और इस तरह से दितुड़ी बाई ने अपनी मेहनत एवं हिम्मत के साथ अपने परिवार को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया है। अपने बच्चों को भी अच्छे स्कूल में पढ़ा रही है उन्हें बच्चों की शिक्षा की कोई चिंता नहीं है, उनके बच्चो को अब बेहतर शिक्षा मिल रही है।
*समूह से जुड़कर जीवन में आये परिवर्तन :-*
            दितुड़ी बाई ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को धन्यवाद देते हुए बताया कि समूह से जुड़कर दितुड़ी बाई ने अपने साथ – साथ गाँव की महिलाओं को भी जागरूक किया। समूह के होने से गाँव वालो का पलायन पर जाना कम हो गया है और समूह की दीदियाँ समूह से कम ब्याज पर लोन लेकर अपना व्यवसाय स्वयं शुरू कर रही है। दितुड़ी बाई ने समूह से जुड़ने के बाद अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार किया एवं अपने परिवार को आत्मनिर्भर बनाया है।

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