भगवान की कृपा होने पर ही भागवत कथा सुनने का अवसर मिलता है -पं. अनुपानंदजी महाराज ।********* श्री विश्व शांति नवग्रह शनि मंदिर परिसर में श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन बही धर्म एवं आस्था की गंगा ।
भगवान की कृपा होने पर ही भागवत कथा सुनने का अवसर मिलता है -पं. अनुपानंदजी महाराज ।
श्री विश्व शांति नवग्रह शनि मंदिर परिसर में श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन बही धर्म एवं आस्था की गंगा ।
झाबुआ। श्री पद्मवंशीय मेवाडा राठौर तेली समाज द्वारा स्थानीय श्री विश्व शांति नवग्रह शनि मंदिर परिसर में 12 से 18 सितंबर तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के प्रथम दिन व्यास पीठ पर विराजमान श्रीमद् भागवत कथा के सरस प्रवक्ता कानपुर उत्तरप्रदेश से पधारे पं. अनुपानंदजी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा देवताओं को भी दुर्लभ है। यह भागवत की कथा भगवान की कृपा से प्राप्त हो पाती है। यह भागवत की कथा भगवान की कृपा से प्राप्त हो पाती है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत की कथा भगवान की प्राप्ति कराने वाली है। यह कथा मृत्यु के भय को दूर करके भगवान की और आगे बढ़ाती है और भक्ति के साथ-साथ हमारे ज्ञान वैराग्य को बल देती है। श्रीमद्भागवत की कथा सात दिन का एक ऐसा आयोजन है। जिसमें सात सौपान है जिनके माध्यम से एक.एक करके हम प्रत्येक सोपान पर बढ़ते जाते हैं। अंत में अपने जीवन का लक्ष्य जान जाते हैं श्रीमद्भागवत में भक्तों की ऐसी दिव्य कथाएं हैं जिनको सुनकर हृदय में भक्ति का उदय होता है और साथ ही साथ मनुष्य के जीवन में सुधार होता है। वह मनुष्य अपना जीवन तभी पूर्ण कर सकता है जब वह भगवान की भक्ति करेगा।
पण्डित अनुपानन्दजी ने श्रीमद्भागवत में गोकर्ण और धुंधकारी के प्रसंग सुनाते हुए कहा कि अधिकारी ने बांस में बैठकर पूरा चिंतन करके श्रीमद्भागवत की कथा सुनी इसलिए उसकी मुक्ति हो गई। कथा को सुनने से ही कल्याण नहीं होगा इस पर चिंतन करना आवश्यक है। जितनी भी अच्छी बातें हैं वह संसार में लिखी जा चुकी है। अब केवल बचा है उनको पालन करना। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से मानव का जीवन सफल होता है। मानव को अपने जीवन में सरलता लानी चाहिए। यदि मानव के जीवन में सरलता होगी, तभी वह आगे बढ़ सकेगा।
श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन उन्होनेे कहा कि जिस तरह वर्तमान समय में हर व्यक्ति को आधार की जरूरत होती है, ऐसे ही जीवन सफल बनाने के लिए श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करना आवश्यक है।
लाभार्थी परिवार का किया स्वागत
श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन के लाभार्थी परिवार का कथा के अंत में स्वागत किया गया। लाभार्थी चंद्रकला शंकरलाल गोलानिया को गमछा और पुत्र राघेश्याम शंकरलाल गोलानिया को गले में गमछा व साफा बांधकर तथा श्रीफल भेटकर समाज के अध्यक्ष रामचंद्र राठौर तथा समाज के वरिष्ठ सदस्य नंदलाल धुलजी राठौर द्वारा प्रतिक चिन्ह देकर लाभार्थी परिवार का स्वागत किया गया। स्वागत समारोह के पश्चात लाभार्थी परिवार द्वारा भागवतजी की आरती कर प्रसादी का वितरण किया।