झाबुआ

सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने पलाश के पत्तो से निर्मित दोना पत्तल रंभापुर चौकी प्रभारी को प्रदान किए।

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थांदला (वत्सल आचार्य की रिपोर्ट) –  सेवा भारती शक्ति केंद्र घोसलिया द्वारा पलाश के पत्तो से दोना पत्तल बनाए जा रहे है। सेवा भारती की इस मुहिम को अब समाज के साथ पुलिस प्रशासन भी सपोर्ट कर रहा है। बिसलपुर में पुलिस विभाग की ग्राम सुरक्षा की बैठक होना है। जब रंभापुर चौकी प्रभारी गौड़ सर को पता चला । की सेवा भारती के बड़ा घोसालिया प्रकल्प पर पलाश के पत्तो से निर्मित दोना पत्तल बनाये जाते है। तो उन्होंने सेवा भारती से संपर्क कर बताया कि बिसलपुर में बैठक पश्चात भोजन भी है। और हम भी चाहते है। कि वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा मिले। इसी उद्देश्य से हम लोगो को देशी दोना पत्तल में भोजन कराना चाहते है। और सेवा भारती जो कार्य कर रही है। वो बहुत ही सराहनीय है। आज सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने चौकी कार्यालय पर पहुंच कर चौकी प्रभारी गौड़ सर को पलाश के पत्तो से निर्मित दोना पत्तल प्रदान किए। गौड़ सर ने बताया कि मेघनगर के जंगलों में पलाश के पत्ते बहुतायत में पाए जाते हैं, जिनसे दोना पत्तल बनाया जाते थे। कुछ वर्षों से कागज तथा प्लास्टिक से बने दोना पत्तों ने इन देशी दोना पत्तलों के बाजार को समाप्त ही कर दिया है। कागज तथा प्लास्टिक से बने दोना पत्तल सस्ते जरूर होते हैं, लेकिन इनमें भोजन करना स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है बावजूद इसके लोग धड़ल्ले से इनका उपयोग कर रहे हैं।
पहले विवाह, जन्मोत्सव सहित अन्य कार्यक्रम के आयोजन पर देशी पत्तलों में ही भोजन कराने का प्रचलन था लेकिन अब इनका स्थान कागज तथा प्लास्टिक के दोना पत्तलों ने ले लिया है। कागज तथा प्लास्टिक के दोना पत्तलों का उपयोग करने से पहले इन्हें पानी से साफ भी नहीं किया जा सकता। कई बार इनसे संक्रमण का खतरा बना रहता है। सिल्वर प्लेट थाली सुंदर जरूर दिखती है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इसे बनाते समय कैमिकल मिलाया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। जबकि सरई , पलाश , महुआ के पत्तों से बने देशी पत्तल शुद्घ होते हैं तथा इन्हें भोजन करने से पहले पानी से धोया भी जा सकता है। उक्त जानकारी सेवा भारती के जिला सचिव जीतेन्द्र राठौड़ ने प्रदान की ।

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