झाबुआ

सरिया और सीमेंट के बढ़ते दामों से घर बनाने का सपना हुआ महंगा

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झाबुआ – देश में महंगाई का दौर बढ़ता जा रहा है चाहे वह खाद्य वस्तु हो , चाहे फल फ्रूट सब्जी हो या फिर भवन निर्माण के लिए सरिया या सीमेंट हो । व्यापार हो या नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धा अपने उच्चतम स्तर पर है तथा प्रतिस्पर्धा के कारण आय के स्रोत सीमित है । इसलिए मध्यम वर्गीय परिवार के लिए, महंगाई एक बड़ी समस्या है । बढ़ती महंगाई के कारण आमजनों को जीवन बसर करने में काफी दिक्कतें और कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है । कई बार बढ़ती मंहगाई के कारण निजी तौर पर लोन लेकर भी आमजन अपने घर की समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास कर रहे हैं । वही हम बात करें भवन निर्माण को लेकर , तो सरिया और सीमेंट में अप्रत्याशित बढ़ोतरी से भवन निर्माण को लेकर आमजन काफी परेशान है और इस कारण उनका भवन निर्माण को लेकर बजट भी बिगड़ रहा है । वहीं बैंकों से लिए जा रहे लोन राशि भी, बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ रहा है क्योंकि महंगाई के कारण भवन निर्माण की लागत बढ़ रही है । या फिर मकान मालिक को अपना कंस्ट्रक्शन एरिया कम करना पड़ रहा है । यदि हम बात करें सरिया की तो सरीयो के दामों में करीब 500 से ₹600 प्रति क्विंटल या 5000 से 6000 रुपए प्रति टन बढ़ चुका है।‌ यदि हम एक माह पूर्व की बात करें , तो यह सरिया रायपूर, जालना का भाव करीब 5000 से 5100 प्रति क्विंटल था जो अब बढ़कर ₹5500 -5600 आसपास आ चुका है । वहीं इंदौर के पीथमपुर क्षेत्र की बात करें , तो यहां एक सरीया कंपनी द्वारा सरिया के दाम बढ़ाने से अन्य कंपनियां ने भी अपने दाम बढ़ा दिए है । जबकि बाजारों में इसकी मांग को लेकर कोई खासी बढ़ोतरी देखने को नहीं मिल रही है । जानकारों का कहना है कि सभी कंपनियां सिंडिकेट बनाकर काम कर रही है और बाजारों में अपना सामग्री मनमाने दामों में बेचने का प्रयास कर रही है । चूंकि सभी कंपनियां एक साथ दामों में तेजी लाती है तो बाजारों में अप्रत्याशित तेजी देखने को मिलेगी । एक तरफ सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ प्रदान कर रही है तो दूसरी तरफ इन सरिया और सीमेंट कंपनियों ने दामों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी से यह आवास योजना का सपना धीरे-धीरे महंगा होता जा रहा है । वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इन सरिया और सीमेंट के बढ़ते दामों से , ग्रामीण इस योजना में रूचि नहीं ले रहे है या फिर ग्रामीण जन का कहना है कि एक तरफ योजना का लाभ है तो दूसरी तरफ महंगाई की मार है । वही यदि हम सीमेंट की बात करें तो जो सीमेंट पिछले दो माह पूर्व 330 से 340 प्रति बैग के हिसाब से उपलब्ध हो रही थी आज वह 350 से 360 रुपए के हिसाब से उपलब्ध हो रही है । वहीं कई कंपनियों ने इन दामों में और तेजी को लेकर अपने डीलर को सूचना दी है। यदि इस सूचना पर विश्वास किया जाए , तो आने वाले समय में यह सीमेंट 380 से 390 प्रति बैग के हिसाब से बाजार में उपलब्ध होगी । केंद्र सरकार या राज्य सरकार देश में विकास के लिए प्रतिबद्ध है और लगातार प्रयास भी कर रही है और विकास नजर भी आ रहा है लेकिन इन सरिया और सीमेंट कंपनी के द्वारा सिंडिकेट बनाकर दामों में तेजी लाकर निजी तौर पर आमजनो का विकास अवरुद्ध किया जा रहा है । जिसको लेकर सरकार को मंथन करने की आवश्यकता है विशेष रूप से भाजपा सरकार को इस और ध्यान देना होगा और निजी कंपनियों की मनमानी को लेकर चिंतन करना होगा । वही समय रहते यदि भवन निर्माण सामग्री को लेकर, जो महंगाई बाजार में बढ़ती जारही है उसे पर कोई कंट्रोल नहीं किया गया , तो आने वाले समय में मध्यम वर्गीय परिवार के लिए,  कहीं घर एक सपना बनकर न‌रह जाए । क्या बीजेपी इस और मंथन करेगी…..?

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