झाबुआ

वन विभाग द्वारा फेंसिग मटेरियल खरीदी निविदा में विशेष फर्मो को लाभ देने के लिए विशेष शर्तों का उल्लेख किया गया ,संपूर्ण निविदा प्रक्रिया जांच का विषय……

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झाबुआ – वन विभाग झाबुआ द्वारा कई वर्षों से विभाग में फर्म विशेष को आर्थिक लाभ पहुंचाने की प्रक्रिया निष्पादित की जा रही है इस हेतु विभाग द्वारा कई बार निविदा प्रक्रिया भी अपना गई , जिसमें विशेष शर्तों का उल्लेख किया गया, जिससे विशेष फर्मों ही निविदा में पात्रता की श्रेणी में आती है और इस प्रकार आर्थिक लाभ पहुंचाया जाता है । जहां एक तरफ झाबुआ कलेक्टर वोकल फोर लोकल को तवज्जो दे रही है।  वहीं वन विभाग निविदा में माफियाओं को संरक्षण देने का प्रयास कर रहा है । किसी भी विभाग द्वारा यदि सामग्री खरीदी हेतु निविदा आमंत्रित की जाती है तब संभवत सामग्री की क्वालिटी या गुणवत्ता को लेकर और मापदंड को लेकर निविदा में जानकारी होती है तथा लंबाई, चौड़ाई व कंपनी की लेकर, आईएसआई या आइएसओ सर्टिफाइड कंपनी आदि अनेक गुणवत्तापूर्ण बातों का उल्लेख होता है । या फिर भवन निर्माण को लेकर यदि कोई बड़ा प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य हो तो संभवत अनुभव की आवश्यकता अवश्य होती है । लेकिन सामग्री खरीदी को लेकर विशेष शर्तों का उल्लेख करना समझ से परे है ।जानकारी अनुसार वन विभाग द्वारा 7 अक्टूबर को निविदा क्रमांक 2024_MPFD_373755-1 आमंत्रित की गई जिसके अंतर्गत विभिन्न फेंसिंग मटेरियल सामग्री जैसे कांटेदार तार , काला तार जेहुक, सीमेंट पोल , चेंन जाली आदि पांच सामग्री हेतु निवेदन आमंत्रित की गई निविदा में । निविदा की अंतिम तारीख 28 अक्टूबर थी करीब 250000 रुपए ईएमडी थी तथा टेंडर राशि भी थी तथा कार्य की अनुमानित लागत करीब 80 लाख रुपए थी । विभाग द्वारा निविदा में पैन कार्ड , जीएसटी रजिस्ट्रेशन, सीए प्रमाणित टर्नओवर, दुकाने एवं प्रतिष्ठान पंजीकरण , ₹100 के स्टांप पर घोषणा पत्र अनुलग्नक-1 के अलावा, अनुलग्नक 2,3,4,5  आदि । अनुलग्नक चार और पांच में विशेष शर्तों का उल्लेख किया गया है ।वन विभाग द्वारा विशेष फर्मों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से,  इस निविदा में विशेष शर्तों का उल्लेख किया गया,  जिससे अन्य फर्म इस श्रेणी की पात्रता में ना आए और विभाग की कुछ विशेष फर्म की दरे ही स्वीकृत हो । विभाग द्वारा इस निविदा में विशेष रूप से शर्त में प्रथम किसी भी केंद्रीय / राज्य सरकार/ संगठन/ विभाग पीएसयू विभाग से निष्पादित करने का अनुभव-  तीन सम्मान कार्य इसके लिए निविदाकार द्वारा निविदा दी गई है जिसमें से प्रत्येक की लागत पिछले तीन वित्तीय वर्षों में उन वस्तुओं की संभावित राशि के 20% के बराबर राशि से काम नहीं हो  जिसके लिए निविदाकार द्वारा निविदा दी गई या दो समान कार्य के लिए सामग्री की राशि के 30% के बराबर राशि से काम नहीं या एक सामान्य कार्य जिसकी लागत तीन वित्तीय वर्षों के दौरान उन वस्तुओं की संभावित राशि के 50% राशि से काम नहीं हो ,जिसके लिए निविदाकार द्वारा निविदा दी गई या पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान किसी एक वित्तीय वर्ष में वन विभाग मध्य प्रदेश में समान मदो का कार्य निष्पादित किया हो । इसके अलावा भी कुछ और विशेष शर्तें थी जो विभाग की कुछ प्रमुख फर्म ही इसके लिए पात्रता रखती थी । जबकि अनुभव सर्टिफिकेट में एक फर्म विगत वर्ष 1977 से हार्डवेयर की दुकान का संचालन कर रही है तथा दुकान एवं स्थापना में उसका पंजीकरण भी है । लेकिन सरकारी विभाग मे विगत तीन वित्तीय वर्षों में कोई सप्लाई नहीं किया गया है । लेकिन उसके पूर्व के वर्षों में वन विभाग, पीएचई विभाग आदि अन्य सरकारी विभाग में सप्लाई किया है । तो पूर्व के वर्षों का अनुभव का कोई औचित्य नहीं । फिर भी विभाग ने उस फर्म को टेक्निकल इवोल्यूशन में बाहर कर दिया । विभाग की प्रक्रिया भी इसीलिए चिंतन का विषय है कि यदि कोई कोई फर्म कई वर्षों से हार्डवेयर की सामग्री का जनरल सप्लायर भी है लेकिन  विगत तीन वित्तीय वर्षों में उस फर्म ने सरकारी विभाग में सप्लाई नहीं किया हो, तो वह पात्रता की श्रेणी में नहीं आती है । जबकि शासकीय नियम अनुसार विभाग को अपने उचित मापदंड और गुणवत्ता युक्त सामग्री देने वाली फर्म को तवज्जो देना चाहिए , जिससे शासन का राजस्व हानि ना हो या फिर शासन को अधिक दरों में सामग्री खरीदी न करना पड़े ।  विशेष शर्तों को उल्लेख करने पर, विशेष फर्मो ने हीं इस निविदा प्रक्रिया में भाग लिया है संभवतः कुछ फर्म , इस विभाग कई वर्षों से इस विभाग में सामग्री सप्लाई कर रही है और इन्हीं के कारण विशेष शर्तों का उल्लेख किया गया है । यदि विभाग इन विशेष शर्तों का उल्लेख नहीं करती, तो संभवतः कई और फर्मे भी इस निविदा प्रक्रिया का हिस्सा होती और शासन को कम दामों में सामग्री उपलब्ध हो सकती थी । लेकिन वन विभाग की कार्य प्रणाली संदेहास्पद है। यदि अन्य सरकारी विभागों की निविदाओं को भी देखेंगे , तो कई विभाग में सामग्री खरीदी में, इस तरह की विशेष शर्तों का उल्लेख नहीं होता है लेकिन वन विभाग  मात्र सामग्री खरीदी में ही विशेष शर्तों का उल्लेख कर, माफियाओं को संरक्षण देने का प्रयास कर रही है । एक तरफ प्रशासन वोकल फोर लोकल के संदेश को जन-जन तक पहुंचा रहा है वही वन विभाग इसके विपरीत माफियाओं फोर फोकस को लेकर निविदा का आमंत्रण कर रहा है । एक तरफ जिला कलेक्टर शिक्षा , स्वास्थ्य आदि को लेकर विशेष रूप से कार्य कर रही हैं ताकि आमजन को इसका लाभ मिल सके, साथ ही शासन की योजना को जन-जन तक पहुंचाया जा रहा है ।‌ इस स्वच्छ कार्य प्रणाली के कारण जिला कलेक्टर की छवि साफ सुथरी बनी हुई है लेकिन वन विभाग की इस कार्य प्रणाली से कही प्रशासन की छवि धूमिल ना हो , इस और चिंतन करना आवश्यक है क्या शासन प्रशासन वन विभाग द्वारा आमंत्रित की गई , इस विशेष शर्तों से परिभाषित निविदा प्रक्रिया की जांच करेगा या फिर यह वन विभाग मनमानी करता रहेगा…..?

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