झाबुआ

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा वाहन अनुबंध में ब्लाक अधिकारियों द्वारा संभवत: निजी व रिश्तेदारों के वाहनों को किया अटैच … संपूर्ण प्रक्रिया जांच का विषय

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झाबुआ – कार्यालय परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले के सभी विकासखंड में भ्रमण व मॉनिटरिंग हेतु वाहनों को अनुबंध आधार पर अटैच किया जाना था जिसके लिए निविदा प्रक्रिया अपनाई जाना थी या शार्ट टेंडर नोटिस के माध्यम से वाहनों को अनुबंध किया जाना था लेकिन विभाग के 6 ब्लॉक के सभी अधिकारीयों ने स्वयं के निजी या रिश्तेदारों के वाहनों को अटैच कर वोकल फोर लोकल की जगह निजी/रिश्तेदारों पर फोकस किया जा रहा है। संपूर्ण प्रक्रिया जांच का विषय है ।

जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास जिला झाबुआ द्वारा जिले के सभी विकासखंड पेटलावद, थांदला ,मेघनगर ,रामा राणापुर व झाबुआ में विभाग की योजनाओं की मॉनिटरिंग व भ्रमण हेतु वाहनों को अनुबंध आधार पर अटैच किया जाना था जिसके लिए नियम अनुसार निविदा को आमंत्रित किया जाना था या शार्ट टेंडर के माध्यम से यह प्रक्रिया पूरी करनी थी। लेकिन विभाग के आला अधिकारी द्वारा स्वयं के निजी आदेश पर , विकासखंड के सभी अधिकारियों ने स्वयं की निजी या रिश्तेदारों के वाहन को अटैच करने की प्रक्रिया को अपनाया है । यह अनुबंध कलेक्टर दर पर किया गया है । जबकि इस तरह की प्रक्रिया के लिए संभवत कलेक्टर की सहमति पत्र की भी आवश्यकता होती है । लेकिन संभवत अनुबंध में इस तरह के किसी पत्र का उल्लेख नहीं है  ।लेकिन नियमों से परे , विभाग की अधिकारी द्वारा यह प्रक्रिया अपनाई गई है । वाहनों को जब अटैच किया जाता है तो संभवत सर्वप्रथम वाहन का टैक्सी परमिट, ड्राइवर के पास लाइसेंस , वाहन नियमित अवधि से पुराना ना हो के अलावा, ड्राइवर का पुलिस वेरीफिकेशन के अलावा विशेष रूप से वाहन में जीपीएस होना चाहिए , ताकि वाहन की मॉनिटरिंग हो सके कि वास्तव में यह वाहन शासकीय योजनाओं की  लिए मॉनिटरिंग के लिए उपयोग किए जा रहे हैं या फिर निजी कार्यों के लिए । जिले के बाहर भ्रमण पर जाने के लिए कलेक्टर की परमिशन की भी आवश्यकता होती है । चूंकि पूर्व में भी इसी विभाग में बिना परमिशन के, जिले के बाहर भ्रमण पर गये अधिकारी आर एस जमरा की वाहन दुर्घटना मे मृत्यु हो गई थी । यदि हम झाबुआ परियोजना अधिकारी महिला एव बाल विकास के वाहन अटैचमेंट की बात करें तो,  इस अधिकारी द्वारा वोकल फोर लोकल को नकारते करते हुए  राजीव अहिरवार निवासी सींगोन , सिलावन ,पिपरई जिला अशोकनगर के वाहन को प्राथमिकता देते हुए वाहन अनुबंध आधार पर अटैक किया है । वहां का नंबर है एमपी 67C 4502 है । यह अनुबंध संभवत 1 अगस्त को किया गया है तथा नियम अनुसार वाहन अटैचमेंट के बाद लॉक बुक, डीजल पर्ची, वाहन देयक तथा भ्रमण को लेकर संपूर्ण जानकारी भी होना चाहिए । सूत्रों के अनुसार संभवत ऐसी कोई जानकारी नहीं है । सूत्रों का यह भी कहना है कि यह वाहन आए दिन अशोक नगर भी आता जाता है संभवतः अधिकारी का गृह जिला है । इस तरह निजी कार्यों के लिए भी शासकीय वाहन का उपयोग होना जांच का विषय है । इसके अलावा थांदला में  अधिकारी द्वारा संभवत स्वयं के निजी वाहन या रिश्तेदार के वाहन को अटैच किया है वहीं मेघनगर में भी अधिकारी ने यही प्रक्रिया को अपनाया है रामा में भी अधिकारी द्वारा निजी वाहन प्रक्रिया को अपनाया गया है इस प्रकार सभी विकासखंड या ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों द्वारा निजी/ रिश्तेदारो का वाहन को अटैच कर आर्थिक लाभ कमाया जा रहा है । इस तरह निजी/ रिश्तेदार के वाहनों को अटैच कर, आर्थिक लाभ पहुंचाना, अनियमितता की श्रेणी में आता है । वही कलेक्टर कार्यालय में इन अधिकारियों द्वारा निजी/ रिश्तेदारों को आर्थिक लाभ पहुंचाना, कहीं ना कहीं जिला कलेक्टर की साफ व स्वच्छ छवि को धूमिल करने का प्रयास तो नहीं । संपूर्ण प्रक्रिया जांच का विषय है । कैबिनेट मंत्री के क्षेत्र में वोकल पर लोकल की जगह, रिश्तेदारों पर फोकस किया जा रहा है । क्या शासन प्रशासन इस और ध्यान देकर महिला बाल विकास विभाग के आला अधिकारियों की इस प्रक्रिया को लेकर कोई जांच करेगा या फिर यह अधिकारी मनमानी करते हुए लॉक बुक को पूर्ण कर,  इन अटैच वाहनों का निजी उपयोग भी करते रहेंगे…..?

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