झाबुआ

झोलाछाप डॉक्टरों ने आदिवासियों की जिंदगी को बनाया प्रयोगशाला

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(प्रदेश के मुख्यमंत्री के आदेश की भी शासन प्रशासन उड़ा रहे धज्जिया)

झकनावदा/पेटलावद:-(राजेश काॅसवा)इन दिनों ग्रामीण आदिवासी क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ आ चुकी है मनमानी तरीके से इलाज कर रहे हैं फर्जी डिग्री धारी झोलाछाप प्रशासन की नाक के तले आदिवासियों के जीवन पर नीत नए प्रयोग कर उनके जीवन को एक प्रयोगशाला बना दी गई है इनके द्वारा हाई डोज की दवाई भी दि जा रही है तथा नई-नई दवाओ का प्रयोग भी किया जा रहा है कई बार ऐसी घटनाएं भी हो चुकी है कई आदिवासी अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठे हैं लेकिन प्रशासन के ढीले रवैया एवं अधिकारियों की साथ गांठ के चलते बेखोप तरीके से इनको किसी भी अधिकारी का भय नहीं है बगैर डिग्री इलाज पर 3 साल की जेल का प्रावधान किया गया है ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप चिकित्सा की भरमार आ गई है ग्राम बोलासा में चिकित्सकों की इतनी मनमानी बढ़ चुकी है कि किसी को कुछ समझने को तैयार नहीं है कोई भी अधिकारी या मरीज उनकी दुकान पर जाते हैं तो उनसे अभद्रता एवं धौस धमकी पर उतारु हो जाते हैं लगता है इनके पीछे बड़ा गिरोह काम कर रहा है छोलाछाप डॉक्टरो का एक ऐसा सरगना बताया जा रहा है जो पृष्ठभूमि पर ना होते हुए पीछे से सपोर्ट किये जा रहा है इस मामले को लेकर जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन को अवगत भी कराया गया है लेकिन अधिकारियों की सांट गांठ के चलते इन फर्जी झोलाछाप चिकित्सकों के विरुद्ध आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है शासन के द्वारा इनके लिए कई कडे नियम बनाए गए हैं सब कागजों की फाइलों में दब कर रह गए हैं सारे कानून कायदे धरे के धरे रह गए हैं इन्हें प्रशासन का पूर्ण संरक्षण प्राप्त होने के कारण किसी प्रकार का भय नहीं है यह गरीब आदिवासियों से मनमाने तरीके से पैसे की लूट खसोट मची हुई है तथा अमानक स्तर की दवाईया भी इनके द्वारा दी जा रही है लेकिन प्रशासन के नुमाईंदे को सब कुछ पता होने के बाद भी आज तक इन लोगों पर कार्रवाई नहीं होना प्रशासन के लिए बड़ी शर्मनाक बात है आखिर ऐसी क्या वजह है कि प्रशासन इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है लगता है प्रशासन आदिवासियों के जीवन को बेपरवाह किए हुए इन्हें लूटने की खुली छूट दे रखी है आए दिन यह झोलाछाप आदिवासी ग्रामीण क्षेत्रो मे घर-घर पहुंचकर फर्जी तरीके से इलाज किया जा रहा है प्रदेश के मुखिया डॉक्टर मोहन यादव के निर्देश के बाद भी इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होना कई शंकाओं को जन्म दे रहा है मोहन सरकार द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों को लेकर एक्शन मोड पर आ गई थी लेकिन इन अधिकारियों की लापरवाही के चलते मुख्यमंत्री के आदेश हवा हवाई हो गए हैं मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों,सीएमओ को फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे साथ ही भविष्य में ऐसे फर्जी डॉक्टरों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए जरूरी व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए थे आज यह निर्देश मात्र कागजों में दब कर रह गए हैं सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्र बोलासा में मनमानी तरीके से झोलाछाप चिकित्सकों ने पैर पसार रखे हैं शासन के आदेश है कि बगैर डिग्री इलाज किए जाने पर 3 साल की जेल का भी प्रावधान किया गया है देखना है कि स्वास्थ्य विभाग इन गरीब आदिवासीयो की जिंदगी को बचाने के लिए फर्जी झोलाछाप चिकित्सकों की गिरफ्त में आए आदिवासियों को किस तरह से राहत और न्याय दिलाएगे या इनका जीवन प्रयोगशाला बनेगी पूरे जिले में तहसील स्तर से लेकर गांव तक यदि ऐसे फर्जी चिकित्सक की जांच की जाए तो सैकड़ो की संख्या में हैं बताया जाता है कि यह फर्जी चिकित्सक बंगाल से यहां आकर चिकित्सा करते हैं झोलाछाप डॉक्टरों को इन क्षेत्रों में बंगाली डॉक्टर के नाम से जाने जाते हैं।

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