झाबुआ

समस्या हल करवाने भटक रही बडी तादात की जनता को राहत दिलवाने का अनुरोध है।

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समस्या हल करवाने भटक रही बडी तादात की जनता को राहत दिलवाने का अनुरोध है।

रतलाम  / मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने लगभग दो वर्ष पूर्व रतलाम के विभिन्न संगठनों एवं नागरिकों की मांग पर सार्वजनिक मंच से विधायक तथा कैबिनेट मंत्री श्री चेतन्य काश्यप उपस्थिति में 1956-57 की समस्या तथा परिवार मे विभाजित प्लाटों की रजिस्ट्री में तथा नामांतरण की समस्याओं से मुक्ति दिलाने की घोषणा की थी। जिसका अभी तक कोई हल नहीं हुआ है।
इस आशय की जानकारी मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव को पत्र द्वारा सूचित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एवं भारतीय जनता पार्टी जिला महामंत्री निर्मल कटारिया ने बताया कि चार राज्यों को मिलाकर नवगठित मध्य प्रदेश राज्य की स्थापना के पश्चात नई विधान मध्य प्रदेश भू.राजस्व संहिता 1959 कानून बन के आया जिसके आधार पर ही आज तक समस्त भूमि ;राजस्वद्ध संबंधी निर्णय लिए जाते हैं। 1959 के इस कानून में धारा 158 के प्रावधानों के अंतर्गत चारों विलीनीकरण राज्यों के पूर्व के भूमि के वर्गों को समाविष्ट करने के अनुसार एक नई भूमि स्वामी की श्रेणी निर्मित की। यह शब्द तभी अस्तित्व आया जो निर्बाध रूप से किसी भी व्यक्ति को अपनी भूमि का स्वामी घोषित करने स्वतंत्र अधिकारी मानने तथा उसका उपयोग. उपभोग करने का पूर्ण स्वामित्व प्रदान करता है। इसी धारा से आमजन को अपनी भूमि पूर्ण रूप से निजी भूमि मानने का अधिकार अर्जित हुए। जिससे स्पष्ट है कि भू राजस्व संहिता 1959 लागू होने के फल स्वरुप 1956. 57 या उसके पूर्व के किसी भी अभिलेख की या उसकी प्रविष्टियों की कोई आवश्यकता नहीं रह जाती है क्योंकि उस समय की पट्टे वाली भूमियों को भी निजी दर्जा दिया गया और शायद यह जानकारी राजस्व अधिकारियों को भी होना चाहिए कि सन 1959 के पश्चात के अभिलेखों की प्रविष्टियां ही सही वह मान्य है।
माननीय मुख्यमंत्री जी  यदि उचित समझे तो एक स्थाई आदेश जारी कर ए 1970 की शासकीय भूमियों की सूची का 1961 के रजिस्टर में कॉलम नंबर 12 में उल्लेख करने की प्रक्रिया अपना कर इन रजिस्टरों को वापस रेकॉर्ड पर ला सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व में कलेक्टर महोदय ने शासकीय घोषित भूमियों की सूची जिला पंजीयक को प्रेषित कर उक्त सम्पतियों को पंजीयन से पूर्व जिलाधिकारी के संज्ञान में लाने के निर्देश दिए हुए रिकॉर्ड पर है जिसका भी बखूबी पालन संभव है। इस प्रकार कतिपय भुमियों के कारण 99 प्रतिशत जनता को हो रही असुविधा से निजात दिलाई जा सकती हैं।
कटारिया ने बताया कि संयुक्त परिवारों मे बटवारे के तथा परिवार के मुखिया की मृत्यु होने पर किये जाने वाले प्लाटों के बंटवारे के रजिस्ट्री एवं नामांतरण मे भी मौखिक रोक लगा रखी है। जिससे कारण भी हजारों परिवारों मे विवादापत स्थिति निर्मित हो रही है। जिससे की पार्टी एवं सरकार की छवि जनमानस मे खराब हो रही है और सर्वत्र हतासा का माहौल भी निर्मित हो रहा है। जिससे जनता जनार्दन को उबारने की आवश्यकता है तथा यह हमारा कर्तव्य भी हे।
यहां पर उल्लेखनीय है कि पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी ने भी भोपाल एवं रतलाम मे भी मुख्यमंत्री से मिलकर उन समस्याओं का निदान करने का अनुरोध किया था। जिस पर मुख्यमंत्री जी ने शीघ्र ही निर्णय करने का आश्वासन दिया था लेकिन समस्या अभी तक जस की तस खडी है। समस्या हल करवाने भटक रही बडी तादात की जनता को राहत दिलवाने का अनुरोध है।

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