झाबुआ

वन समिति ने वन विभाग के अधिकारियों पर अवैध वसूली के आरोप लगाए….. थांदला वन परिक्षेत्र का मामला

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झाबुआ -वन विभाग द्वारा हाल ही में आमंत्रित निविदा प्रक्रिया काफी चर्चा का विषय बनी रही । वह अब वन विभाग अंतर्गत कार्य करने वाली वन समिति ने वन विभाग के ही अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं और वन समिति सदस्यों ने घास काटने के नाम पर अवैध वसूली करने की बात कही है । इस बात को लेकर वन समिति के सदस्य ने  डिप्टी रेंजर और नाकेदार को खूब खरी-खोटी भी सुनाई ।

विगत दिनों ही वन विभाग द्वारा फेंसिंग मटेरियल हेतु आमंत्रित की गई , कमजोर निविदा ने काफी सुर्खियां बटोरी है तथा इसको लेकर वन मंत्री से लेकर सांसद तक , निविदा में विशेष शर्तों को लेकर शिकायत भी हुई है । वही आज सोमवार को वन समिति के सदस्यों ने विभाग के अधिकारीयो पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं । मामला थांदला वन परिक्षेत्र अंतर्गत सब रेंज, बीट क्रमांक 49 का है। जो की पेटलावद जनपद पंचायत क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत झोसर के समीप स्थित है। यहां की वन समिति में कुल 120 सदस्य दर्ज है। वन समिति के अध्य्क्ष पद पर हुकलिया पारगी पदस्थ है। वन समिति के अध्यक्ष के नेतृत्व में बड़ी संख्या में समिति के सदस्य गांव में एकत्रित हुए और वन विभाग के अधिकारियों पर घास के नाम पर अवैध वसूली करने का आरोप लगाया। साथ ही वन विभाग की रेंज में घास काटने हेतु पट्टे के नाम पर 25 से 30 हजार रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप भी लगाया गया । वन समिति अध्य्क्ष हुकलिया पारगी, उपाध्यक्ष नाथू मेडा, सदस्य शैतान भूरिया सहित अन्य सदस्यो ने बताया कि वन विभाग के अधिकारियों द्वारा हमसे 600-600 रुपये अवैध रूप से लिए जा रहे हैं। और अपना अलग चौकीदार रखा गया है। जबकि समिति ने सर्व सहमति से समिति का चौकीदार रखा था और उसे 300 रुपये देने एवं समिति में 300 रुपये जमा करने का निर्णय लिया था। वन समिति के सदस्यों ने वन विभाग के डिप्टी रेंजर तारसिंह भाभर और नाकेदार दोहरे को घेर लिया और जमकर खरी खोटी सुनाई। एवं समिति ने अधिकारियों से जवाब मांगा कि आखिर आप किस बात के रुपए मांग रहे हैं और वन समिति से अवैध वसूली क्यों की जा रही है। हालांकि इस दौरान अधिकारी अपनी अलग ही कहानी सुनाते रहे । इस प्रकार जिले में वन विभाग की मनमानी कार्यशैली इन दोनों जन चर्चा का विषय बनती जा रही है और कहीं ना कहीं इस तरह की कार्यप्रणाली से शासन प्रशासन की छवि भी धूमिल होती है क्या शासन प्रशासन इस और ध्यान देगा या फिर इस विभाग के अधिकारी यूं ही मनमानी करते रहेंगे …..?

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