झाबुआ

झाबुआ जिले में खेती को गतिशील और समृद्ध बनाने की सोयाबीन की एन.आर.सी. 142 नवीन किस्म की भरपूर संभावनाऐं”

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*सफलता की कहानी*

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*“जिले में पहली बार समावेशित सोयाबीन की एन.आर.सी. 142 नवीन किस्म पोष्टिकता के साथ-साथ उत्पादक क्षमता से भी समृद्ध”*

*“सोयाबीन की खेती से उत्तरोत्तर टिकाऊ आय प्राप्त करने में नवीन किस्मों का अपरिहार्य योगदान”*

           झाबुआ 11 दिसम्बर, 2024। खेती किसानी के क्षेत्र में किसान समुदाय की आत्म निर्भरता को बढाने और आय वृद्धि के लिये फसलों की नवीन किस्मों को अपनाना एक महत्वपूर्ण विधा है। सोयाबीन जैसी तिलहनी फसलों की सफलतापूर्वक खेती करने के लिये झाबुआ जिले में अनुकूल परिस्थितिया है। सोयाबीन फसल की उत्पादकता वृद्धी के साथ-साथ कीट व्याधि नियंत्रण में लगने वाली लागत पर अंकुश लगाया जाना समय की महती आवश्यकता है। इन तथ्यों के मद्देनजर भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इन्दौर द्वारा सोयाबीन की अधिक उत्पादन देने वाली कीट व्याधि अवरोधी नित नयी किस्मों का सतत विकास किया जा रहा है। भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान इन्दौर द्वारा हाल ही में विकसीत सोयाबीन की अधिक उत्पादन देने वाली कीट व्याधि अवरोधी नवीनतम एन.आर.सी. 142 झाबुआ जिले में पहली बार किसानों को विभाग द्वारा विशेष प्रयास के माध्यम से उपलब्ध कराई गई। अधिक उत्पादन देने वाली सोयाबीन की यह एन.आर.सी. 142 किस्म कीट व्याधि प्रतिरोधी होने के साथ-साथ कई अन्य गुणों से भरपूर है।
           नूतन किस्म होने के कारण सोयाबीन एन.आर.सी. 142 किस्म जिले के सभी विकासखण्डों में एक-एक एकड बुवाई के लिए अग्रणी किसानों को खरीफ मौसम में आत्मा व अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से उपलब्ध कराया गया था। जिले के सोयाबीन बुवाई की नवीन वैज्ञानिक रेज्ड बेड पद्धति से बुवाई के साथ-साथ एकीकृरत पौध पोषण, कीट व्याधि प्रबंधन तकनीक को अपना कर नवाचारी किसानो के यहाँ विगत खरीफ मौसम में प्रदर्शन प्लॉट डाले गये। जिले में किसानों द्वारा पहली बार अपनाई गई सोयाबीन एन.आर.सी. 142 के उत्पादन परिणाम उत्साहजनक रहे। सोयाबीन झाबुआ जिले की औसत उत्पादकता से सोयाबीन एन.आर.सी. 142 का पन्द्रह से बीस प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त हुआ।
            ग्राम भंवर पिपलिया के कृषक श्री जगदीश बाबू के खेत में रेज्ड बेड पद्धति से सोयाबीन एन.आर.सी. 142 उत्पादन प्रदर्शन प्रक्षेत्र का जिले के कलेक्टर और अन्य अधिकारीयों द्वारा अवलोकन किया। कृषि विभाग के माध्यम से सोयाबीन की नवीनतम उच्च उत्पादन देने वाली किस्म एन.आर.सी. 142 के विशिष्ट गुणो और उत्पादन क्षमता के संबध में कलेक्टर नेहा मीना को जगदीश बाबू द्वारा स्वयं विस्तार से अवगत कराया गया। सोयाबीन एन.आर.सी. 142 किस्म अपोष्टिक ट्रिप्सिन इन्हिबिटर और अन्य दुर्गन्धकारी अवयव से मुक्त होने के कारण सोयाबीन उत्पादन क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित हो सकती है। इस वर्ष बोए गए 40 एकड रकबे से उत्पादित बीज आगामी वर्ष में जिले के अन्य किसानों को बोआई के लिए सुलभ रहेगी। जिले में सोयाबीन की नवीन किस्मों के कारण सोयाबीन उत्पादक कृषकों की आमदनी में वृद्धि होगी।
             उप संचालक कृषि श्री एन.एस. रावत द्वारा जिले में पहली बार समावेशित सोयाबीन की नवीन किस्म एन.आर.सी. 142 की विशिष्टताओ पर प्रकाश डालते हुऐ जिले में सोयाबीन की खेती में नवीन किस्म की भूमिका को विस्तारपूर्वक कृषको को समझाया गया। सोयाबीन की नवीनतम किस्म से प्राप्त होने वाली उपज को बीज के रूप में संग्रहीत कर आगामी मौसम में क्षेत्र के किसानो को उपलब्ध करवाने की समझाईश दी गई जिससे कृषक बीज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो सके और जिले में किस्म प्रतिस्थापन दर में वृद्धि हो सके।

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