धार, 04 अगस्त 2021/ तिरला विकासखण्ड के ग्राम बोरखेडा के दिनेश पिता नाहरसिंह कहते है कि उनके गांव के सभी कृषको की आजीविका का साधन मूलरूप से कृषि है। पहले वे पारम्परिक तरीको से खेती करता था, जिसमें मक्का की बुवाई साधारण विधि से छिडकाव करके करता था। जिसमें उसे बीज दर अधिक लगता था। साथ ही उसकी लागत भी अधिक आती है एवं उत्पादन कम प्राप्त होता था। ऐसी स्थिति को देखते हुए निदेष ने निश्चय किया कि वे अब अपनी खेती के पारम्परिक तरीकों से अलग उन्नत तकनीकों का उपयोग करके उन्नतशील कृषक बनुगा।
निदेष ने बताया कि आत्मा परियोजना द्वारा वर्ष 2019 में हमारे ग्राम में खेत पाठशाला का आयोजन किया। जिसमें मुझे एचीवर कृषक बनाया एवं 1 हेक्टेयर के लिये मक्का बीज की उन्नत किस्म के.एम.एच.-803 का बीज दिया गया। इस मक्का बीज को निदेष ने अधिकारियों के मार्गदर्शन मे 2 फीट की दुरी पर कतार बनाकर बुवाई की। इस विधि से बुवाई करने पर 20 किलोग्राम से बीज 1 हेक्टेयर क्षेत्र की पूर्ति हो गई, जबकी छीडककर बोने पर उसे 40 से 50 किलोग्राम बीज लगता था। कतार में बुवाई करने पर मुझे खरपतवार नियंत्रण में भी काफी सहुलीयत रही एवं डोरा चलाकर खरपतवार नियंत्रण किया। जबकी छीडककर बुवाई करने पर खरपतवार नियंत्रण हेतु मजदुरो से निंदाई कराना पडता था, जिसमे खर्च बहुत अधिक आता था।
इस वर्ष मक्का फसल में नये किट फाल आर्मी वर्म का प्रकोप हुआ, इसके नियंत्रण के लिये भी विभागीय अधिकारियों का निरंतर मार्गदर्शन मिलता रहा एवं पाठशाला के सत्र मे कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिको के आने से उनके द्वारा इस किट के नियंत्रण के कारगर उपाय बताये गये। जिससे इस किट का समय पर नियंत्रण कर लिया गया। पौधो में फसल अन्तरण अच्छा होने से पौधो पर दो-दो भुट्टे आये एवं अच्छा उत्पादन प्राप्त हुआ। जंहा हर वर्ष मुझे 30 क्विंटल प्रति हैक्टर तक उत्पादन प्राप्त होता था। इस वर्ष किट प्रकोप होने एवं विपरीत मौसम होने के बावजुद 40 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त हुआ। अब में विभागीय अमले एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के सतत सम्पर्क मे रहता हूं तथा उनके द्वारा बताई जा रही उन्नत कृषि तकनीको को अपनाकर खेती को लाभप्रद बना रहा हूं। निदेष ने विभागीय अधिकारियो एवं कर्मचारियों द्वारा दिये गये मार्गदर्षन के लिये सभी का बहुत बहुत आभार व्यक्त किया।