झाबुआ

स्कूलों की हैंडवाश यूनिट निर्माण कार्य में भारी लापरवाही……….. बच्चे लाभ से वंचित…..?

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झाबुआ – जल शक्ति मिशन अंतर्गत जिले की विभिन्न स्कूलों में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग दारा और सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत हैंडवाश यूनिट का कार्य निर्माण कार्य किया जा रहा है जिसका उद्देश्य स्कूलों में बच्चों को पानी की उपलब्धता । लेकिन कई स्कूलों में योजना पूर्ण होने की कगार पर है और बच्चे पानी के लिए परेशान हो रहे हैं । कही पर स्कूल में हैंडवॉश यूनिट के नाम पर दीवार पर सिर्फ पाइपलाइन दिखाई दे रही है …तो कही पर स्कूलो में छत पर पानी की टंकी नहीं लगने के कारण नलों में पानी नहीं आता है …तो कुछ स्कूलो में बिजली की उपलब्धता नहीं होने के कारण उपयोगहीन हैं ….तो कई स्कूल में वोल्टेज की समस्या के कारण ….. योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है । शासन द्वारा लाखों खर्च करने के बाद भी कई स्कूलों में हैंडवाश यूनिट शोपीस की तरह नजर आ रही है और बच्चे लाभ से वंचित हैं ।

जानकारी अनुसार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग झाबुआ द्वारा जल शक्ति मिशन अंतर्गत जिले की लगभग 2400 स्कूलों में हैंडवाश यूनिट बनाए जाना है इस हैंडवाश यूनिट निर्माण के लिए पीएचई विभाग ने 15 अलग-अलग एजेंसियों को काम सौंपा है । जहां-जहां विभाग द्वारा यूनिट तैयार होने का दावा किया जा रहा है यदि उन स्कूलों पर जाकर भ्रमण किया जाए तो कई स्कूलों में अनियमितताएं देखने को मिलेगी । स्कूलों में हैंडवाश यूनिट अलग से ना बनाकर स्कूलों की दीवारों पर बनाई गई , तो कई जगह स्कूलों में टंकिया नहीं लगाई गई , तो कहीं जगह वाशबेसिन नहीं लगाए गए । इसके अलावा जहां टंकियां और वाशबेसिन दोनों लगाए गए हैं वहां नल नहीं लगे हुए हैं । कई स्कूलों में पर्याप्त पानी की उपलब्धता नहीं है तो कई स्कूलों में वोल्टेज की समस्या है । इस प्रकार यदि गौर किया जाए तो कुल मिलाकर लाखों खर्च करने के बाद भी इन स्कूलों की हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ है और बच्चे आज भी पानी के लिए परेशान है । वही यदि हम बात करें तो सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत जिले में कुल 299 स्कूलों में हैंडवाश यूनिट बनाई जाना है जिले में चयनित विद्यालय में हैंडवाश यूनिट बनाई जाना प्रस्तावित है इन विद्यालयों का चयन पानी और बिजली की व्यवस्था को देखते हुए तय किया गया था । जिससे इन हैंडवाश यूनिट का इस्तेमाल हो सके । इस कार्य हेतु सर्व शिक्षा अभियान ने प्राथमिक एवं मिडिल स्कूलों के खातों में राशि भी जमा की । सभी ब्लॉक में शाला प्रबंधन समिति को इस कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई । अधिकांश स्कूलों में मॉनिटरिंग के अभाव में यह योजना दम तोड़ती हुई नजर आ रही है और लाखों खर्च करने के बाद भी बच्चों को पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है और बच्चे परेशान हो रहे हैं । शाला प्रबंधन समिति की लापरवाही से व सही मानिटरिंग के अभाव में निर्माण कार्य ठीक से नहीं हुआ है कार्य में लापरवाही की वजह से स्कूली बच्चों को उसका लाभ नहीं मिला …। सवाल यह है की पैसा खर्च हो गया …….लाभ भी नहीं मिला …..तो इस फिजूलखर्ची की भरपाई कौन करेगा …? जिसने लापरवाही की वही जिम्मेदार होकर खर्च की भरपाई करेगा .कया……..? या फिर ऐसे ही चलता रहेगा ….हां मैं दिखवा लेता हूं ….मैं अभी बाहर हूं…. मैंने अभी अभी जोइनिंग की है ……क्या यह जवाब पर्याप्त हैं…?

जब एक कार्य को अलग-अलग दो विभाग कर रहे हैं तो ऐसा तो नहीं कार्य एक भुगतान अलग-अलग दो विभागों में हो गया हो । यह जांच का विषय है क्योंकि कार्य दोनों विभाग को स्कूलों में ही करना है सबसे बड़ी लापरवाही यह है कि जब स्कूलों में बोरिंग में पानी की कमी थी सही वोल्टेज नहीं मिल रहा था बिजली कनेक्शन नहीं था तो फिर स्कूलों में इन कमियों को दूर कर कार्य किया जाना था सिर्फ कार्य के आंकड़े पर्याप्त नहीं । धरातल पर कार्य का सही क्रियान्वयन दिखाई देना महत्व रखता है । ऐसे अधिकारी व कर्मचारी की लापरवाही से जिला विकास नहीं कर पा रहा है क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर कोई उचित कार्रवाई करेंगे या फिर यह सब यूं ही चलता रहेगा…..?

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