साहब अभी तो भगोरिया महापर्व आया ही नही , भीड़ उमड़ी ही नही फिर भी बाजार में ट्रैफिक की हालत खस्ता है ।
कहने वाले कहते है की हाथी के दाँत खाने के अलग और दिखने के अलग क्योकि की शायद ट्रैफिक पुलिस को यातायात सप्ताह पर ही याद आती है कि हम नगर की ट्रैफिक व्यवस्थाए में सुधार करे बाकी पूरे साल तो बाजार का हाल ऐसा है , कि अगर एक बड़ा वाहन भी अगर बाजार की गलियों से निकले तो बाइक वालो को आधे घंटे से ज्यादा खड़ा रहना पड़ता है , और वाहन तो ठीक है अगर पैदल यात्री भी निकले तो उसको भी बाजार में घूमने में 1 से 2 घण्टे लग जाते है , अम्बेमाता मंदिर से लेकर छत्री चोक तक यही आलम है , क्योकि ट्रैफिक पुलिस तो सिर्फ यातायात सप्ताह पर ही अपने नियम लागू करती है 365 में से 7 दिन निकाल लो तो 358 दिन झाबुआ नगर में ट्रैफिक की बदहाल स्तिथि ही नजर आती है , नियम तो अनेक है जो होर्डिग के माध्यम से चौराहों पर लगे है बकायदा ट्रैफिक पुलिसकर्मि भी हर चौराहों पर तैनात है , पर अगर आखो के सामने से भी अगर भारी वाहन या बड़ा वाहन अंदर जाता है तो कोई रोकता नही क्यो क्योकि यातायात सप्ताह का क्या होगा अगर यातायात पुलिस पूरे साल काम करेगी तो इस खबर के माध्यम से हमारा उद्देश्य यह है , कि झाबुआ नगर में जो ट्रैफिक की बदहाल हालत है , उसमें जल्द से जल्द सुधार हो ताकि बाजार में रहने वाले रहवासियों ओर सामान्य जनता को राहत मिल पाए ।।
जनता के सुझाव :-
1 :- भारी एवं बड़े वाहनों को दिन में बाजार में जाने पर प्रतिबंद कर दिया जाए उनकी समय सीमा तय हो कि किसी भी व्यापारी को अगर अपनी दुकान में माल उतरवाना होतो रात्रि में 10 बजे से सुबह 5 बजे तक वह अपना कार्य कर सके ।
2 :- बाजार में दुकानदारों से आग्रह करे कि अपनी दुकान की सीमा के बहार अपना सामान न रखे एवं दुकान पर आने वाले ग्राहक से निवेदन करे कि अपना वाहन सही से खड़ा करे एवं सिमा में खड़ा करे ।
3 :- एक विशेष अभियान जो महीनों तक चले ताकि लोगो को ट्रैफीक नियमो का पालन करने की आदत पड़े और वह इस ओर जागरूक हो ।
*क्योकि साहब चालन काटने ओर डंडा मारने से आप कुछ दिन ही हालत पर काबू पा सकते हो पर ये आजीवन समस्याओं का समाधान नही है ।*
एस पी साहब एवं झाबुआ टीआई एवं ट्रैफिक पुलिस इंचार्ज इस ओर ध्यान दे क्योकि जनता की समस्याओं को आप तक खबर के माध्यम से पहुचाने का कार्य हमारा है पर उस पर अमल करना और करवाना आपका ।।