झाबुआ

सूचना के अधिकार अधिनियम अंतर्गत वन विभाग द्वारा आवेदक को अधूरी जानकारी देकर किया जा रहा गुमराह

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झाबुआ – जिले में के कई विभागों में अधिकारी कर्मचारियों की मनमानी का दौर जारी है । इसी कड़ी में वन विभाग झाबुआ से आवेदक द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम अंतर्गत सामग्री खरीदी को लेकर जानकारी चाही गई । विभाग द्वारा आवेदक को संपूर्ण जानकारी न देते हुए आधी अधूरी जानकारी देकर गुमराह किया जा रहा है तथा कर्मचारी दारा पुनः आरटीआई के तहत जानकारी मांगने के लिए कहां जा रहा है । और इस तरह आरटीआई के तहत आवेदक को परेशान किया जा रहा है ।

जानकारी अनुसार आवेदक द्वारा वनमंडलाधिकारी वन मंडल झाबुआ से आवेदक ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत वर्ष 2021- 22 में विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए कुल बजट कितना प्राप्त हुआ तथा कहा कहा इसका उपयोग किया गया तथा निर्माण कार्यो के लिए सामग्री खरीदी की संपूर्ण प्रक्रिया की सत्य प्रतिलिपि की मांग की ।साथ ही साथ वन विभाग द्वारा वर्ष 2021-22 मे निर्माण सामग्री के अलावा अन्य सामग्री खरीदी की संपूर्ण प्रक्रिया की सत्य प्रतिलिपि की मांग की गई । लेकिन विभाग द्वारा आवेदक को आधी अधूरी जानकारी प्रेषित की गई । जिसमें सामग्री खरीदी को लेकर पद्धति की बात की गई जबकि बिलों की प्रतिलिपि नहीं दी गई ।जब आवेदक द्वारा इस हेतु वन विभाग से संपर्क किया गया तो विभाग के कर्मचारी द्वारा कहा गया कि आपने आवेदन में बिलो की प्रतिलिपि की मांग नहीं की है । जबकि आवेदन में संपूर्ण प्रक्रिया की सत्य प्रतिलिपि की मांग की गई। आरटीआई नियम में यदि किसी भी बिंदु को लेकर या जानकारी को लेकर असमंजस है तो आवेदक का मोबाइल नंबर आवेदन पर अंकित होता है । लेकिन कर्मचारी की मनमानी कार्यशैली का यह ज्वलंत उदाहरण है । जबकि आवेदन में स्पष्ट रूप से लिखा है कि संपूर्ण प्रक्रिया की सत्य प्रतिलिपि । वही कर्मचारी द्वारा पत्र क्रमांक / सू.का.अधि.//2022/2575 के माध्यम से अपनी सफाई पेश करते हुए लिखा… कि आपने आपके आवेदन में बिलों की प्रतिलिपि की मांग नहीं की गई है इसके लिए आपको पुनः अलग से आवेदन देना होगा । जो समझ से परेहैं । इस तरह वन विभाग का कर्मचारी आरटीआई के तहत अधूरी जानकारी देकर आवेदक को गुमराह भी कर रहा है और पुनः इस अधिनियम के तहत आवेदन देनै के लिए बाध्य कर रहा है । आखिर क्या कारण है कि इस विभाग के कर्मचारी द्वारा सामग्री खरीदी की सत्य प्रतिलिपि देने से इनकार किया जा रहा है और पुनः आवेदन की बात कह रहा है । इस तरह आरटीआई के तहत जानकारी देने के एवज में आवेदकों को गुमराह करने पर भी कर्मचारियों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाना चाहिए । जिससे इस अधिनियम की पारदर्शिता बनी रहे और विभाग समय अनुसार जानकारी उपलब्ध कराता रहे ।

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