झाबुआ

इन्द्रियो पर नियंत्रण वेराग्य की और ले जाता हे जिससे जीव मोक्ष के नज़दीक होता हैे -मुनि निपुणरत्न विजयजी

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इन्द्रियो पर नियंत्रण वेराग्य की और ले जाता हे जिससे जीव मोक्ष के नज़दीक होता हैे -मुनि निपुणरत्न विजयजी
झाबुआ । स्थानीय श्री राजेंद्र सूरी पौषद शाला , श्री ऋषभदेव बावन जिनालय मे चातुर्मास हेतु विराजित आचार्य श्रीमद विजय नित्यसेन सुरीश्वरजी मसा आदि ठाना 14 व साध्वीश्री विराजित हैे । 10जुलाई और 11जूलाई को पूज्य श्री की नीश्रा मे चातुर्मास क्यों विषय पर पूज्य मुनिराज निपुणरत्न विजयजी मसा के प्रवचन हुए । सोमवार को पूज्य मुनिश्री ने कहा चातुर्मास मे जिनवाणी का श्रवण कर उनके बचनों को जीवन मे उतारने का अवसर होता है । चातुर्मास प्रवेश अन्तर्गत , उपस्थान . उपराग , उपबेश और उपवेध शब्दो का महत्व हेै, जिसमे उपस्थान याने उपाश्रय मे प्रवेश , उपराग याने प्रवचन का कान में प्रवेश , उपबेश याने हृदय मे प्रवेश , और उपवेध याने जीवन परिवर्तन । जब तक चातुर्मास मे इस क्रम से नही जुडेंगे तब तक हम चाहे जितने चातुर्मास करे लाभ नही होगा । पूज्य निपुणविजयजी ने विस्तार से चातुर्मास का महत्व समझाया । उन्होने कहाँ कि इस जगत मे तीन प्रकार के जीव मोक्ष की अग्रसर होते हैे -एक स्वयंबुध्द ,दुसरा प्रत्येकबुध्द .और तीसरा बुध्दबोधित । प्रथम प्रकार मे ऐसा श्रेष्ठ जीव मोक्ष की और अग्रसर होता जो बिना निमित्त और प्रेरणा से आगे बढ़ते है । दूसरे प्रकार मे ऐसा जीव जिसे मोक्ष की और अग्रसर हेतु बाहय निमित्त से मदद प्राप्त कर आगे बढ़ते हैे और सबसे महत्वपूर्ण तीसरा प्रकार हेै जिसमे गुरु के उपदेश और प्रेरणा द्वारा बोध प्राप्त करके मोक्ष मार्ग की अग्रसर होते हेै । हम सभी गुरु की प्रेरणा और उपदेश से मोक्ष मार्ग की और अग्रसर हो सकते हेै । आपने उदाहरण देते हुए कहाँ कि जिनशासन मे ऐसे कई घटनाएँ हुई हेै, जिसमे व्यक्ति झुक जाये तो भी केवल ज्ञान और नही झुके तो भी केवल ज्ञान प्राप्त कर सकते है , बस आवश्यकता विवेक और बुद्धि से यह जानने की हेै कि कहाँ झुकना और कहाँ नही झुकना । हमने मैे कौन हूँ इसकी व्याख्या ही गलत कर रखी हैे इसलिये मेरा -मेरा मे जीवन व्यतीत हो रहा हेै । इसी से उपाधि खड़ी हो रही हेै ,जबकि वास्तविकता मंे जो आपसे अलग हेै उसे मेरा नही माने । केवल हमे हमारे ज्ञान को हमारे गुणों को अपना माने तो सही रास्ते पर है, इससे व्यक्ति सम्यक दर्शन की और बढ़ सकता हेै। आपने कहा कि जिन वचनों को अपने मन मे ऐसा धारण करे और उन्हे ऐसा प्रतिष्ठित करे कि संसार का एक भी पदार्थ आपको विचलित नही कर सके । जितने भी जीव मोक्ष गये हैे सबने जिन वचनों को आत्मसात किया हैे , हमे ज्ञान सब हैे . जानते सब है किंतु मानते नही हेै । प्रभु वन्दना श्रध्दा से एक वार ही ऐसी हो की केवल ज्ञान प्राप्त हो जाये । श्रध्दा अगर नही हैे तो जीवन मे कितने भी चातुर्मास करवाये जीवन मे परिवर्तन नही आयेगा ।
12 जुलाई के कर्यक्रम –
श्री मुकेश जैन ने बताया कि आज चातुर्मास के प्रथम दिवस से प्रतिदिन अष्टप्रकारी सामग्री से गहुली की जावेगी , साथ ही प्रतिदिन गुरूदेव पूज्य राजेंद्र सुरीश्वरजी मसा और पुण्य सम्राट पूज्य जयंतसेन सुरीश्वरजी मसा की आरती की जावेगी । प्रवचन सुबह 9 बजे से 10-30तक पूज्य आचार्य श्री और मुनि भगवन्तौ के प्रवचन होंगे । संचालन डा प्रदीप संघवी ने किया ।
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