श्री संघ मे आज से हुआ चातुर्मास का आगाज —- चातुर्मास पर्व के दौरान की गई आराधना अन्य दिनो मे की गयी आराधना से ज्यादा फलदायीं होती है- पूज्य आचार्य श्रीमद् विजय नित्यसेन सूरिश्वरजी मसा ।
श्री संघ मे आज से हुआ चातुर्मास का आगाज —- चातुर्मास पर्व के दौरान की गई आराधना अन्य दिनो मे की गयी आराधना से ज्यादा फलदायीं होती है- पूज्य आचार्य श्रीमद् विजय नित्यसेन सूरिश्वरजी मसा ।
झाबुआ । स्थानीय श्री राजेन्द्र सूरी पौषध शाला श्री ऋषभदेव बावन जिनालय में पुण्य सम्राट श्रीमद विजय जयंतसेन सुरीश्वरजी मसा के पट्टधर पूज्य गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद विजय नित्यसेन सुरीश्वरजी मसा और साधु साध्वी मंडल की पावन निश्रा मे आत्मानन्दी चातुर्मास का आगाज हुआ । जानकारी देते हुए डा. प्रदीप संघवी ने बताया कि मंगलवार सुबह से ही चातुर्मास चतुर्दशी होने से जिनालय मे प्रभु पूजन करने वालो की कतारें देखी गयी । सुबह भक्ताम्बर पाठ और स्नात्र पूजन का आयोजन हुआ प्रातः 9 बजे से प्रवचन प्रारम्भ हुए । इस अवसर पर पूज्य आचार्य नित्यसेन सुरीश्वरजी मसा ने उपस्थित समाजजनो से चातुर्मास के दौरान अधिक से अधिक आराधना करने का उपदेश दिया । आपने नवकार आराधना करने हेतु निर्धारित नियमों का उल्लेख करते हुए कहाँ कि श्रध्दा से की गई कोई भी आराधना ही लाभप्रद होगी । इस अवसर पर पूज्य मुनिराज़ निपुणरत्न विजयजी ने अपने नियमित प्रवचन मे कहा कि चातुर्मास पर्व के दौरान की गई आराधना अन्य दिनो मे की गयी आराधना से ज्यादा फलदायीं होती है । जेैसे व्यापार मे जब कोई सीजन आती तो ज्यादा फायदा मिलता और व्यापारी ज्यादा मेहनत भी करता है,े उत्साहित भी होता हेै । आपने कहा कि मोक्ष जाने के दो ही रास्ते हैे या तो स्वयं ज्ञानी बन जाये या फ़िर ज्ञानियों की उँगली पकड़ कर उनकी शरण मे चले जाये और उनका अनुसरण करे । तीसरा कोई भी विकल्प नही हेै । आपने कहा कि व्यक्ति को मोक्ष के लिये दुसरा रास्ता याने ज्ञान का अर्जन करने का हेै, उसमे भी व्यक्ति शास्त्र पढ कर ज्ञान प्राप्त कर सकता है और यदि संशय हो तो समाधान भी शास्त्रों को पढ़कर कर सकते हेै । साथ ही गुरु भगवन्तॉ के बताये रास्ते पर विश्वास करे और उस रास्ते पर चले । आपने कहा कि प्रवृत्ति में पाप नही होता है , वृत्ति में पाप होता है,े प्रवृत्ति मे रहकर किया धर्म दिखता भी हैे जबकि वृत्ति मे धर्म दिखता नही है । ज्ञानियों ने इसलिये प्रवृत्तियौ को ज्यादा महत्व नही दिया । प्रवृतितयों से हमेशा बंध होता हैे जबकि अनुबंध वृत्तियों से ही होता हेै । इस वात को आपने शालीभद्र का उदारहण देते हुए समझया कि उनकी रिध्दि सिंधी उनके व्रति मे रहने ही मिली । आपने कहा की चातुर्मास पर्व के दौरान उपयोग की जाने वाली सामग्री उच्च योग्यता वाली होना चाहिए । सामायिक करने से शुभ और समभाव आते हैे । प्रतिक्रमण से पाप नष्ट होते और प्रभु पूजन से जीवों के प्रति मेैत्री भाव का उद्भव होता है । इन दिनो मे धर्म करने से सबसे बडा लाभ होता हेै आत्मा का बोध होना । आपने राजा कुमार पाल का उदारहण दिया कहा कि 18 देशों के शासक होने के बावजुद चातुर्मास के दौरान वे मंदिर और पौषधशाला मे रहते थे, राज़ दरबार मे नही जाते थे । इसलिय उन्हे अभी भी हम याद करते है । आपने कहा कि पाप निवृत्ति के बिना धर्म प्रवृत्ति कभी भी नही हो सकती है । आत्मा तो असंयोगी हेै जबकि हमारा जीवन संयोगी , स्वभाव से ही चल रहा है ।
आज सभा मे विभिन्न चढ़ावा बोले गये । सर्व प्रथम चातुर्मास के दौरान वाचन हेतु योगसार ग्रंथ और जम्बू कुमार चारित्र सूत्र को वोहराने का चढ़ावा कमलेश सुजानमल कोठारी परिवार और चन्द्रसेन , अभय ,प्रकाश , प्रदीप कटारिया परिवार वालो ने लिया । गुरू पूर्णिमा के दिन गहुली करने का लाभ राकेश राजेंद्र रतनलाल मेहता परिवार ने लिया । आज पूज्य गुरुदेव राजेन्द्रसुरीश्वरजी मसा और पुण्य सम्राट पूज्य जयंतसेन सुरीश्वरजी की प्रतिमा की प्रतिदिन आरती हेतु स्थापित की गयी, जिसका लाभ कमलेश कोठारी परिवार ने लिया । अंत मे दोनो गुरुदेव की आरती कमलेश कोठारी परिवार ने उतारी । संचालन डा प्रदीप संघवी ने किया ।
चातुर्मास के आगाज के साथ ही जैन मंदिरों पर लगा रहा तांता –
चातुर्मास की आसाढ चतुर्दशी के पावन अवसर पर मंगलवार को स्थानीय गौडी पार्श्वनाथ मंदिर पर भी श्रावक श्राविकाओं का तांता लगा रहा । इस अवसर पर नगर के साथ ही साथ बाहर से भी बडी संख्या में श्रावक श्राविकाओं ने भगवान पार्श्वनाथ का पंच कल्याणक पूजन भी विधि विधान से सम्पन्न किया । वही मेघनगर रोड स्थित महावीर बाग , नाकोडा पार्श्वनाथ मंदिर पर भी दोपहर 1 बजे तक पूजनादि करने वालों की भीड दिखाई दी । वही निकटवती देवझिरी तीर्थ पर भी चैत्यवंदन, देववंदन ,दर्शन वंदन का क्रम अनवरत बना रहा । पूरी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ चातुर्मास की अगवानी की गई । पूरेनगर का वातावरण महावीरमय दिखाई दिया ।