झाबुआ

गुरू संसार की बेडियो से मुक्त कर अनंतभवो की यात्रा का अंत करने मे सहायक होते हैे– आचार्य श्री नित्यसेनसुरीश्वरजी मसा ~~~ गुरू पुर्णिमा के अवसर पर गुरूमय हुआ धार्मिक माहौल

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गुरू संसार की बेडियो से मुक्त कर अनंतभवो की यात्रा का अंत करने मे सहायक होते हैे– आचार्य श्री नित्यसेनसुरीश्वरजी मसा ~~~
गुरू पुर्णिमा के अवसर पर गुरूमय हुआ धार्मिक माहौल

झाबुआ । स्थानीय श्री राजेंद्र सूरी पौषधशाला , श्री ऋषभदेव बावन जिनालय मे चातुर्मास हेतु विराजित पुण्य सम्राट पूज्य श्री जयंतसेनसुरीश्वरजी मसा के पट्टधर गच्छाधिपति आचार्य नित्यसेनसुरिश्वरजी मसा ने बुधवार को गुरू पुर्णिमा पर्व के अवसर पर उपस्थित झाबुआ जैन समाज और बाहर से आये श्री संघ के समक्ष प्रवचन देते हुए कहाँ कि चार प्रकार के गुरू बताये गये हैे । प्रथम जन्म देने वाली माता , दूसरे पिता , तीसरा शाला के शिक्षक , और चौथे आध्यात्मिक गुरु । इनमें से जो चौथे गुरु भगवंत होते हे वे सबसे महत्वपूर्ण इसलिये हेै कि वे संसार से हमें तिराने वाले होते हैे । अनंतभव से हम इस संसार की यात्रा कर भटक रहे है,े लेकिन मुक्ति नही मिल रही हेै , यदि हम श्रेष्ठ गुरू की उँगली थाम ले तो वे हमारी संसार की बेडियो से मुक्ति दिलाकर अनंतभवो की यात्रा का अंत कर सकते हेै । इस अवसर पर मुनिराज पूज्य निपुणरत्न विजयजी मसा ने कहाँ कि हमारी बुद्धि का उपयोग कर , जीवन की डोर हमे ऐसे गुरू के हाथो मे सोैप देना चाहिए जो हमारी आत्मा का कल्याण कर सके । आपने कहा कि जीवन मे तत्व का विचार नही होने से अशांति रहती हैे , यदि तत्व का ज्ञान होगा तो कोई भी विकल्प नही होगा । यह तत्वज्ञान का बोध हमे श्रेष्ठ गुरू ही करा सकते हेै । उनकी कृपा प्राप्त करना होगी ।  आपने गुरू भक्ति केैसी हो इस पर कहा कि गौतम प्रभु के 1500 शिष्यों ने गुरु गौतम का शरण लिया और दीक्षा ले ली और केैवल्य ज्ञान को प्राप्त हुए । क्योंकि उनकी गुरू गौतम की समर्पण भाव से भक्ति थी, और तुरंत फल प्राप्त हुआ । मुनिवर ने आगे कहा कि  समर्पित जीवों को कभी भी गुरू का वियोग नही होता हेै, क्योंकि गुरू की शिक्षा प्रेरणा सदा साथ रहती हेै । हमारे गुरू पुण्य सम्राट अभी हमारे साथ नही हेै, किन्तु उनके बताये मार्ग पर चल रहे हैे तो ऐसा लगता है,े अभी भी पुण्य सम्राट हमारे साथ हेै । गुरू के प्रति या तो समर्पित होंगे या असमर्पित होंगे, तीसरा कोई भेद हेै ही नही । जैेसे सुधर्मा स्वामी ने जम्बू स्वामी को बांचना देते हुए कहाँ था कि जेैसा मेरे भगवान महावीर के पास रहकर सुना हेै, वही सुना रहा हूँ । आपने श्रेष्ठ गुरू के गुणों का वर्णन करते हुए कहा कि गुरु महाव्रतों का धारण करने वाला , धेर्य रखने वाला , समभाव वाला , और सम्पूर्ण जीवन भिक्षा से चलाते है,े वे ही श्रेष्ठ गुरू कहे जा सकते है । जो आत्मा निकट भविष्य मे मोक्ष को प्राप्त करने वाली हैे समझो वह गुरू के अनुशासन में रह ही रहा होगा ।

प्रवचन के पश्चात गुरुदेव आचार्य पूज्य नित्यसेन सुरीश्वरजी के दुध से पद प्रक्षालन सम्पूर्ण उपस्थित जनो ने किये । तरुण परिषद के सदस्यों ने सामूहिक अक्षत से वधामना की । इसके पश्चात पूज्य गुरुदेव श्रीमद विजय राजेंद्रसुरीश्वरजी , पुण्य सम्राट पूज्य जयंतसेनसुरीश्वर जी और वर्तमान आचार्य पूज्य नित्यसेन सुरीश्वरजी मसा की वासक्षेप से पद पूजन लाभार्थी परिवार स्व. सरस्वती हीरालाल जी रांका की स्मृति मे पंकज राका रम्भापुर परिवार ने लिया । आरती का लाभ प्रमोद भण्ड़ारी परिवार ने लिया । संगीतमय संचालन आशीष जैन जावरा ने किया ।

मीडिया प्रभारी डा, प्रदीप संघवी ने बताया कि सुबह से गुरू आशीर्वाद लेने हेतु अनेक श्री संघ झाबुआ आये ।  सुबह 7-30 पर श्री आदिनाथ राजेंद्र जयंत संगीत मंडल द्वारा ओएल जैन , दीपक मूथा , निखिल भंडारी , विजय कटारिया आदि ने सामूहिक गुरुदेव राजेंद्र सुरीश्वरजी मसा की अष्ट प्रकारी पूजन पढ़ाई । आकर्षक गहुली राकेश राजेंद्र मेहता परिवार ने की । आभार सचिव भारत बाबेल ने माना ।
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