अच्छा साहित्य हमारा मार्गदर्शक और गुरु होता हैं -डॉ० के०के० त्रिवेदी
डॉक्टर सक्सेना रचित
“सफलता की ओर” पुस्तक का हुआ विमोचन
जोबट– पुस्तकों में जीवन का अनुभव समाया हुआ है जिससे समाज के विकास के साथ-साथ आने वाली पीढ़ियों के लिए वे मार्गदर्शन का काम करती है । पुस्तके संस्कृति की विरासत को संभाल कर रखती है। साहित्य समाज का दर्पण होता है और पुस्तके मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र होती है । जीवन का लक्ष्य निर्धारण करने में आने वाले प्रश्नों का उत्तर देने में पुस्तको की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। अच्छा साहित्य हमारा मार्गदर्शक और गुरु होता है । डॉक्टर सक्सेना द्वारा रचित पुस्तक “सफलता की ओर” समाज के सभी वर्गों को दिशा प्रदान करती है तथा सभी को आत्मबल और हौसला देती है । पुस्तक में विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से समाज को विकसित एवं सशक्त बनाने के साथ-साथ व्यक्तित्व विकास कर माननीय मूल्यों के नवीन मापदंड स्थापित करने के बारे में उल्लेख किया गया है। उक्त विचार इतिहासकार एवं शिक्षाविद तथा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और प्रमुख वक्ता डॉ० के०के० त्रिवेदी ने अगाल धर्मशाला में “सफलता की ओर” पुस्तक के विमोचन समारोह में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर अतिथियों का अभिनंदन किया गया । श्रीमती कविता वाणी ने कविता के माध्यम से मां सरस्वती की वंदना की । इसके पश्चात डॉ० शिवनारायण सक्सेना ने विमोचन की जाने वाली पुस्तक के बारे में जानकारी देकर अपने लेखन कार्य एवं साहित्य साधना की यात्रा के अनुभवों को साझा किया। उन्होंने अपने 1960 से 1970 के दशक में विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित 26 लेखो को संजोकर पुस्तक के रूप में संकलित किया है। जिसे पार्थ प्रकाशन, जोबट द्वारा प्रकाशित किया गया है ।
विशेष अतिथि श्रीमती माधुरी सोनी ” मधुकुंज” अलिराजपुर ने पुस्तक के लेखों को सभी आयु वर्ग के लिए उपयोगी एवं प्रेरणादायी बताया तथा जीवन को गतिमान बनाए रखने के पुस्तक के महत्वपूर्ण बताया । एम०एल० फुलपगारे ने जीवन में बदलाव की पहल कर अपने सपनों को पूरा करने के लिए पुस्तक के लेखो को सार्थक बताया। इसके लिए उन्होंने पुस्तक में उल्लेख किए विभिन्न उदाहरण दिए। पंडित गणेश उपाध्याय ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि किसी भी देश की संस्कृति को जानना हो तो वहां के साहित्य को पढ़ना चाहिए। पुस्तक “सफलता की ओर ” समाज को दिशा देकर वर्तमान समय में सभी के जीवन मूल्यों के लिए उपयोगी बताया।
संचालन फिरोज सागर एवं आभार श्रीमती सारिका सक्सेना ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित जनसमुदाय ने पुस्तक को काफी सराहा । इस अवसर पर अलग अलग शहरों एवं नगर के करीब 150 साहित्य प्रेमीगणो ने प्रतिभाग किया जिनको पुस्तक के प्रति भी भेंट की गई।