झाबुआ

धर्म ध्यान , शुक्ल ध्यान मोक्ष के निकट ले जाता है । आत्मा की विषुद्धि हेतु वीतराग परमात्मा का ध्यान करना चाहिए – पूज्य मुनि निपुणरत्न विजय जी मसा । चातुर्मास में प्रतिदिन आध्यात्म एवं ज्ञान का लुट रहा खजाना ।

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धर्म ध्यान , शुक्ल ध्यान मोक्ष के निकट ले जाता है । आत्मा की विषुद्धि हेतु वीतराग परमात्मा का ध्यान करना चाहिए – पूज्य मुनि निपुणरत्न विजय जी मसा ।
चातुर्मास में प्रतिदिन आध्यात्म एवं ज्ञान का लुट रहा खजाना

झाबुआ । योगसार ग्रंथ मे प्रथम गाथा मंगलाचरण की दी गयी है,े जिसमे परमात्मा के प्रति प्रार्थना की गयी है । परंतु प्रार्थना मे यदि वास्तविक स्पर्श हेै तो हमारी प्रार्थना क्षण भर मे स्वीकृत हो जाती हेै । परमात्मा मोक्ष मे होने के बावजूद उनके ऊर्जा के रुप मे शास्त्र ,अनुष्ठान , घटना का संयोग आ जाये तो बोध देने ज़रूर आ सकते है । दर्शन मोहनिय कर्म जीव को यह महसूस नही होने देता कि मेै शुध्द आत्मा हूँ । चारित्र्यमोहनीय कर्म विषय कषायौ में जोड़कर चौबीस घंटे आत्मा मंे स्थिर नही होने देते है । इस कारण से हम स्वभाव को छोड़कर विभाव दशा में रह रहे हेै । देह को ही ’’मै’’ मान बेैठे हैे और मोहनिय कर्म को इतना पुष्ट कर रहे है कि आत्मा को दुर्गति मे डाल रहे है । यह प्रेरक उदबोधन आज सोमवार को पूज्य आचार्य पुण्य सम्राट जयंतसेनसुरीश्वरजी मसा और वर्तमान आचार्य नित्यसेन सुरीश्वरजी मसा के सूशिष्य मुनिराज पूज्य निपुणरत्न विजय जी मसा ने श्री राजेंद्र सूरी पौषधशाला में योगसार ग्रंथ का वाचन करते हुए कही । आपने कहा कि सहज ज्ञान और समभाव का साक्षी रहना, यह मेरा स्वभाव हैे यह स्थिरता होना चाहिए । इसके लिये सदगुरू और अनुभवी गुरू आवश्यक हेै । आपने दूसरी गाथा का वर्णन करते हुए बताया कि ध्यान साधना का श्रेष्ठ अंग है । और ज्ञानियों ने ध्यान कैेसा हो यह भी बताया हेै । ध्यान तन्मयता पूर्वक होना चाहिए । जब योगी आत्मा का ध्यान करता हेै तो अपने आप तन्मय हो जाते हैे । हमारा ध्यान के समय ध्येय भी शुभ होना चाहिए । यदि हम प्रवचन भी तन्मयता से सुने तो हो सकता हैे सुनते सुनते ही कई कर्म समाप्त हो जाते है । यह देह को पर और स्वभाव मे रहने से ही हो सकता है । आंद्रध्यान से बचे क्योंकि वह मनुष्य को तीर्यन्च गति की और धकेलता है । धर्म ध्यान , शुक्ल ध्यान मोक्ष के निकट ले जाता है । आत्मा की विशुद्धि हेतु वीतराग परमात्मा का ध्यान करना चाहिए । एकाग्रता पूर्वक , ध्येय पूर्वक , शुभ भाव से किया ध्यान का फल तो तत्काल मिल जाता हेै ।
इसके पश्चात जम्बूकुमार स्वामी चरित्र का वाचन पूज्य मुनिराज़ प्रशमसेन विजयजी म सा ने किया उन्होने कहा कि महान चरित्र सुनने से चारित्र की प्राप्ति जल्दी होती हे।
पूज्य मुनिराज़ निपुणरत्न विजयजी मसा का आज 41 वे जन्म दिवस पर झाबुआ श्री संघ और चातुर्मास समिति के सदस्यों ने शुभकामनाये देकर आशीर्वाद ग्रहण किया । आज झाबुआ मे उनके सांसारिक परिवार की मातुश्री और भाई हितेशचंद्र और अन्य सदस्य भी झाबुआ आये और पूज्य आचार्य नित्यसेन सुरीश्वरजी मसा और निपुणविजयजी मसा के दर्शन वंदना हेतु आये । उल्लेखनीय है कि पूज्य निपुणरत्न विजय जी झाबुआ जिले के कुंदनपूर ग्राम के मूल निवासी हैे और वर्तमान मे सांसरिक परिवार दाहोद मे निवासरत है । इस अवसर पर सम्पूर्ण परिवार का बहुमान शाल, श्री फल , तिलक और माला पहनाकर लाभार्थी कमलेश कोठारी और चातुर्मास समिति और श्री संघ की और से अध्यक्ष मुकेश जैन , मनोहर भंडारी, भारत बाबेल , अनिल रुनवाल, यशवंत भंडारी सहित समस्त पदाधिकारियों व सदस्यों ने किया ।अंत मे गुरुदेव की आरती दाहोद से आये हितेशचंद आदि परिवार ने की । मंगलवार को पूज्य आचार्यश्री मुनिमंडल सहित श्री संघ रॉयल गार्डन जायेंगे जहाँ संतोष जैन परिवार ने अपनी मातुश्री की आत्म श्रेयार्थ आयोजित जिनेद्र भक्ति महोत्सव को निश्रा प्रदान करेंगे तथा प्रवचन भी वही होंगे ।

 

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