झाबुआ

आवारा पशुओं का बना रहता है जमावडा,
साफ सफाई एवं स्वच्छता के मामले मे फिसड्डी साबित हो रही नगरपालिका झाबुआ ।

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झाबुआ । नगर की साफ सफाई का जिम्मा उठाने वाली नगर पालिका परिषद की नाक के नीचे गंदगी का साम्राज्य बना हुआ है । नगर का स्वच्छ एवं स्वच्छता का दंभ भरने वाली नगरपालिका परिषद की जापरवाही एवं अरूचि के चलते झाबुआ को स्वच्छ झाबुआ सुंदर झाबुआ खुशहाल झाबुआ बनाने के दावे हवा हवाई हो रहे है । नगर पालिका कर्मचारियों की उदासीनता के चलते नगर में चहुंओर गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ है। सफाई कर्मचारी कार्य को सही तरीके से अंजाम नहीं दे रहे। नगर में सफाई व्यवस्था चौपट हो चुकी है। यत्र तत्र सर्वत्र आवारा पशुओं का विचरण करना, जहां तहां डेरा डाल कर बैठ जाना नगर की नियति तो बन ही चुका है वही गंदगी के साथ ही लोगों के आने जाने में भी ये अवरोध बन रहे हेै । नगर के हृदय स्थल राजवाडा का ही उदाहरण लेवे तो यहां प्रातःकाल 10 बजे तक दर्जनों की संख्या में पशुओं जमावडा दिखाइ्र देता है । श्रावण मास में जहां हर वार्ड, हरी गली मोहल्ले से जहां बडीसंख्या में महिलायें एवं श्रद्धालुजन भगवान भोलेनाथ के अभिषेक, पूजन, अर्चन आदि के लिये जाते है तो उन्हें इन आवारा पशुओं के कारण परेशानिया उठाना पडती है । चातुर्मास के चलते जैन भगवंतों का भी नगर में आगमन होने से उन्हे भी प्रातःकाल श्रावकों के घर आदि आने जाने में परेशानिया झेना पड रही है।
नगर में कांजी हाउस के नाम से लाखों का नगरपालिका द्वारा प्राधान किया जाने के बाद भी उक्त मद की रकम कहां व्यय हो रही है यह समझ से परे है तथा चर्चा तो यह भी है कि कांजी हाउस के नाम से मोटी रकम नपा के सर्वेसर्वाओं द्वारा डकारे जारहे हेै । नगरपालिका के अध्यक्ष एवं पार्षदों का भी ध्यान नगर विकास एवं सफाई व्यवस्था को लेकर नही है ।
स्वच्छता का डिंढोरा पिटने वाली नगरपालिका की नाक के नीचे ही स्थानीय बस स्टेंड स्थित यात्री प्रतीक्षालय में भी साफ सफाई का पूरी तरह अभाव ही सिद्ध करता है कि सफाई के मामले में नगरपालिका कितनी गंभीरता से काम कर रही है । इस बस स्टंेड से प्रतिदिन काम की तलाश में सैकडो की संख्या में गा्रमीण मजदूर गुजरात महाराष्ट्र राजस्थान आदि काम की तलाश में जाते है,। उन्हे बस के लिये इसी यात्री प्रतीक्षालय में रात्री को रूकना पडता है । मंगलवार की रात को जब इस यात्री प्रतीक्षालय का अवलोकन किया गया तो यहां पर चारो तरफ गंदगी पसरी हुई नजर आई, यत्र-तत्र सर्वत्र कचरा एवं गंदगी पसरी पडी थी तथा ऐसे में आदिवासियों के छोटे छोटे बच्चें भी ऐसे माहौल में खेलते हुए दिखाई दिये । स्वाभाविक है कि ऐसे में बच्चों एवं गरी आदिवासियों को इससे उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पडने की संभावना बनी रहती है । नगरपालिका प्रशासन भी सिफ्र मतलब के कामों में ही तवज्जों देता है तथा जनहित एवं साफ सफाई की ओर कोई ध्यान नही दे रहा है । नगर के हृदय स्थल सहित आवारा विचरण एवं रात्री में डेरा डालने वाले आवारा पशुओं के लिये वैकल्पिक प्रबंध नही किये तािा बस स्टेंड सहित नगर में चारों और फैली गंदगी , नालियों की नियमित साफ सफाई , आदि की ओर ध्यान नही दिया तो नगर की जनता कभी भी आक्रोशित होकर आन्दोलन के लिये हो सकती है बाध्य ।

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