आज हर किसी के जीवन में उतार-चढ़ाव है, ऐसे में रामकथा उन्हें सच्चाई का एहसास करवाती है- पूज्य रामानुजाचार्य जी~~~~ जिले के सैकडो भक्तो द्वारा मंदाकीनी के तट पर चित्रकूट मं श्रवण की जारही राम कथा ।
आज हर किसी के जीवन में उतार-चढ़ाव है, ऐसे में रामकथा उन्हें सच्चाई का एहसास करवाती है- पूज्य रामानुजाचार्य जी~~~~ जिले के सैकडो भक्तो द्वारा मंदाकीनी के तट पर चित्रकूट मं श्रवण की जारही राम कथा । झाबुआ । व्यक्ति को जीवन में उन्नति के लिए आशावादी और आशा की किरण को पूरा करने के लिए ईश्वरवादी होना जरूरी है। भागवत कथाओं में जीवन जीने के लिए जरूरी बातों का समावेश है। भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र ही धर्म है। भगवान राम अपने गुरु, पिता, भाई संत, अनुचर, सहचर से कैसे व्यवहार करते हैं। धर्म को समझना हो तो उनके आदर्श को अपना लें तो धर्म का पालन हो जाएगा क्योंकि, धर्म के सारे लक्षण भगवान के चरित्र में समाहित हैं। हिन्दु तीर्थ चित्रकुट में 20 से 28 जुलाई तक आयोजित श्री राम कथा में बडी संख्या में झाबुआ जिल सहित अन्य प्रदेशो से बडी संख्या में आये श्रद्धालुओं को राम कथा श्रवण कराते हुएपूज्य श्री रामानुजाचार्य जी ने कही ।
चित्रकुट में आयोजित श्री राम कथा के बारे में कथा आयोजक गंभीरमल राठी एवं रमेशचन्द्र सोनी ने बताया कि इस बार पूज्य श्री रामानुजाचार्य के मुखारविंद से पवित्र मंदाकीनी नदी के तट पर राम कथा प्रवाहित होरही है । पिपलखुंटा के महन्त श्री दयसरामदास जी महाराज का सानिध्य भी राम कथा में प्रतिदिन मिलरहा है । पूज्य दयारामदास जी महाराज ने व्यास पीठ पर बिराजित पूज्य रामानुजाचार्य जी का स्वागत किया । पूजन के बाद कथा कथ श्रवण कराते हुए पूज्य रामानुजाचार्य जी ने भगवान श्रीराम के जीवन के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि राम कथा सुनने मात्र से ही मानव जीवन धन्य हो जाता है। मनुष्य जीवन के सारे दुखों का नाश हो जाता है। उसे हर स्थिति में एक समान रहने की सीख मिलती है। उन्होंने कहा कि राम नाम तो कण-कण में व्याप्त हैं। मात्र कुछ ही वक्त निकालकर अगर कोई रामकथा सुन ले तो उसका जीवन सफल हो जाता है। आज हर किसी के जीवन में उतार-चढ़ाव है, ऐसे में रामकथा उन्हें सच्चाई का एहसास करवाती है। बिना सत्संग के मानव का जीवन अधूरा होता है। जीवन के सारे कष्टों का निवारण सिर्फ राम कथा से ही संभव है। कथा व्यास ने कहा कि संस्कार से हम सभ्य और सुसंस्कृत बनते हैं। हम भारतवासी ऋषियों की संतान हैं। हमारे पूर्वजों ने संस्कार के माध्यम से हमारे जीवन को मर्यादित बनाया है। हमारे भारत में षोडश संस्कार होते हैं। जिनमें आज केवल दो दिखाई दे रहे एक विवाह संस्कार दूसरा अंतिम संस्कार। श्रीराम के विवाह के जरिए हम विवाह की महत्ता और उसके गहन अर्थों से परिचित हो सकते हैं। भारतीय संस्कृति में श्रीराम-सीता आदर्श दंपति हैं।
पूज्य रामानुजजी ने कथा में रामचरित मानस का जिक्र करते हुए कहा कि राम का साकार जन्म अयोध्या में हुआ था, लेकिन वह सच्चे भक्तों के हृदय में वास करते हैं, इसलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने हृदय को इतना निर्मल और पवित्र बनाए कि वह राम की जन्मभूमि अयोध्या बन जाए। जो व्यक्ति इस प्रयास में सफल हो जाता है, उसके सभी कष्ट मिट जाते हैं। जब परमात्मा प्रकट होते हैं तो वे वेदों के द्वारा ही जाने जाते हैं। वेद सम्मत परमात्मा जब दशरथ पुत्र राम के रूप में प्रकट हुए तो वेदों ने रामायण के रूप में अवतार लिया। रामकथा कामधेनु है। रामकथा सुनने के अधिकारी श्रद्धालु मनुष्य ही है। जब जन्म जन्मांतर के पुण्यों का उदय होता है तब रामकथा सुनाने और सुनने का संयोग बनता है। रामचरित मानस सरोबर के समान है। वेद पुराण अल्प ज्ञानियों के लिये खारे जल के समान है। साधु महात्मा इसे मीठे जल के रूप में सर्व ग्राही बना देते है। रामकथा याज्ञबल्लभ ने महर्षि भारद्वाज को सुनाया शंकरजी ने सती के साथ अगस्त मुनि राम कथा सुनी रामकथा रसिक शंकर कागभुसुंड से हंस बनकर सुनी।
प्रतिदिन मंदाकीनी के तट पर तीर्थराज चित्रकुट में राम कथा में सैकडो श्रद्धालुजन ज्ञान गंगा में डूबी लगा रहे है ।