झाबुआ – स्वास्थ्य विभाग में सीएचएमओ और जिला लेखा प्रबंधक की मनमानी का दौर जारी है दोनों ही स्वास्थ्य विभाग में जेम पोर्टल के माध्यम से लाखों-करोड़ों की खरीदी नियमों को ताक में रखकर अपनी चहेती फर्म कटारिया से कर अपनी जेबे भरने में व्यस्त हैं । इन दोनों की पदस्थापना के बाद ही स्वास्थ्य विभाग में सामग्री खरीदी को लेकर यदि जांच की जाए, तो एक बड़े घोटाले के उजागर होने की भी संभावना है । वहीं वर्तमान में जिला लेखा प्रबंधक मनीष सेन की जॉइनिंग को लेकर भी संशय बना हुआ है प्रदेश में हुई लेखा प्रबंधन की भर्ती निरस्त की जा चुकी है पर बाकानेर जिला धार से आए मनीष सेन सीएमएचओ दोनों ही जुगलबंदी कर स्वास्थ्य विभाग को खोखला करने में लगे हुए हैं । कर्मचारियों के अटैचमेंट से लेकर झोलाछाप डॉक्टरों से मासिक बंदी के अलावा मनमाने तौर पर खरीदी करना आदि अनेक कार्यप्रणाली का हिस्सा है सीएमएचओ ने सारे नियम कायदों को ताक में रखकर मनीष सेन को स्वास्थ्य विभाग में ज्वाइन करा दिया । यदि भर्ती प्रक्रिया निरस्त होती है तो संबंधित को अपनी मूल पदस्थापन पर पुनः जाना होता है और ज्वाइन करना होता है । लेकिन स्टे ऑर्डर के माध्यम से मनीष आज भी झाबुआ में यथावत कार्य कर रहा है और इसी जॉइनिंग को लेकर संशय बना हुआ है । इस तरह की जॉइनिंग को लेकर भी संभवतः सीएचएमओ झाबुआ को पार्टी बनाया गया है । इस हेतु सीएमएचओ द्वारा मिशन संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य विभाग भोपाल से पत्र क्रमांक एनएचएम/ स्थापना/ 2022/ 418 दिनांक 17 जनवरी 2022 पत्र के माध्यम से मार्गदर्शन हेतु लिखा गया है बिना मार्गदर्शन प्राप्त किए सीएमएचओ ने अपने चहेते मनीष को ज्वाइन भी करवा दिया और वित्तीय प्रभार भी सौंप दिए हैं । मात्र एक पत्र के माध्यम से मार्गदर्शन की बात लिखकर सीएमएचओ ने मनीष को अब तक रिलीज नहीं किया है ।प्रशन यह भी है कि क्या राष्ट्रीय स्वास्थ्य विभाग से अब तक उस पत्र का जवाब नहीं आया है या फिर सीएमएचओ इस पत्र की आड़ में मनीष को झाबुआ कार्यालय में ही पदस्थ रखना चाहते हैं और अपनी जेबें गर्म करना चाहते हैं यह संपूर्ण प्रक्रिया जांच का विषय है…..। क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर इस तरह की अटैचमेंट या सीएचएमओ की कार्यप्रणाली को लेकर कोई जांच और कार्रवाई करेगा या फिर जिला लेखा प्रबंधक की मनमानी यूं ही सीएमएचओ की परेशानी बनी रहेगी….।