प्रकृति के निकट रहने वाले झाबुआ जिले के किसानों को प्राकृतिक खेती के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पक्ष की बेहतर समझ विकसित करते हुऐ जमीन पर उतारने की भरपूर संभावनाऐं है। मध्यप्रदेश शासन के निर्देशानुसार कलेक्टर श्री सोमेश मिश्रा द्वारा पदत्त निर्देशो के परिपालन में प्राकृतिक खेती पद्धति को सुनियोजित ढंग से अपनाने और बढावा देने के लिये जिले के समस्त 06 विकासखण्डों में श्रृंखलाबद्ध तरीके से किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा तैयार प्राकृतिक खेती पोर्टल पर पंजीकृत कृषकों के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है।
झाबुआ जिले में प्राकृतिक खेती पर आयोजित प्रशिक्षण में कृषकों को प्राकृतिक खेती पद्धति के गुढ़ रहस्यों के साथ-साथ सैद्धांतिक और व्यवहारिक बारिकीयों से भी सुपरिचित करवाया जा रहा है। गोबर, गौ-मूत्र, गुड़, बेसन, चूना, सजीव मिट्टी के साथ-साथ नीमकरंजधतुरा, सीताफल, पपीता, अरण्डी, अमरूद इत्यादि पत्तीयों के संयोजन से जीवांमृत, बीजांमृत, घनजीवांमृत, नीमास्त्र, ब्रम्हास्त्र का सजीव ढंग से निर्माण करने की विधि को बताया जा रहा है। प्राकृतिक खेती के लिये आवश्यक मूलभूत आदान जैसे – बीजांमृत, घनांमृत, जीवांमृत, ब्रम्हास्त्र, नीमास्त्र के नीर्माण का प्रायोगिक प्रशिक्षण भी विकासखण्ड स्तर के मैदानी अमले द्वारा कृषकों के मध्य दिया जा रहा है।
प्राकृतिक खेती कार्यक्रम का उद्देश्य खेती किसानी पर आधारित आजीविका उन्नयन की दृष्टि से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना, कम लागत की नवीन कृषिगत तकनीक, युक्तियों को अपनाते हुए कम लागत में अधिक उत्पादन करते हुए खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है। प्रकृतिजन्य कृषिगत संसाधनों के बेहतर समन्वय और युक्तीयुक्त दोहन से न केवल खेती किसानी में लागत को कम किया जा सकता है, बल्कि गुणवत्तायुक्त खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ बेहतर आय भी श्रृजित की जा सकती है।
उप संचालक कृषि श्री एन.एस.रावत, परियोजना संचालक आत्मा श्री गौरीशंकर त्रिवेदी के मार्गदर्शन में विकासखण्डों के वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारीयों एवं कृषिगत अमले द्वारा उक्त प्रशिक्षण का आयोजन किया जा रहा है।
किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग जिला झाबुआ (म.प्र.)