सीएमएचओ आफीस की रेग्यूलर केशबुक ही हो गई गायब,सूत्र बताते है दो साल से नही लिखी गइ थी केशबुक डॉक्टर ठाकुर की ठकुराई में चल रहा अंधेर नगरी चौपट राजा का खेल ।
झाबुआ। स्वास्थ्य विभाग में अधिकारी कर्मचारी की लापरवाही का आलम और अपनों को उपकृत करने की प्रथा ने सारे स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम ही बिगाड़ दिया हैं ।यहां हर कोई अधिकारी कर्मचारी अपने हिसाब से इस विभाग को चलाने का प्रयास कर रहा है और अपने चहेतों को उपकृत करने के लिए नियम कायदों को ताक में रख रहा है ताकि आर्थिक लाभ पहुंचाया जा सके और हिस्सा लिया जा सके । सूत्रों के अनुसार विभागीय लापरवाही का यह आलम है कि ऑफिस की रेगुलर कैश बुक कही गुम हो गई है या घुमा दी गई है ताकि हिसाब किताब से संबंधित जानकारी देने की आवश्यकता ही ना पड़े । इस विभाग के कई कर्मचारी लूट सको तो लूट लो की तर्ज पर काम कर रहे हैं और जो राशि जनता की भलाई के लिए उपयोग की जाना है वह इनके द्वारा चहेतो तो की भलाई में लगाई जा रही है जिससे जिला प्रशासन की छवि भी धूमिल हो रही है….।
सरकारी कार्यालयों मे बिल रजिस्टर, केशबुक एवं व्हाउचर्स का इतना अधिक महत्व रहता है कि कोष संहिता के अनुसार इन रेकार्ड को कम से कम 30 वर्ष तक सुरक्षित रखना कार्यालय प्रमुख की जिम्मेवारी होती है, शासकीय कार्यालयों की केशबुक सबसीडरी रुल 53 के तहत एमपीटीसी-05 में तथा बिल रजिस्टर नियम 197 के तहत एमपीटीसी 17 में तारीख संधारित होते है । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी झाबुआ के कार्यालय में जहां अंधेर नगरी चोैपट राजा वाली कहावत अक्षरशः साबित होती जारही है । जहां भ्रष्टाचार अब तो अपनी सीमायें लांघ चुका है, खरीदी का मामला हो या फिर ट्रांसफर पोस्टिंग,अटेचमेंट का मामला हो, यहां बिना लेन देन के कुछ भी होना संभव नही है ऐसे में सरकारी केशबुक जेैसा महत्वपूर्ण अभिलेख केशबुक का कार्यालयसे गायब हो जाना भी कई सवालिया निशान खडे कर रहा है । विभागीय सेटअप के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के लेखा कार्य मे केशियर का पद निर्मित है, और केशियर को ही सरकारी आहरण करना, बिल रजिस्टर का संधारण करना, तथा भुगतान के बाद केशबुक में मद अनुसार अलग अलग खर्चा तारीख एन्द्राज करना पडता है । तथा इस केश बुक के अनुसार ही बिल रजिस्टर में भी एन्द्राज करना पडती है । केशबुक में तारीख बिल रजिस्टर में कार्यालय प्रमुख को ही प्रत्येक प्रविष्ठी के हस्ताक्षर होते है । किन्तु चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर ठाकुर साहब के आफीस में उक्त केशबुक के संधारण का काम एक निम्न श्रेणी लिपिक स्तर के कर्मचारी महूल बघेल को सोैपा हुआ है । सूत्रों से ज्ञात हुआ कि हमेशा नशे की हालत में रहने वाले मेहूल को दो वर्षोसे उक्त कार्य सोैपा हुआ है,। ऐसे कर्मचारी जिन्हे लेखापाल, या केशियर के समकक्ष कर्मचारी का प्रभार कैसे सौपा गया है यह भी विचारणीय है । पिछले दो सालों में कार्यालय की प्रतिदिन लिखी जाने वाले केशबुुक क्यो नही लिखी गई, कार्यालय के लेखापाल ने क्या कभी केशबुक चैक क्यो नही की ? क्यो कि लेखापाल की भी ड्युटी होती है कि वह कम से कम सात दिन में एक बार केशबुक का निरीक्षण कर, उसकी टोटल आदि चैक क्यो नही की, बिल रजिस्टर से बिल वाईज आहरण एवं भुगतान का प्रमाणिकरणक्यो नही किया ? अगर कमी पेशी थी तो सीएमएचओ को क्यो नही अवगत कराया आदि आदि सवाल उठते ही है ।पूर्व में भी इसी कार्यालय के एक लेखापाल ने एक कर्मचारी पर निलम्बन की गाज गिर चुकी है । देखना है कि भ्रष्टपुरी में रोज रोज नये कारनामों के चलते सरकार/ जिला प्रशासन क्या कदम उठाता है…?