झाबुआ । लगातार स्वास्थ्य विभाग मीडिया में सुर्खियों बने रहने के बाद और लगातार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी की कार्यप्रणाली को खबरों के माध्यम से प्रकाशित होने पर कार्यालय मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी झाबुआ द्वारा एक आदेश जारी किया गया है जिसमें कुछ कर्मचारियों को इधर से उधर किया गया है कही अटैचमेंट के नाम पर अटैचमेंट करके हीं लक्ष्मीयंत्रो की जुगाड़ तो नहीं करना चाहते है हैं सीएमएचओ साहब । उनके आदेश में कहीं भी वो नाम नजर नहीं आ रहे हैं जो वास्तविक रूप में अटैचमेंट कर विभाग को लूट रहे हैं । सीएमएचओ साहब द्वारा अपने सबसे तिकड़मबाज मनीष ( मूल पदस्थापना पर जाने के आदेश ), मेहूल और विजय को बचाने का प्रयास किया जा रहा है ..आखिर क्यों…. क्या कारण है… यह समझ से परे है….? स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इस तरह के आदेश से यह संदेश देना चाहते हैं कि शासन प्रशासन से कोई भी आदेश आए, आदेश का पालन तो होगा ,लेकिन उस पर अमल कैसे करना यह निर्णय हम लेंगे…..?
वाह सीएमएचओ साहब आखिरकार आपने तोड भी निकाला तो ऐसा कि हर किसी को लगे कि अटेचमेंट को आप बर्दास्त नही करते है । और अपने लाडले, कमाउपूत कृपावंत (मनीष, मेहूल , विजय ) को बचाने के लिये, उसे सरंक्षण देने के लिये ऐसा रास्ता अख्तियार किया , जो जग हंसाई का कारण बन रहा है । मीडिया को दिखाने के लिये कि आप निष्पक्ष तौर पर काम करने वाले अधिकारी है, वह तो नही हुआ उल्टे आपका कृपावंत प्रेम तो और जग जाहिर हो गया । इस तरह के आदेश निकाल कर स्वास्थ्य विभाग द्वारा कागजी खानापूर्ति भी कर ली और जिला प्रशासन को भी अपनी फिरकी में उलझाने का प्रयास किया है । सीएमएचओ डा. जयपालसिंह ठाकुर ने ताबड तोड अपने आदेश क्रमांक स्थापना/ 2022/4588 दिनांक 10 अगस्त के माध्यम से प्रशासनिक कार्य सुविधा की दृष्टि से फार्मासिस्ट ग्रेड- 2 स्तर के 4 कर्मचारी जिनकी इस बारिश के मौसम में तथा एवं संभावित महामारी, जनस्वास्थ्य को देखते हुए वर्तमान में जहां कार्य कर रहे थे, वहां वास्तव में आवश्यकता थी, को एक कागजी फरमान से मूल पदस्थापना स्थल के लिये जाने के निर्देशप्रसारित कर दिये । सीएमएचो साहब के आदेश के अनुसार जिला कार्यालय के स्टोर्स जहां कोई भी फार्मासिस्ट स्तर का स्टोरकिपर नही है, तथा पूरे जिले में दवाईयों के ससथ हास्पीटल उपकरण आदि की सुगम आपूर्ति बनाने में जिन्होने कोरोनाकाल में भी दिन रात एक करके सेवायें दी थी, ऐसे शंकर अजनार को जिला चिकित्सालय , मुकेश किराड जो सिविल सर्जन कार्यालय के स्टोर्स का दायित्व बखुबी संभाले हुए थे, उन्हे रानापुर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र रानापुर जाने का फरमान देकर क्या साबित करना चाहते है? यह भी समझ से परे है । इन दोनो को स्टोर्स के कार्य का लम्बा अनुभव होने के बाद भी इनके स्थान पर फिर से अटेचमेंट करते हुए संदीप मेडतवाल प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र सारंगी को अपने सारंगी केन्द्र के वर्तमान कार्य के साथ ही सीएमएचओ कार्यालय के स्टोर्स एव क्रय शाखा का कार्य देखने तथा पेटलावद सिविल हास्पीटल के राधेश्याम गरवाल को वर्तमान दायित्वों के साथ-साथ सिविल सर्जन झाबुआ के कार्यालय के स्टोर्स एव क्रय शाखा का कार्य करने के लिये, इसी आदेश से अटेच किया है । अब सवाल यह उठता है कि जब जिला स्टोर्स एवं जिला अस्पताल के स्टोर्स का कार्य सुचारू तरिके से चल ही रहा था तो सारंगी एवं पेटलावद के कर्मचारियों को अपने कार्य के साथ ही जिला स्तर पर प्रतिदिन आकर वे किस इमानदारी से काम करेगें या नही यह विचारणीय है। वही सरकारी काम में अडंगा डालने की सोची समझी साजिश ही दिखाई दे रही है । जिला स्टोर्स एवं जिला चिकित्सालय के स्टोर्स में प्रतिवर्ष करोडो, लाखों का बजट आता है और उसे मेनेज करने तथा अपने इशारों पर भ्रष्टाचार की वैतरणी में डूबकी मारने के लिये तो कहीं सीएमएचओ डा. ठाकुर कहीं गेम तो नही कर रहे है । यह इस आदेश से साफ साफ झलकता है । जो भी हो अपने प्रिय, प्यारे, वित्तिय सलाहकार, लक्ष्मीयंत्रों से ठा. ठाकुर का जेब भरने वाले कृपावंत को वरिष्ठ कार्यालयों के निर्देशों के बाद भी यही बनाये रखने में डा. ठाकुर साहब की नियत साफ साफ नजर आ रही है । विशेष रूप से इस आदेश में मनीष( मूल पदस्थापना) मेहूल और विजय का भी नाम तक नजर नहीं आ रहा है । इस पर भी वरिष्ठालयों एवं जिला प्रशासन को ध्यान देकर संज्ञान में लेना जनहित में जरूरी दिखाई दे रहा हेै ।