रतलाम, 11अगस्त। शासकीय जिला चिकित्सालय की मातृ-शिशु इकाई में यहां के डॉक्टरों ने एक जटिल सर्जरी को करते हुए एक 42 वर्षीय महिला की बच्चेदानी से 3 किलो वजनी गठान को निकाल कर पिछले 7-8 माह से दर्द से परेशान महिला को दर्द रहित नया जीवन दिया है।रतलाम जिले की रावटी तहसील की निवासी शारदा पति रावत पिछले 7-8 माह से पेट दर्द को लेकर काफी परेशान चल रही थी। महिला ने अपने रोग को लेकर कई डॉक्टरों को दिखाया लेकिन अपनी निर्धनता के कारण वह उपचार नहीं करवापा रही थी। शारदा ने सब दूर से परेशान होकर शासकीय अस्पताल की मातृ शिशु इकाई में पदस्थ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता खंडेलवाल को दिखाया। डॉ. खंडेलवाल ने शारदा का चेकप किया को जांचे करवाई। जांच में उसकी बच्चेदानी में बढ़ी गठान होना पाया गया। जिसके कारण महिला को पेट दर्द के साथ खून की कमी और कई परेशानी से जूझ रही थी। इन बीमारियों का उपचार सर्जरी से संभव था। लेकिन गठान बड़ी होने से यह सर्जरी काफी जटिल थी। जो कम संसाधनों में यहां संभव नहीं थी।
लिया ऑपरेशन करने का निर्णय
डॉ. खंडेलवाल ने सर्जन डॉ. गोपाल यादव और निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. चेतन पाटीदार से चर्चा कर शारदा का ऑपरेशन यही करने का निर्णय लिया। करीब डेढ़ घण्टे की सर्जरी के समय मे महिला के पेट से लगभग 3 किलो वजनी गठान को उसकी बच्चेदानी से निकाला बहार किया। इस सर्जरी को सफल करवाने में जिला चिकित्सालय के सर्जन डॉ. यादव एवं एनेस्थेटिक डॉ. पाटीदार ने सहरानीय भूमिका निभाई। सर्जरी के बाद शारदा पूरी तरह स्वस्थ है। एम सी एच में हुई इस जटिल सर्जरी को अंजाम देने वाली डॉक्टरों की टीम को सिविल सर्जन डॉ आनंद चन्देलकर ने बधाई दी।
सर्जरी के बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ
मरीज की बच्चेदानी में इतनी बड़ी गठान के कारण उसकी आंतो एवं पेशाब की थैली पर भी दबाव पड़ रहा था, जिसके कारण उसे काफी पीड़ा थी। इतनी बड़ी गठान को निकालने के लिए काफी संसाधन की जरूरत होती है। जो एमसीएच की ओटी में नहीं है, लेकिन इसके बाद भी सर्जन डॉ. यादव एवं निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. पाटीदार के सहयोग से इस जटिल ऑपरेशन को करीब डेढ घण्टे में सफलता पूर्वक किया। सर्जरी के बाद मरीज शारदा बाई पूरी तरह से स्वस्थ है।
~~ डॉ. सरिता खंडेलवाल
मरीज का हीमोग्लोबिन भी था कम
इस प्रकार की जटिल सर्जरी के दौरान मरीज का ब्लड प्रेशर मेंटेन रखना के साथ अन्य कॉम्प्लिकेशन को भी ध्यान में रखना होता है। मरीज का हिमोग्लोबिन भी कम था। जिसकी वजह से यह सर्जरी काफी रिस्की थी, किन्तु सर्जन डॉक्टरों ने बखूबी इस कठिन ऑपरेशन को सफलता पूर्वक पूरा किया। मरीज अब पूरी तरह से ठीक है और हॉस्पिटल से डिस्चार्ज भी कर दिया है।