झाबुआ

ज्ञानशाला दिवस पर तेरापंथ समाज ने निकाली तिरंगा रैली..

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झाबुआ तेरापंथ धर्म संघ के एकादशमधिशास्ता , तीर्थंकर के प्रतिनिधि, युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का सबसे महत्ता उपक्रम हैं – ज्ञानशाला । जिसका मुख्य उद्देश बच्चों में सुसंस्कारों का बीजारोपण, धर्म के प्रति अलख जगाए रखना और नशा मुक्ति को लेकर जन जागरूकता । इसी कडी मे ज्ञानशाला दिवस पर तेरापंथ सभा झाबुआ ने तिरंगा रैली जो निकाली शहर के विभिन्न मार्गो से होते हुए तेरापंथ सभा भवन पर समाप्त हुई । यह तिरंगा रैली मुख्य रूप से देशप्रेम, देशभक्ति व नशा मुक्ति के लिए जन जागरूकता को ध्यान में रखते हुए निकाली गई ।

तेरापंथ समाज में ज्ञानशाला दिवस सावन और भादवा माह में से भादवा माह के प्रथम रविवार को मनाया जाता है । इसअवसर पर सुबह करीब 8:00 बजे स्थानीय लक्ष्मीबाई मार्ग स्थित तेरापंथ सभा भवन से नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के साथ तिरंगा रैली प्रारंभ हुई । इस तिरंगा रैली में प्रथम पंक्ति में तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष प्रमोद कोठरी तिरंगा झंडा लिए हुए, पश्चात ज्ञानशाला के नन्हे-मुन्ने विद्यार्थी जो अपनी ड्रेस कोड में , हाथ में तिरंगा झंडा लिए हुए और गले में जैन समाज का दुपट्टा धारण किए हुए , पश्चात ज्ञानशाला प्रशिक्षीकाए दीपा गादीया, हंसा गादीया व रानी कोठरी, तेरापंथ महिला मंडल व तेरापंथ सभा के सदस्य हाथ में तिरंगा झंडा लिए हुए निकले । इस तिरंगा रैली के दौरान नन्हे-मुन्ने बच्चों ने भारत माता की जय ….वंदे मातरम… अणुव्रतों का क्या संदेश …व्यसन मुक्त हो सारा देश ….. घर-घर तिरंगा …हर घर तिरंगा आदि अनेक जयकारों से शहर गूंज उठा । यह तिरंगा रैली जैन मंदिर ,रनवाल बाजार , बस स्टैंड , थांदला गेट, कमल टाकीज गली, सुभाष मार्ग ,आजाद चौक व राजवाड़ा होते हुए तेरापंथ सभा भवन पर समाप्त हुई । पश्चात धर्म सभा में तब्दील हुई । धर्म सभा में विशेष रुप से करवड से पधारे तपस्वी अशोक श्रीमाल विशेष अतिथि थे आज उनके 38 उपवास की तपस्या गतिशील है और आगे बढ़ने के भाव भी हैं । सर्वप्रथम इस धर्मसभा में ज्ञानशाला के बच्चों ने ज्ञानशाला गीत की प्रस्तुति दी । इसके पश्चात समणी मध्यस्थ प्रज्ञा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा ..कि क्या आप अपनी संतान से प्रेम करते हैं ..क्या आप चाहते है कि आपकी संतान को हर क्षेत्र में सफलता मिले , तो इसके लिए जरूरी है कि आप बच्चों को प्रोत्साहित करें । बच्चों को उनकी काबिलियत या रुचि को ध्यान में रखते हुए ,उसका ऐनेलिसिस करे तथा यह जानने का प्रयास करें कि वह किस क्षेत्र में जाना चाहता है । बच्चों में परीक्षाओं और रिजल्ट को लेकर तुलनात्मक अध्ययन ना करें ,कई बार तुलनात्मक अध्ययन करने से बच्चों में नकारात्मक सोच उत्पन्न होती है और कई बार यह घातक भी सिद्ध होती है । अपनी इच्छाओं या सोच को उन पर लादने पर विचार न करें । स्वतंत्रता दिवस के इस अवसर पर आप उनकी स्वतंत्रता का ध्यान में रखते हुए उनकी क्षमता अनुसार, उनकी रुचि अनुसार अध्ययन में सहयोग करें , ना कि अपनी सोच को उन पर थोपे । समणी निर्वाण प्रज्ञा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चे कोरा कागज है उस पर अच्छा या बुरा लिखना हमारा काम है हमारी भावी पीढ़ी संघ और देश का शुभ भविष्य है । इस पीढ़ी को सुसंस्कारी बनाना ,माता-पिता अध्यापक व गुरुजनों का कार्य है । गुरुदेव तुलसी ने भावी पीढ़ी के उज्जवल भविष्य के निर्माण हेतु, ज्ञानशाला का उपक्रम शुरू किया । आज आचार्य श्री महाश्रमण जी इस उपक्रम को आगे बढ़ा रहे हैं । समणीजी ने उदाहरण देते हुए बताया .. बच्चों से पूछा यदि एक हीरा रास्ते में मिल जाए तो क्या करोगे । तब एक बच्चे ने खड़े होकर कहा बेचकर गाड़ी खरीद लूंगा । दूसरे ने कहा मैं मंदिर में चढ़ा दूंगा । तीसरे ने कहा मैं उसे बेचकर देश की सेवा करूंगा । तीसरा बच्चा था रामकृष्ण गोपाल । बच्चों की प्रारंभिक क्रिया व सोच उसके भविष्य को बताती है। अत: बच्चों को सेवा ,दया, सहयोग, सौहार्द और परोपकार के संस्कार देना अपेक्षित हैं। भावी पीढ़ी व्यसन ग्रस्त हो रही है । सभी लोगों का दायित्व हैं कि वे.इस पीढ़ी को व्यसन मुक्त बनाएं । पश्चात समणीवृंद ने ज्ञानशाला के सभी बच्चों को व्यसन मुक्ति का संकल्प दिलाया । पश्चात ज्ञानशाला प्रशिक्षीका दीपा गादीया, हंसा गादीया, रानी कोठारी ने तपस्वी के तप की अनुमोदना, गीत के माध्यम से की । तेरापंथ सभा के संरक्षक मंगल लाल गादिया , ताराचंद गादिया, बाबूलाल कांसवा, मोहन कांसवा, तेरापंथ सभा अध्यक्ष कैलाश श्रीमाल व सचिव दीपक चौधरी ने तपस्वी अशोक श्रीमाल के तप की अनुमोदना करते हुए अभिनंदन पत्र भेंट किया । तपस्वी अशोक श्रीमाल ने पूर्व में भी कई बड़ी तपस्या की है। कार्यक्रम का सफल संचालन दीपक चौधरी ने किया व आभार ज्ञानशाला की प्रशिक्षीकाओ ने किया ।

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