झाबुआ

आओ पता लगाएं :- कौन है वह भोपाल का ठेकेदार गुप्ता जो झाबुआ स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को लाखो रूपये लगाकर बचाने का कर रहा है प्रयास… और क्यों

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झाबुआ – जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के मनमाने रवैया और कार्यप्रणाली के कारण कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने नोडल अधिकारी नियुक्त किया है जो स्वास्थ विभाग से संबंधित संपूर्ण सामग्री खरीदी और अन्य गतिविधियो पर ध्यान रखने हेतु निर्देशित किया है लेकिन स्वास्थ्य विभाग में मानौ अटैचमेंट प्रथा ने तो सारे रिकॉर्ड ही तोड़ दिए हैं और जिस कर्मचारी की मर्जी या इच्छा हो, वह वहां पर कार्य कर रहा है जबकि मूल पदस्थापना कहीं और है । तथा यह अटैच कर्मचारी अपनी आर्थिक आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए सारे नियम कायदों को ताक में रखकर निजी हित साधने में लगे हैं। सूत्रों के अनुसार जब धार के ठेकेदार कटारिया से यह मामला सुलझता हुआ नजर नहीं आया , तो अटैच कर्मचारियों ने भोपाल के किसी ठेकेदार से संपर्क किया है जो स्वास्थ्य विभाग के सचिव व अन्य बड़े अधिकारियों के संपर्क में है । जानकारी अनुसार भोपाल के किसी बड़े ठेकेदार गुप्ता द्वारा लाखों रुपए लगाकर इन कर्मचारियों पर कारवाई होने से बचाने का प्रयास किया जा रहा है या फिर यह ठेकेदार स्वास्थ्य विभाग के मंत्रालय या सचिव या अन्य मंत्री के पीए से सतत संपर्क में है ।तथा यह प्रयास किया जा रहा है कि जो स्वास्थ्य विभाग में जांच चल रही है और जो अटैच कर्मचारी हैं वह पूर्वत: ही कार्य करते रहें । उन्हें मूल पदस्थापना पर ना भेजा जाए । चर्चा चौराहों पर चल पड़ी है कि आखिर क्या कारण है कि भोपाल के ठेकेदार दारा झाबुआ के स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को बचाने के लिए लाखों रुपए निजी तौर पर खर्च किए जा रहे हैं आखिर इन कर्मचारियों का इस भोपाली ठेकेदार से क्या रिश्ता है । भोपाली सूत्रों अनुसार इस भोपाली ठेकेदार द्वारा लाखो की राशि लगाकर इन कर्मचारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है वही सूत्रों के अनुसार इन्हीं भोपाली ठेकेदारों के बिलों को पास करने के लिए यह कर्मचारी सतत प्रयास करते हैं तथा सामग्री भी स्वास्थ्य विभाग के स्टोर तक पहुंचती नहीं है। लेकिन भुगतान सबसे पहले इन्हीं ठेकेदारों के बिलो के होते हैं । सूत्रो के अनुसार पूर्व में भी कोरोना काल मे करीब एक लाख मास्क का बिल 499000 रू के भुगतान किए गए थे जो स्वास्थ्य विभाग के स्टोर तक पहुंचे ही नहीं । जबकि अन्य कोई ठेकेदार सामग्री सप्लाई के लिए टेंडर पद्धति की बात करता है तो विभाग द्वारा बजट नहीं होने का बहाना बताकर इतिश्री की जाती है । सीएमएचओ के संरक्षण में स्वास्थ्य विभाग में अब तो लूट सको तो लूट लो की तर्ज पर कार्य किया जा रहा है.। चर्चा चौराहों पर यह भी चल पड़ी है कि जब कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने नोडल अधिकारी को नियुक्त किया है तो संबंधित अधिकारी को तत्काल सभी अटैच कर्मचारियों को अपनी मूल पदस्थापना पर भेजने हेतु आदेशित क्यों नहीं किया जा रहा है आखिर क्या कारण है …..?

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