झाबुआ- जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के संरक्षण में अटैच कर्मचारियों ने मनमाने रूप से कार्य किए हैं और अपने चहेतों को आर्थिक रूप से उपकृत करने के लिए सारे नियम कायदों को ताक में रखकर चहेतों की जेबे गर्म की है और स्वयं की भी । और वही अटैचमेंट प्रथा की भी धज्जियां उड़ाई हैं । साथ ही साथ विभाग के कप्तान का कुछ सप्लायरो से घनिष्ठता भी समझ से परे है । जिला कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को देखते हुए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया है । लेकिन फिर भी विभाग के कर्मचारियों के हौसले इतने बुलंद है कि भोपाल के कुछ सप्लायरो से तालमेल बैठाकर और आथिक लालच देकर यथावत कार्य करने को उत्सुक है । अब तो जिले की जनता को जिले में दौरे पर आए प्रभारी मंत्री से ही कुछ उम्मीद जागी है कि वे स्वास्थ्य विभाग के इस सिस्टम को सुधारने का प्रयास करेंगे तथा अटैचमेंट प्रथा को समाप्त करने का भी प्रयास करेंगे ।
स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को ना तो शासन प्रशासन का डर हैं और ना ही कार्यवाही की चिंता । तभी तो शासन द्वारा जारी संलग्नीकरण समाप्ति के आदेश के बावजूद अधिकारियों को ना तो खुद ही जारी किए संलग्नीकरण समाप्त किये जाने के आदेश के परिपालन की फिक्र है, ना ही अटैचमेन्ट को समाप्त करने की चिंता हैं । सभी सरकारी विभागों में कर्मचारियों के अटैचमेंट समाप्त कर दिए हैं लेकिन स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारीयो को मूल पद के बजाय यहां-वहां अटैच करके रखा गया है। ऐसे एक-दो नहीं बल्कि कई कर्मचारी हैं। इनमें मैदानी स्तर पर काम करने वाले कर्मचारियों को भी शामिल किया गया है कुछ कर्मचारियों ने काम से बचने , तो कुछ ने विभाग में अपना प्रभुत्व कायम रखने के लिए अटैचमेंट करा रखा है। यह कर्मचारी मूल पदस्थापना के विपरीत अपने पसंदीदा अस्पताल या संस्थान में काम कर रहे हैं। बावजूद इसके स्वास्थ्य विभाग, सीएमएचओ ऑफिस और अन्य अस्पतालों में स्टाफ का टोटा बरकरार है। इससे न केवल मैदानी स्तर पर काम प्रभावित हो रहा है। बल्कि इसका असर स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ रहा है।
इन कर्मचारियों के हैं अटैचमेंट :- विजय गणावा रंभापुर से झाबुआ,अभिषेक तोमर मेघनगर से झाबुआ ,गोविंद राणावत झकनावद से कल्याणपुरा,तेजप्रकाश कहार पेटलावद से झाबुआ, धनसिंह चौहान रामा से कल्याणपुरा । इसके अलावा भी कुछ अन्य कर्मचारी हैं जो अटैचमेंट प्रथा के सहारे अपने नौकरी का समय , आराम का जीवन बसर कर रहे हैं साथ ही साथ अपने चहेतो को काम दिला कर आर्थिक रूप से मजबूत भी बन रहे हैं । सूत्रो के अनुसार इस विभाग में धार जिले से आए एक और कर्मचारी ने भी मनमाने रूप से कार्य करते हुए अपने चहेते ठेकेदारों को विभाग में सेट किया और उनसे अलग से कमीशन भी लिया ।
स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का कुछ विशेष सप्लायरो से कुछ अधिक ही प्रेम है इसमें धार का कटारिया, भोपाल का गुप्ता , देवास का सप्लायर के अलावा कुछ अन्य सप्लायर भी है जो इस विभाग में सालों से मिलीभगत कर , जिले की जनता के भलाई के लिए आई राशि को दीमक की तरह खा रहे हैं । सूत्रों के अनुसार इनमे से कुछ सप्लायर के तो मात्र बिल ही भुगतान के लिए आते हैं और सामग्री विभाग के स्टोर तक कभी पहुंचती ही नहीं हैं । इसके अलावा क इस विभाग के प्रिंटिंग कार्य में भी एक सप्लायर द्वारा मनमाने तौर पर बिल दिए जा रहे हैं और भुगतान लिए जा रहे हैं । जिसे भी विभाग का पूर्ण संरक्षण प्राप्त है अगर ऐसे देखा जाए तो इस विभाग में सारे सप्लायर बाहर के कार्य कर रहे हैं जो सामग्री प्रदाय मे कम और भुगतान में अधिक रुचि रखते हैं । इस विभाग में सामग्री खरीदी के लिए ऑनलाइन टेंडर पद्धति को नकारते हुए जैम पोटल पद्धति से सामग्री खरीदी की जा रही है और संभवत यह पद्धति हैक कर मनमाने दामों में खरीदी की जा रही हैं । जिससे शासन को राजस्व की हानि हो रही हैं । सीएमएचओ डॉ जयपाल सिंह ठाकुर को झाबुआ जिले में पदस्थ हुए करीब 2 साल साल हो गए हैं । वहीं.उनका झोलाछाप डॉक्टरों के प्रति प्रेम देखने ही बनता है। ठाकुर साहब ने इन 2 सालों में नाम मात्र के झोलाछाप डॉक्टरो पर कार्यवाही करते हुए, कागजी खानापूर्ति करते हुए इतिश्री कर ली । और बाकी लगभग 400 से अधिक डॉक्टरो से टेबल के नीचे कार्रवाई से बचाव के लिए मासिक बंदी ली जा रही है विगत दिनों कलेक्टर सोमेश मिश्रा के द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई के निर्देशों के परिपालन मे, स्वास्थ्य विभाग ने जिले में कुछ झोलाछाप और बंगाली डॉक्टर के यहां कारवाई कर इतिश्री की । वहीं जिला मुख्यालय पर भी कई झोलाछाप डॉक्टर कार्य करें हैं उनका यह प्रेम भी समझ से परे नजर आ रहा है । वहीं सूत्रों का कहना है कि इस कार्रवाई से भी यह संदेश देने का भी प्रयास किया गया है की पूर्व में जो राशि , कारवाई से बचाव के लिए ली जाती थी उसमें अब बढ़ोतरी की जा रही है और एक संबंधित व्यक्ति द्वारा उक्त राशि की उगाही की जाएगी । यह भी जन चर्चा का विषय है कि इस तरह इन झोलाछाप या फर्जी चिकित्सकों से यह मासिक बंदी की उगाई कौन करता है और किन-किन मैं यह राशि बटती है । इसके अलावा और भी अनेक अनियमितताएं और मनमानी कार्यशैली के उदाहरण हैं । इस तरह स्वास्थ विभाग की इस कार्यप्रणाली से जिला प्रशासन के साथ-साथ भाजपा सरकार की छवि भी धूमिल होने की संभावना है । वही आने वाले चुनाव में इसके विपरीत परिणाम भी देखने को मिल सकते हैं यदि समय रहते हैं इन पर कार्यवाही नहीं की गई तो…? क्या जिले के दौरे पर आए प्रभारी मंत्री, स्वास्थ्य विभाग के इस सिस्टम और कार्यप्रणाली की जांच कर सुधार और कारवाई के निर्देश देंगे या फिर यह सभी यूं ही चलता रहेगा…..?