RATLAM

शहर की 57 अवैध कॉलोनियों में रहने वाले करीब 60 हजार रहवासियों के लिए टेंडर अगले माह जारी हो रहे है

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दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो सालों से चल रही समस्याएं हल हो सकती है। शहर महापौर प्रहलाद पटेल ने ऐसा ही कुछ कर दिखाया। जिस नामांतरण के लिए शहर के हजारों लोग वर्षो से निगम के चक्कर काट – काट के थक गए थे, उस मामले में आमजन को राहत देने वाले निर्णय ले लिए गए। शहर की 57 अवैध कॉलोनियों में रहने वाले करीब 60 हजार रहवासियों के लिए टेंडर अगले माह जारी हो रहे है तो शहर में फुटपाथ पर बैठकर जो छोटे लोग अपने सामान की बिक्री करते है, उनसे लिए जाने वाला दैनिक शुल्क बंद कर दिया।

रतलाम. चुनाव के दौरान आमजन से किए गए वादों को पूरा करना अब नगर निगम महापौर प्रहलाद पटेल ने शुरू कर दिया है। लंबे समय से जिन समस्याओं के समाधान की मांग शहर कर रहा था, उनके समाधान के प्रयास शुरू हो गए हैं। सबसे पहले जो काम किए गए है, उससे एक ही बार में 75 हजार लोगों को लाभ होगा।
पहला काम शुल्क लेना बंद किया
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब शहर में महापौर चुनाव के प्रचार के लिए आए थे, तब धानमंडी की सभा में वादा किया गया था कि ठेले पर, रोड पर बैठकर छोटा कारोबार करने वाले लोगों से प्रतिदिन के लिए लिए जाने वाले 10 और 20 रुपए का शुल्क माफ किया जाएगा। इस शुल्क को माफ कर दिया गया है। शहर में इस प्रकार का कारोबार करने वाले करीब 15300 लोग निगम के रिकार्ड में है। इससे छोटे कारोबारियों को बड़ा लाभ हुआ है। ये शुल्क पहले तब भी लगता था, जब ठेला खड़ा हो, भले कारोबारी उस दिन काम पर आए या नहीं।

30 हजार को लाभ अगले माह से
2015 में 29 अगस्त को जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शहर में आए थे, तब आईटीआई मैदान की सभा में प्रदेश के लिए रोल मॉडल बने अवैध कॉलोनियों को वैध करने वाले निर्णय को शहर विधायक चेतन्य काश्यप की मांग पर लिया गया था। इसकी शुरुआत भी हुई और कुछ अवैध कॉलोनियों को वैध किया गया। जब सत्ता बदली तो ये काम रुक गया। अब शेष रही 57 कॉलोनियों को वैध करने की शुरुआत फिर से नगर निगम करने जा रहा है। इसके लिए अगले माह विभिन्न निर्माण काम के लिए टेंडर निकलने जा रहे है। निगम का प्रयास है कि अगले पांच माह में सभी 57 अवैध कॉलोनियों में निर्माण के काम पूरे हो जाए। इन कॉलोनियों में करीब 60 हजार लोग रहते है।

1500 नामांतरण को मंजूरी
निगम में सालों से लोग चक्कर काटते रहे, उनकी दुकान हो या मकान उसका नामांतरण नहीं हो रहा था। नियम 45 दिन का था, लेकिन नियम को दरकिनार कर अधिकारी फाइलों को दबाकर रखें हुए थे। ऐसे में कई लोग कोर्ट में गए और वहां से निर्णय करवाकर लाए। इसके बाद भी बहाना ये कर दिया कि फाइल ही गुम हो गई। अब निर्णय लागू कर दिया गया कि 45 दिन के बजाए 21 दिन में गैर विवादित नामांतरण को मंजूरी देना होगी। इसकी शुरुआत करते हुए अब तक 1500 लंबित में से 350 नामांतरण फाइलों को एक ही दिन में मंजूरी दे दी गई। एक दिन में इतनी मंजूरी पहली बार दी गई।
कोई रुपए मांगे तो मुझे बताए
नगर निगम से जुड़े किसी भी काम के लिए कोई रुपए की मांग करें तो शहरवासी सीधे मुझे बताए। इसके लिए मुझे 9827351355 नंबर पर वाट्सएप करें।-प्रहलाद पटेल, महापौर नगर निगम

Ashish Pathak

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