अतिक्रमणकर्ताओ के निजी घर एवं व्यवसाय भी है , ओर हद तो ये है कि एक अतिक्रमणकर्ता ने तो घुमटी तो दूरसे व्यक्ति को किराए पर दे दी है , यदि भीर भी प्रशासन कार्यवाही नही करता तो क्या ये माने की अतिक्रमण करने की खुली छूट दे दी गई है ।
सवाल – यदि यह अतिक्रमण नगर परिषद कार्यालय के सामने या एसडीएम आफिस के सामने किया गया होता तो , अभी तक अतिक्रमण वहाँ रहता ।
अलीराजपुर- जिले के भाभरा छेत्र में अवैध अतिक्रमण किया जा रहा है , जिसमे बस स्टैंड स्थित एक मकान के सामने कुछ अतिक्रमण कर्ताओ द्धारा मकान के सामने चार अवैध गुमटी रख दी , जब इस मामले में शिकायत कर्ता ने नगर परिषद सीएमओ को आवेदन दिया उसके बाद भी कोई निराकरण नही निकला उलटा तो सीएमओ साहब ने शिकायतकर्ता को ही नोटिस थमा दिया , उसके बाद शिकायतकर्ता द्धारा 181 मतलब सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की गई , तो शिकायतकर्ता को एसडीएम आफिस बुला कर शिकायत वापस लेने को कहा जब शिकायतकर्ता ने शिकायत वापस लेने से इनकार किया तो उसकी शिकायत को बंद कर दिया गया , उसके बाद भी शिकायतकर्ता ने हार न मानते हुए जिलाधीश का दरवाजा खटखटाया , ओर कलेक्टर के नाम एक आवेदन जनसुनवाई में प्रस्ततु किया , कलेक्टर द्धारा सीएमओ , एसडीएम को निराकरण हेतु एक पत्र के माध्यम से निर्देश भी दिए और प्रशासन वहाँ अतिक्रमण हटाने पहुँचा भी पर अतिक्रमण कर्ताओ ने उस शिकायतकर्ता से अभद्र व्यवहार कर गंदे शब्दो का उपयोग किया जिसकी शिकायत भाभरा थाने पर शिकायतकर्ता द्धारा आवेदन के माध्यम से कर दी गई है एवं कुछ समय के लिए अवैध अतिक्रमण हटा लिया और फिर से कुछ ही समय बाद बिना प्रशासन के डर के फिर से उसी जगह पर अवैध अतिक्रमण कर लिया गया , अब भी शिकायतकर्ता लगातार प्रशासन के दरवाजे खटखटा रहा है , पर फिर भी नगर परिषद सीएमओ एवं भाभरा एसडीएम कोई कार्यवाही करने में असमर्थ है ।
नगर निगम अधिनियम 1959 की धारा 521 में नगर आयुक्त को अतिक्रमण हटाने के साथ वसूली का अधिकार दिया गया है । इसी तरह पालिका परिषद में भी अधिशासी अधिकारी को अधिकार दिया गया है । अतिक्रमण हटाने के बाद उक्त स्थल के समुचित रख – रखाव , उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा , ताकि पुन: उस स्थान पर कब्जा न होने पाए ।
शिकायत कर्ता द्धारा सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत की गई ।