झाबुआ

दो माह से सरपंचों के डिजिटल हस्ताक्षर नही बनने से अवरुद्ध हो रहा पंचायती राज का सपना

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ठाकुर साहब क्योनहिी लेरहे डिजिटल हस्ताक्षर प्रक्रिया को पूर्ण कराने में रूचि ।

झाबुआ (मनोज अरोरा )जिला पंचायत और जनपद पंचायत के सीइओ की तरह ही ग्राम पंचायत के सरपंच व सचिव के भी डिजिटल हस्ताक्षर इस्तेमाल होंगे। केन्द्र सरकार ने 14वें वित्त आयोग के तहत होने वाले सभी कार्य व उन पर खचर्् होने वाली राशि की निगरानी और पारदर्शिता के लिए यह प्रयोग शुरु किया है। इस प्रयोग का मकसद है कि पंचायत द्वारा कराए जाने वाले निर्माण कार्य समय पर हो और भुगतान की प्रक्रिया में पारदर्शिता हो। इसके साथ ही एक ही फॉर्मेट में कार्य हो, ताकि पंचायत से लेकर जिला पंचायत और केन्द्र सरकार सीधे कार्य की प्रक्रिया व प्रगति की मॉनिटरिंग कर सके।
झाबुआ जिले में गा्रम पंचायतों को वजुद में आये महीनो समय हो चुका है, किन्तु जिला पंचायत के ठाकुर साहब ने अभी तक सरपंचों के डिजिटल हस्ताक्षर करवाने के लिये उदासिनता बरती जारही हे । पिछले दो महीनों से सरंचों एवं सचिवों के डिजिटल हस्ताक्षर के अभाव में गा्र्रम पंचायतों में सरपंचों द्वारा विकास कार्यो के लिये सरकार से आबण्टित राशि का उपयोग भी लंबित हो रहा हैे । पंचायतों में भुगतान नहीं होने से ठेकेदार परेशान है। सबसे ज्यादा परेशानी मजदूर वर्ग के लोगों को उठानी पड़ रही है, क्योंकि समय पर भुगतान नहीं होने के कारण मजदूरों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। वैसे ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी है। जो कुछ रोजगार पंचायतों से मिल रहा था, उसी के भरोसे ग्रामीणों की जीविका चल रही थी। लेकिन वर्तमान में हालात ऐसे है कि मजदूरों को भुगतान के लिए भी बार-बार पंचायतों के चक्कर लगाने पड़ रहे है। कई मजदूर तो समय पर भुगतान नहीं होने के कारण निराश होकर अन्य रोजगार की तलाश में पलायन भी करने लगे है। सरपंचो द्वारा बार बार जिला पंचायत के चक्कर इस प्रयोजनके लिये लगाये जारहे हे किन्तु उनको तवज्जो नही मिल रही हे । फलतः गा्रम पंचायतों के सरपंचों को नाहक परेशान होना पड रहा है तथा पेमेंट नही हो पाने के चलते उन्हे मजदुरों एवं अन्य देनदारो का कोपभाजन बनना पड रहा है ।
गांवों को विकास की धारा से जोडऩे के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं संचालित की जा रही है। गांवों में सड़क, नाली, पेयजल, बिजली सहित अन्य निर्माण कराये जा रहे है, वहीं तालाब, कुंए के माध्यम से किसानों को आर्थिक मजबूती देने का काम भी किया जा रहा हैै, लेकिन वर्तमान में अधिकांश कार्याे पर विराम लग गया है। जिसके पीछे मुख्य कारण पंचायत के मुखिया और सचिवों की डीएससी अभी तक अपडेट नहीं होना बताया जा रहा है। जब तक डीएससी अपडेट नहीं होती, पंचायत ऑनलाइन लेनदेन नहीं कर सकती और भुगतान नहीं होने के कारण पंचायतें भी निर्माण कार्याे के लिए मटेरियल नहीं खरीद पा रही है।
पंचायतों में अधिकांश भुगतान ऑनलाईन माध्यम से होते है। ऐेसे में पंचायत के मुखिया और सचिवों की प्रोफाइल और डिजिटल हस्ताक्षर को अपडेट करने के लिए लगभग एक सप्ताह से अधिक का समय लगता है। इसके लिए ई-ग्राम स्वराज और पंचायत दर्पण पोर्टल पर प्रोफाइल चेैंंज करना पड़ता है। प्रोफाइल चेंज होने मे ंलगभग 12 घंटे का समय लगता है। इसके बाद जनपद की लॉगिंन से पुरानी डीएससी अनरजिस्टर्ड करना होता है। जिसमें भी 12 घंटे लगते है। फिर नई डीएससी को रजिस्टर्ड करना पड़ता है। जनपद सीईओ को एर्थाेटी देता है कि एप्रुवल करिये। एप्रुवल के बाद डीएससी से जनरेट किया जाता है। इसके आगे भी कई प्रोसेस है। जिसके लिए भी समय लगता है। कुल मिलाकर डीएससी अपडेट करने के लिए लगभग एक से डेढ सप्ताह का समय लग जाता है। अतः कलेक्टर महोदय के संज्ञान में यह बात लाते हुए अप्रेक्षा की गई कि पिछले दोमाह से सरपंचों के डिजिटल सिग्नेचर का कार्य यदि समय सीमा में हो जाता है तो निश्चिात ही पंचायतीराज व्यवस्था का उद्देश्य साकार हो सकेगा ।

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