झाबुआ

झाबुआ नपा चुनाव मे गुटबाजी को दरकिनार कर एकजुटता के साथ चुनाव लड़ना …भाजपा के लिए अहम चुनौती…?

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झाबुआ – झाबुआ नगर पालिका चुनाव दावेदारी व आवेदन पत्र लेने व जमा करने की प्रक्रिया के अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है । यह पड़ाव हर वार्ड की टिकट तय करने के लिए राष्ट्रीय दलों पर निर्भर करता है । क्योंकि पार्टी का चुनाव चिन्ह उसी को मिलेगा जिसे उक्त दल अपनी अपना उम्मीदवार बनायेगा । हालांकि टिकट फाइनल करते ही वार्डों में भगावत का दौर भी चल पड़ेगा । डैमेज कंट्रोल करने के लिए बड़े नेताओं को आगे आकर एकजुटता के साथ चुनावी रण में कार्य करना होगा । अभी चुनाव अब उस दौर में पहुंच गया है जिसके लिए छोटे-छोटे कार्यकर्ता लंबा तप करते हैं तथा अपने क्षेत्र में पार्टी का झंडा उठाने से लेकर, हर एजेंडा पूर्ण करने में अपने आप को झोंक देते हैं । उम्मीद भी सिर्फ यही रहती है कि जब छोटा यानी गली मोहल्ले या पार्षद चुनाव का मौका आएगा , तो पार्टी उन्हें जरूर अवसर प्रदान करेगी । लेकिन चुनाव के दौरान कई पैराशूट नेताओं का जन्म होता है और इस दौरान वे राष्ट्रीय दलों से टिकट की मांग करने लगते हैं जिसके कारण मूल कार्यकर्ता की ओर से दल का ध्यान नहीं जा पाता है । दलों के सामने भी दिक्कत यह भी रहती हैं कि एक वार्ड से एक ही को अधिकृत उम्मीदवार बनाया जा सकता है और टिकट मांगने वालों की लंबी कतारें लग गई । इस नगर पालिका चुनाव में भाजपा से टिकट मांगने वालों उम्मीदवारों की लंबी लिस्ट नजर आ रही है तकरीबन हर वार्ड में भाजपा से टिकट मांगने वाले उम्मीदवार अधिक हैं । 12 सितंबर तक राष्ट्रीय दलों को अपने अधिकृत उम्मीदवारों को बी फॉर्म देना होगा यह फॉर्म देते ही वार्ड में जगह-जगह असंतोष व नाराजगी के स्वर भी तेज नजर आने लगेंगे । जिन्हें टिकट नहीं दिया गया है उन्हें मनाने के प्रयास किए जाएंगे । बगावत भी होगी । कुछ उम्मीदवार पार्टी के सामने ही निर्दलीय रूप में चुनाव लड़ने की बात भी कहेगें । इस बार अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होने के कारण तमाम दाव पेज वार्ड वार चल रहे हैं कांग्रेस- भाजपा नगर पालिका परिसर पर कब्जा जमाने के प्रयास में हैं दोनों दल में असंतोष भी बनना तय है टिकट वितरण के बाद जो दल असंतोष को थाम लेगा । वह परिषद पर काबिज होने के करीब दिखने लगेगा ।

शहर के 18 वार्डो मे पार्षद पद के लिए 5 सितंबर से नामांकन पत्र भरना प्रारंभ हो चुका था। पिछले छः दिनों में आज (शनिवार) तक 142 ने नामांकन फार्म लिए है। इनमें से 63 नामांकन पत्र जमा किये जा चुके है। इन वार्डो में इतने नामांकन लिए! वार्ड पार्षद पद के लिए वार्ड क्र. 1 में 6 , वार्ड क्र. 2 में 7 , वार्ड क्र. 3 में 8 , वार्ड क्र. 4 में 8 , वार्ड क्र. 5 में 4 , वार्ड क्र. 6 में 14 , वार्ड क्र. 7 में 4, वार्ड क्र. 8 में 11 , वार्ड क्र. 9 में 11 , वार्ड क्र. 10 में 10 , वार्ड क्र. 11 में 9 , वार्ड क्र. 12 में 4 , वार्ड क्र. 13 में 11 , वार्ड क्र. 14 में 4 , वार्ड क्र. 15 में 3 , वार्ड क्र. 16 में 10 , वार्ड क्र. 17 में 6 , वार्ड क्र. 18 में 10 उम्मीदवार नामांकन पत्र ले जा चुके है। हम बात करे वार्ड क्रमांक 1 गायत्री गली , वार्ड क्रमांक 5 लक्ष्मीबाई मार्ग , वार्ड क्रमांक 6 मुख्य बाजार, वार्ड 8 सुभाष मार्ग और वार्ड 9 भोज मार्ग से भाजपा को उम्मीदवार का चयन करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि इन वार्डों में भाजपा से टिकट मांगने वालों की लंबी कतार है । वार्ड नं 6 मुख्य बाजार , जो कि अनारक्षित महिला वार्ड है इस.वार्ड के लिए सबसे ज्यादा नामांकन लिए गए! नगर के मध्य स्थित वार्ड क्र. 6 में सबसे ज्यादा उम्मीदवार दिखाई दे रहे है। इस वार्ड में पार्षद बनने वाले इच्छुक 14 नामांकन पत्र लिए गए है। इस वार्ड में संभवतः 5 से अधिक दावेदारों ने भाजपा से टिकट की मांग की है । आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि वार्ड 6 में 14 नामांकन लिए गए, तो कितने लोग नामांकन पत्र जमा करते हैं और दोनो दल किसको टिकट या बी फार्म देते है । वार्ड नंबर 6 में अन्य वार्ड के उम्मीदवारों ने भी इस वार्ड से नामांकन फॉर्म लिए है । वही वार्ड 6 के कई वार्डवासियों ने बताया कि दोनों दल को टिकट उस उम्मीदवार को देना चाहिए जो इस वार्ड का रहवासी है । लेकिन कुछ अन्य उम्मीदवार जो कि अन्य वार्ड के निवासी है ने वार्ड नंबर 6 से नामांकन पत्र लिए हैं । वहीं वार्ड 6 में भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए ही मंथन का विषय है कि इस वाड से टिकट किसे दिया जाए और किसे नहीं….। इसके अलावा कुछ वार्डों में ऐसे पैराशूट नेता भी भाजपा से टिकट मांग रहे हैं जिन्होंने कुछ माह पूर्व ही भाजपा के लिए कार्य किया है या झंडे उठाएं हैं । इसे पैराशूट नेताओं से भी भाजपा को सावधान रहना होगा । केंद्र में और राज्य में भाजपा की सरकार होने के बाद भी शहर में भाजपा गुटो मे बट बटी बटी सी नजर आ रही है। यहा सांसद का गुट, पूर्व विधायक का गुट, जिलाध्यक्ष का गुट, धन्ना सेठों का गुट,। यह सभी गुट निकाय चुनाव में अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे तथा टिकट नहीं मिलने की स्थिति में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की बात भी कहेंगे । ऐसे में हर गुट को संतुष्ट कर पाना संभव नहीं है । गुटबाजी को दरकिनार का एकजुटता के साथ चुनाव लड़ना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है यदि भाजपा एकता के साथ चुनाव लड़ती है तो ही नगर पालिका परिषद झाबुआ में काबिज हो सकती है ।

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