“रतलाम, । पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने बताया कि बीओटी के तहत भोपाल-देवास, लेबड़-जावरा तथा जावरा-नयागांव फोरलेन की टोल अवधि तय करने के लिए मध्यप्रदेश विकास निगम ने फिजिबिली रिपोर्ट (डीपीआर) में दिए गए जिन आंकड़ों को आधार बनाया है, वे वास्तविक आंकड़ों के मात्र बीस से तीस प्रतिशत है।
श्री सकलेचा ने बताया कि इसका परिणाम यह हुआ कि रिपोर्ट में आय कम दिखाई गई तथा इस आधार पर इंटरनल रेट आफ रिटर्न में आय कम होने से अवधि 25 वर्ष तय की गई है। उन्होंने बताया कि बीओटी रोड़ में प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपये का खेल हुआ है। भोपाल-देवास का एक साल का टोल 293 करोड़़, लेबड़-नयागांव का 350 करोड़। इस लूट से महंगाई बड़ रही है, राज्य सकल घरेलु उत्पाद घट रहा है।
उन्होंने बताया कि अगर फिजिबिली रिपोर्ट में यातायात के वास्तविक आंकड़ें बताए जाते तो इक्टिटी डेबट रेशो (ईडीआर) अलग होता तथा टोल अवधि मात्र 11 वर्ष और चार माह होती। इस अवधि में निवेशकर्ता अपनी लागत, रख रखाव, आफीस खर्च, ब्याज, एमपीआरडीसी को देय कमीशन सभी को प्राप्त करने के बाद लागत का दो गुना लाभ प्राप्त करता। 25 वर्ष की अवधि में वह लागत तथा सारे खर्च के बाद, लागत का 16 से 20 गुना लाभ प्राप्त करेगा।
टोल एक्ट 1852 के अनुसार टोल राज्य का रेवेन्यू है तथा टोल के माध्यम से किसी निजी व्यक्ति को अवैध लाभ नही दिया जा सकता। उनका कहना है भोपाल देवास रोड जिसकी लागत 465 करोड तथा इसमें 81 करोड़ की ग्रांट, इस प्रकार 382 करोड की लागत वाली इस सड़क पर अभी तक 1400 करोड़ रुपए तथा लेबड से नयागांव फोरलेन, जिसकी लागत 900 करोड़ है , उस पर अभी तक 3500 हजार करोड टोल वसूला जा चुका हैं और अभी 13 वर्षों तक और राशि वसूल की जाएगी।
भोपाल देवास रोड पर मात्र वर्ष 2021 में 293 करोड़ टोल तथा लेबड नयागांव रोड पर 350 करोड़ टोल वसुला गया। इस अवैध वसूली से सिर्फ जनता का ही नुकसान नही हो रहा है, बल्कि भारी वाहन से वसूली पर वस्तुओं के दाम में भी वृद्धि हो रही है , राज्य मे महंगाई बढ रही है, स्टेट-जीडीपी (एसजीडीपी) में भी कमी हो रही है। ( हिन्दुस्तान समाचार से साभार )