झाबुआ

शर्मिला कोठारी ने की 31 कठिन उपवास (मासक्षमण)की तपस्या पूर्ण..

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मासक्षमण तप अभिनंदन कार्यक्रम का गरिमामय आयोजन स्थानीय अंबा पैलेस में हुआ…….। जय जयकार जय जयकार तपस्वी की जय जयकार…. के जयकारों से गूंजा सभागार

झाबुआ- तेरापंथ धर्मसंघ के 11वे अनुशास्ता युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या समणी निर्वाण प्रज्ञा जी व मध्यस्थ प्रज्ञा जी के पुण्य पावन निश्रा व प्रेरणा से स्वर्गीय पूनम चंद कोठारी व श्रीमती सुशीला कोठारी की पुत्रवधू श्रीमती शर्मिला विशाल कोठारी ने 31 कठिन उपवास , मासक्षमण की तपस्या पूर्ण की । वही श्रीमती सुशीला कोठारी का छट्टा वर्षीतप निरंतर चलायमान है दोनों तपस्वी की तप अनुमोदनार्थ , तप अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय अंबा पैलेस पर किया गया ।

श्रद्धानिष्ठ व धर्मनिष्ठ हैं कोठारी परिवार..

सुश्राविका श्रीमती सुशीला पूनमचंद कोठारी एक श्रद्धाशील, श्रद्धा निष्ठा, सेवाभावी व तपस्वी श्राविका है 6 वर्षों से निरंतर पोरसी के साथ वर्षीतप चल रहा है । वही उनके बड़े पुत्र विशाल कोठारी ने 6 ओलीजी तप के आराधक हैं । वही विशाल की पत्नी शर्मिला कोठारी ने वर्तमान में मासक्षमण की तपस्या पूर्ण की है । सुशीला कोठारी की पोती सिद्धि कोठारी ने वर्ष 2021 22 में वर्षीतप किया था । छोटे पोते ने संवत्सरी पर्व पर छह प्रहरी पौषध के साथ चौविहार उपवास किया था । उनके छोटे पुत्र वैभव कोठारी वर्ष 2021-22 में वर्षीतप किया था साथ ही साथ पूर्व में कई अठाई तप कर चुके हैं । पूर्व में चातुर्मास के दौरान 4 माह तक एकासन तप भी किए हैं । वही वैभव की पत्नी सोनिया कोठारी ने पिछले वर्ष वर्षीतप किया था । वैभव के 12 वर्षीय पुत्र कल्प कोठारी ने पिछले वर्ष वर्षीतप किया था । पूर्व में अठाई तप भी किया है व वर्तमान चातुर्मास के दौरान 11 उपवास की तपस्या की है । सुशीला कोठारी की दोनों बेटियां मोना संघवी और मनीषा बोराणा चातुर्मास के दौरान साधु भगवंतो के दर्शन करना, प्रवचन सुनना , उपवास ,आयंबिल करना, सामायिक वह प्रतिक्रमण करना । इस प्रकार पूरा परिवार धार्मिक भावनाओं से ओतप्रोत है


सुबह करीब 9:00 बजे अंबा पैलेस पर समणी निर्वाण प्रज्ञा जी और मध्यस्थ प्रज्ञा के पावन सानिध्य मे तप अभिनंदन कार्यक्रम की शुरुआत नमस्कार महामंत्र के जाप के साथ हुई। यह तप अभिनंदन कार्यक्रम शर्मिला कोठारी मासक्षमण तपस्वी और तपस्वी रत्ना श्रीमती सुशीला कोठारी के सम्मान में आयोजित हुआ । मासक्षमण तपस्या की ओर अग्रसर श्रीमती किरण चौधरी ने समणीवृंद से 24 वे उपवास के प्रत्याख्यान किए । सर्वप्रथम तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष प्रमोद कोठारी ने गीत के माध्यम से उपस्थित जनों का स्वागत किया । नन्हे मुन्ने ज्ञानशाला के ज्ञानार्थी विरम कोठारी ने मुक्तक के माध्यम से अपनी मां शर्मिला कोठारी की तपस्या के उपलक्ष में अपनी भावना व्यक्त की । मालवा सभा के सदस्य पारसमल जी कोटडिया ने शब्दों के माध्यम से तपस्वियों के तप की अनुमोदना की । इसके बाद समणी मध्यस्थ प्रज्ञा जी और श्राविका दीपा गादीया ने देवलोक की दो परी के आपसी संवाद व नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से दर्शाया के मनुष्य लोक में तप अति महत्वपूर्ण है । नाट्य प्रस्तुति यह भी दर्शाया कि तपस्वीयों को देवी देवता द्वारा भी फूल, पुष्पमाला के साथ-साथ कुमकुम ,चंदन लगाकर , आरती उतारकर तप की अनुमोदना की जाती है । तथा श्रावक समाज द्वारा भी माला पहनाकर, अभिनंदन पत्र भेंट कर जयकारे लगाए जाते हैं । समणी मध्यस्थ प्रज्ञा जी और श्राविका दीपा गादीया ने गीत…. श्रद्धा पूर्वक तपने से होता है …बेड़ा पार के माध्यम से तपस्वियों के तप की महिमा का वणन किया गया । पश्चात तेरापंथ सभा झाबुआ के वरिष्ठ श्रावक मगनलाल गादीया, ताराचंद गादीया, राजेंद्र चौधरी, सभा अध्यक्ष कैलाश श्रीमाल, सभा मंत्री दीपक चौधरी ने माला पहनाकर व अभिनंदन पत्र भेंट कर तपस्वी के तप की अनुमोदना की । तेरापंथ महिला मंडल झाबुआ द्वारा त्याग का गुलदस्ता बनाकर तपस्वी को भेंट किया गया ।

तत्पश्चात समणी निर्वाण प्रज्ञा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा मन की प्रसन्नता और विचारों की पवित्रता तप है । तप करने से मन शांत होता है। मन विषय विकारों से ऊपर उठता है। तपस्या सम्मान के लिए नहीं, कल्याण के लिए करनी चाहिए। तपस्या और साधना के जरिए हम अपने व्यक्तित्व को भी निखार सकते है। तपस्या की शक्ति के सहारे हम अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त कर सकते है और स्वयं को मजबूत बना सकते है। ईर्ष्या, लोभ और मोह जैसी कमजोरियों से छुटकारा पा सकते है और अपने मन को अपने वश में रख सकते है।* तपस्या के माध्यम से ही हम अपनी अंतरात्मा को शुद्ध कर सकते है। जिससे हमें शुद्ध संकल्प,उमंग, उत्साह व ऊर्जा प्राप्त होती है। हमारे मन में व्यर्थ और नकारात्मक विचारों का प्रभाव बंद हो जाता है और आंतरिक बल ,क्षमता व प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले सकारात्मक विचार उत्पन्न होने लगते है। तपस्या का फल हमें इस लोक में तो मिलता ही है इसके साथ-साथ हमें परलोक में भी इसका फल प्राप्त होता है।* हम कह सकते है कि पूरी सृष्टि का आधार ही तपस्या की शक्ति है। तपस्या और साधना का आश्रय लेकर ही हम अपनी शक्ति को पहचान सकते है और उससे कोई भी लाभ प्राप्त कर सकते है। तप जिसे दूसरे शब्दों में तपस्या भी कहा जाता है, मनुष्य के सबसे महान गुणों में से है। तपस्या से मनुष्य का शरीर वाणी और मन सभी पवित्र होते है।वैसा श्रेष्ठ मनुष्य तपस्वी कहलाता है। एक तपस्वी स्वत:ही मोक्ष का भागी हो जाता है। तप का शाब्दिक अर्थ है–तपना या तपान ।
समणी जी ने यह भी कहा कि श्रावक जीवन चैतन्य जागरण का अपूर्व अवसर है श्रावक जीवन चैतन्य जागरण का अपूर्व अवसर हैं । जप, तप, ध्यान , स्वाध्याय त्याग प्रत्याख्यान आदि का आलंबन लेकर चेतना का उध्वारोहण करे । यह भी कहा कि श्रीमती शर्मिला विशाल कोठारी ने मासक्षमण की तपस्या कर अपनी आत्मा को भावित किया है बिना मनोबल, आत्माबल और कायबल के तप के मार्ग में आगे बढ़ना असंभव सा लगता है । शर्मिला ने इंद्रिय संयम ,रसना संयम, इच्छा संयम के साथ तपोमार्ग पर कदम बढ़ाया है । इसके बाद समणी निर्वाण प्रज्ञा जी ने उपस्थित जनों से तपस्वी के तप अनुमोदना हेतु छोटे-छोटे संकल्पों को ग्रहण करने बात कही ।. पश्चात मालवा सभा के सदस्य रमणलाल कोटडिया और उपासक पंकज कोठारी ने अभिनंदन पत्र भेंट कर तपस्वी के तप की अनुमोदना की । तत्पश्चात मोनिका संघवी और मनीषा बोराणा ने गीत के माध्यम से भाभी के तप की महिमा का गुणगान किया । जय जय कार जय जय कार तपस्वी की जय जय कार के …जयकारों से गूंजा पूरा सभागार । मासक्षमण तपस्वी शर्मिला कोठारी ने परिवारजन की उपस्थिति में पारणा किया । कार्यक्रम का सफल संचालन उपासक पंकज कोठारी ने किया व आभार विशाल कोठारी ने माना ।

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