शिवसेना झाबुआ के जिला प्रभारी राजेश तिवारी द्वारा जिला कलेक्टर को संबोधित करते हुए जिला प्रशासन द्वारा भेदभाव पूर्ण कार्रवाई करने का आरोप ज्ञापन के माध्यम से लगाया गया। तिवारी द्वारा कहा गया,कि जिले में धड़ल्ले से अवैध दवाखाने संचालित किए जा रहे हैं। अवैध रूप से इन दवाखानों में मरीजों का इलाज करने का काम बंगाली डॉक्टरों के अलावा बीएएमएस एवं बीएचएमएस डिग्री धारी डॉक्टरों द्वारा भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। तिवारी ने बताया कि एलोपैथी दवाओं से मरीजों का उपचार करने का सर्टिफिकेट इन में से किसी के पास भी नहीं है,फिर भी इनके क्लीनिक में बड़ी मात्रा में एलोपैथी दवाओं का स्टॉक मौजूद है जिससे रोज सैकड़ों मरीजों का उपचार किया जाता है। कुंदनपुर में छापामार कार्रवाई को लेकर जिला प्रशासन पर आरोप लगाते हुए तिवारी द्वारा कहा गया कि हाल ही में जिला प्रशासन द्वारा चलाई गई छापामार कार्रवाई में केवल बंगाली डॉक्टरों को निशाना बनाया गया अन्य अवैध दवाखानों को जानबूझकर छोड़ दिया गया। शिवसेना द्वारा दिए गए ज्ञापन के अनुसार जिला प्रशासन को देने के नाम पर इन सभी अवैध द्वाखानों से पैसा इकट्ठा किया जाता है, एवं जो पैसा देने से मना करता है, उनकी सूची बनाकर जिला प्रशासन के अधिकारियों को सौंप दी जाती है।इन पर बाद में छापे मार करवाई की जाती है। यह दुखद है, क्योंकि जिस कोरोना काल का हवाला देते हुए, बीएचएमएस एवं बीएमएस डॉक्टरों को एलोपैथी दवाओं से इलाज करने की मौन स्वीकृति दी जा रही है, उसको कोरोना काल में इन चिकित्सकों द्वारा साधारण सलाइन बॉटल लगाने के भी 1000 से 1500 रुपए लिए गए; इनके द्वारा आपदा को अवसर में बदलकर मोटी कमाई करी गई। वहीं दूसरी ओर बंगाली डॉक्टर द्वारा मात्र 100 से ₹200 में गरीबों का इलाज किया गया एवं अपनी जान पर खेलकर करोना काल में अपनी सेवाएं दी गई। इसलिए यदि करोना काल को भी आधार बनाया जाए तब भी एकतरफा कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।
ज्ञापन में उल्लेख किया गया, कि एक और जहां इस प्रकार की कार्रवाई से अवैध इलाज करने वाले डॉक्टरों के हौसले बुलंद हैं, वहीं दूसरी ओर जिला प्रशासन की छवि, पूरे जिले में धूमिल हो रही है। ज्ञापन में अवैध तरीके से संचालित किए जा रहे हैं मेडिकल स्टोर का भी जिक्र किया गया एवं इन मेडिकल स्टोर की आड़ में चलाए जा रहे दवाखाना में भी बड़े स्तर पर विधि विरुद्ध गतिविधियां संचालित किए जाने का आरोप लगाया गया।