झाबुआ

अटैचमेंट के नाम पर मलाईदार कुर्सी पर बैठा है मनीष बाबू

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झाबुआ – जिले के स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों द्वारा विभाग को लूटने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है जो राशि जिले के गरीब जनता के स्वास्थ्य और दवाई खरीदी और अन्य सामग्री खरीदी या जनउपयोग में लगाई जानी चाहिए , वह इन कर्मचारियों और चटरगुल्लो द्वारा अपने निजी आर्थिक विकास में लगाई जा रही है और आराम का जीवन बसर कर रहे हैं और जिले की गरीब जनता स्वास्थ्य के नाम पर छली जा रही है इस विभाग में बाबुओं का बोलबाला है अटैचमेंट के नाम पर मलाईदार कुर्सी पर बैठा मनीष बाबू ,.विशेष ठेकेदारों के साथ मिलकर अपने आर्थिक विकास में लगा हुआ है ।

जानकारी अनुसार मार्च 2020 में संपूर्ण भारत में लाॅक डाउन लगा था रेल मार्ग, हवाई मार्ग, बस यात्रा, यहां तक निजी वाहन यात्रा भी बंद थी। मगर हास्यपद बात यह है कि झाबुआ जिले के स्वास्थ्य विभाग के मनीष बाबू और उनके 6 लेखापालों और चटरगुल्लो ने उस दौरान बस से यात्राएं की । यह यात्राएं विभागीय तौर पर की गई या निजी तौर पर इसकी जांच की जाना चाहिए । उस दौरान यह यात्राएं क्यों की गई ….यह विचारणीय हैं । लेकिन आश्चर्य की बात तो यह है कि उस दौरान बसो से बडा महंगा आवागमन किया गया ।और वो भी उन रास्तों पर आवागमन किया गया, जिन रास्तों पर बस रूट है ही नही । लेकिन यात्राएं तो की गई हैं लेकिन कागजों पर और भुगतान भी संभवतः हुए होगे। लेकिन यह बसे कौन सी थी और कहां से कहा तक चली … जांच का विषय है… । लेकिन इस तरह मनीष और इसकी टीम ने मिलकर लाखों के फर्जी टिकटो के बिल लगाकर भुगतान किए या निकाले हैं या नहीं…इसकी सूक्ष्मता से जांच की जाना चाहिए और जांच में सही पाए जाने पर नियम अनुसार कारवाई भी की जाना चाहिए । सुत्रों की मानें तो सबसे बडा गडबडझाला यह हैं कि मनीष बाबू और 6 लेखापालों एवं चटरगुल्ले ने मिलकर यात्राएं और बस टिकट के नाम पर लाखों का भ्रष्टाचार करने में कोई कसर नही छोडी। इसके अलावा मनीष ने विगत वर्ष अपने विशेष ठेकेदारों को बुलाकर भी कई तरह के कार्य या सामग्री खरीदी की है जिनके बिल भुगतान के लिए तो आए हैं लेकिन वह सामग्री स्टोर तक पहुंची या नहीं….. यह जांच का विषय है विगत 3 दिन पूर्व ही मनीष ने अपने एक और खास ठेकेदार को बुलाकर पुन: सामग्री खरीदी के लिए योजना बनाई है और हमारे सूत्रों अनुसार मनीष ने इस ठेकेदार से पांच प्रतिशत अलग से कमीशन लेने के बात भी कही है । इसके अलावा विभाग का कोई भी बिल भुगतान के लिए इस बाबू की टेबल पर अवश्य आता है और जब तक इस बाबू की लक्ष्मी यंत्रो से पूजा नहीं की जाती है तब तक उस बिल का भुगतान होना संभव नहीं है । यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अटैचमेंट के नाम पर मलाईदार कुर्सी पर बैठा है मनीष बाबू और इसकी आड़ में हजारों लाखों के वारे न्यारे करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रहा है ।

मनीष का आर्थिक विकास अगले अंक में……

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