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नेहरू युवा केन्द्र, कागजों में युवा विकास, बजट ठिकाने लगा रहे मंडल

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नेहरू युवा केन्द्रों के माध्यम से युवा विकास को लेकर भले ही केन्द्र ने मध्यप्रदेश की झोली सर्वाधिक भरी, लेकिन यहां बजट खानापूर्ति में ही ठिकाने लग रहा है।

रतलाम. नेहरू युवा केन्द्रों के माध्यम से युवा विकास को लेकर भले ही केन्द्र ने मध्यप्रदेश की झोली सर्वाधिक भरी, लेकिन यहां बजट खानापूर्ति में ही ठिकाने लग रहा है। निष्क्रिय युवा मंडलों पर कागजी दांव खेला जा रहा है। भोपाल राज्य मुख्यालय को बजट आवंटित हो गया, लेकिन जिलों तक पहुंचा ही नहीं। कई जिलों में बजट के अभाव में गतिविधियां नहीं होने का तर्क दे रहे हैं। गड़बड़झाला यह है कि अन्य संस्थाओं की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में केन्द्र की भागीदारी बता दी जाती है। समन्वयकों को मानदेय मिल रहा है, लेकिन स्वयंसेवकों के हाथ खाली होने से कार्यक्रमों में खानापूर्ति से हो रही है।

       उत्तरप्रदेश के बाद केन्द्र ने मध्यप्रदेश को सर्वाधिक बजट नेहरू युवा केन्द्रों के लिए आवंटित किया है।

       2020-21 में 2,063 लाख आवंटित हुए। 2021-22 में 2,812 लाख मिले, 2,549 लाख व्यय किए।

        गांवों में 15-35 वर्ष के युवाओं के मंडलों का गठन कर इनसे युवा शक्ति का उपयोग सामाजिक व अन्य कामों में करना मुख्य लक्ष्य है। प्रतिमाह पांच हजार रुपए के मानदेय पर युवा मंडलों से समन्वय के लिए हर ब्लॉक में समन्वयक नियुक्त किए जाते हैं। रतलाम नेहरू युवा केन्द्र संगठन के जिला युवा अधिकारी सौरभ श्रीवास्तव कहते हैं, नए सिरे से युवा मंडल गठित कर रहे हैं। पहले यहां 500 मंडल थे, ज्यादातर निष्क्रिय हैं।
चार जिलों की स्थिति से सामने आई हकीकतशिवपुरी: जिले में 800 युवा मंडल हैं। महज 10 युवा मंडल सक्रिय हैं।

मुरैना: अन्य सरकारी विभागों के आयोजनों में स्वयं को शामिल दिखा औपचारिकता की जा रही।

भिण्ड: जिले में करीब 150 मंडल हैं। जिनमें ज्यादातर बंद जैसे हैं।

 

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