RATLAM

*अव्यस्क बालिका का लैंगिक शोषण करने वाले को 20 वर्ष की कड़ी सजा*   _मुख्य गवाहों के मुकर जाने और पीड़िता के चुप्पी साधे जाने के बाद भी डीएनए मैच होने और ठोस सबूतों से आरोपी पंहुचा सलाखों के पिछे_

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रतलाम ~~अव्यस्क बालिका का लेंगिक शोषण करने वाले को न्यायाधीश सुनील कुमार विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट आलोट जिला रतलाम द्वारा अपना फैसला सुनाते हुए अभियुक्त लाला उर्फ नाहरू उम्र 35 वर्ष निवासी ताल जिला रतलाम को धारा 376 ए,बी,भादवि में 20 वर्ष के कठोर कारावास व 5 हजार रुपए के अर्थ दण्ड की सजा सुनाई।
                प्रकरण के पैरवी कर्ता विशेष लोक अभियोजक  हैमेन्द्र कुमार गोयल ने बताया कि 10.फरवरी. 2019 को 4 वर्षीय अव्यस्क बालिका की मां ने ताल के थाने पर पंहुच कर बताया कि मेरे पति से झगडा होने से मैं अपने पीहर बच्चों के साथ रह रही हुं।इसी बीच मैंने दुसरी शादी कर ली और अपने पति के साथ कुएं पर बनी झोपडी में रह रही थी।जहां पर लाला उर्फ नाहरू पिता बाबु खां मंसुरी आया और 4 वर्षीय बालिका को गोदी में उठाया तो वह रोने लगी इस पर लाला बोला की चीज दिलाता हुं,ऐसा कहकर वह बालिका को ले गया और 20 मिनट बाद वापस आया तब बालिका रोने लगी और अपने प्राइवेट पार्ट की और इशारा करते हुए हाथ रखकर बोली की दु:ख रहा हैं।तब मैंने देखा की खुन निकल रहा था।उसके बाद मैंने लाला उर्फ नाहरू से पूछताछ की तब पता चला की उसने उसके साथ गलत काम किया हैं।मामले में लाला उर्फ नाहरू ने रुपए देने और बालिका का उपचार कराने का लालच दिया था।
                    इस घटना के बारे में मैंने अपने पति और मां को बताया।उसके बाद मैं अपनी मां के साथ थाने पर रिपोर्ट लिखवाने आई।फरियादी द्वारा बताई गई घटना पर ताल थाना पर अभियुक्त के विरूद्ध दुष्कर्म की धाराओं में प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया।विवेचना के चलते पीड़िता का मेडिकल कराया गया व साक्षियों के कथन लिए गए। और 10.फरवरी.2019 को आरोपी लाला उर्फ नाहरू को गिरफ्तार किया गया तथा उसका भी मेडिकल एवं डीएनए कराया जाकर डीएनए रिपोर्ट प्रकरण में संलग्न की गई।
                   मामले में पुलिस ने आवश्यक अनुसंधान उपरांत 14.मार्च.2019 को अभियोग पत्र धारा 376 ए,बी, भादवि व 5/6 पॉक्सोंर एक्ट के अंतर्गत अभियुक्त लाला उर्फ नाहरू के विरूद्ध विशेष न्यायालय पॉक्सो एक्ट में प्रस्तुत किया गया।
न्यायालय में विचारण के दौरान महत्वपूर्ण गवाहों और बालिका के माता-पिता द्वारा घटना का समर्थन नहीं किया गया तथा घटना के संबंध में बालिका भी मौन रही।इस प्रकार महत्वपूर्ण गवाहों द्वारा  इस ध्रणित कार्य का समर्थन नहीं किया गया।
                 परंतु अभियोजन द्वारा वैज्ञानिक मेडिकल साक्ष्य व डीएनए रिपोर्ट तथा परिस्थिति जन्य साक्ष्य एवं लिखित व मौखिक बहस कर अपराध को सिद्ध करते हुए आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा सुनाने की न्यायालय से मांग की।
मामले में विशेष न्यायालय ने फैसले में अभियोजन की और से प्रस्तुत साक्ष्य को प्रमाणित मानते हुए अभियुक्त लाला उर्फ नाहरू को दोषसिद्ध करते हुए सजा सुनाई। मामले में शासन की और से पैरवी विशेष लोक अभियोजक हैमेन्द्र कुमार गोयल द्वारा कि गई।

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