झाबुआ ——- अंकुरम इंटरनेशनल स्कूल में 17 सितंबर 2022 शनिवार को सहज योग का आयोजन किया गया। जिसमें अतिथि सहज योग के जिला संयोजक योगेंद्र बैरागी व हिमांशु शुक्ला उपस्थित रहे आध्यात्मिक कार्यों को आगे बढ़ाते हुए इसको सार्वजनिक करने के लिए साक्षात आदिशक्ति का अवतरण निर्मला श्रीवास्तव रूप में हुआ । इनका जन्म मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में हुआ था ।
सहज योग का हिंदी में अर्थ है कि सह- आपके साथ और ज- जन्मा हुआ l योग से तात्पर्य मिलन या जुड़ना । अतः वह तरीका जिससे मनुष्य का संबंध परमात्मा से हो सकता है सहज योग कहलाता है । हिमांशु शुक्ला जी के द्वारा बताया गया कि मानव शरीर में जन्म से ही एक सूक्ष्म तंत्र अदृश्य रूप में हमारे अंदर होता है जिसे आध्यात्मिक भाषा में सात चक्र और इडा, पिंगला ,सुषुम्ना गाड़ियों के नाम से जाना जाता है । इसके साथ परमात्मा की एक शक्ति कुंडलिनी नाम से मानव शरीर में स्थित होता है यह कुंडलिनी शक्ति बच्चा जब मां के गर्भ में होता है और जब भ्रूण 2 से ढाई महीने का होता है तब यह शिशु के तालू भाग में प्रवेश करती है और मस्तिष्क में अपने प्रभाव को सक्रिय करते हुए रीड की हड्डी में मेरुरज्जु से नीचे उतरती है जिससे हृदय में धड़कन शुरू हो जाती है इस तरह यह कार्य परमात्मा का एक जीवंत कार्य होता है जिसे डॉक्टर बच्चे में एनर्जी आना बोलते हैं । सहज योग को हिंदू धर्म में परम चैतन्य, इस्लाम में रूहानी, सिख में अलख निरंजन, बाइबिल में कूल ब्रीज़ ऑफ द होलीघोस्ट कहा जाता है । इस तरह सभी धर्म ग्रंथों में वर्णित आत्म साक्षात्कार को सहज योग से प्राप्त किया जा सकता है । योगेंद्र बैरागी जी के द्वारा बताया गया कि दुर्लभ आत्मसाक्षात्कार को सार्वजनिक और आसान बना कर संसार में प्रदान किया जिसका आज विश्व के 170 देशों के सभी धर्मों के लोग लाभ ले रहे हैं तथा यह पूर्णतः निःशुल्क है इस योग से मनुष्य में शारीरिक मानसिक भौतिक लाभ तो होते ही हैं लेकिन सबसे बड़ा लाभ है आध्यात्मिक उन्नति और ईश्वर से एकाकारिता । सहज योग से बहुत से लाभ होते हैं जैसे बुरी आदतों से छुटकारा ,संचार कौशल, एकाग्रता,तनाव से मुक्ति, शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक रूप से मजबूती ।
सहज योग करने से ना केवल बीमारियों को दूर रखा जा सकता है बल्कि मानसिक तनाव से भी मुक्ति मिल सकती हैl विद्यार्थियों के लिए तो योग अमृत के समान है। तथा उन्होंने सहज योग के नाड़ी जिसमें चंद्र नाड़ी , सूर्य नाड़ी व मध्य नाड़ी के बारे में विस्तार से समझाया व सहज योग के चक्र जिसमें मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनहद चक्र, विशुद्धि चक्र ,आज्ञा चक्र वह सहस्त्रार चक्र के बारे में विस्तार से बताया । योग के समापन में प्राचार्य महोदय व निर्देशक महोदय जी के द्वारा अतिथियों को हस्तनिर्मित फूल देकर धन्यवाद ज्ञापित किया गया ।