मेले में दुकानदारों के लिए निगम प्लाट आवंटित करती है। जो मेले में व्यापार नहीं करते हैं वे भी प्लाट ले लेते हैं। उन्होंने यह धंधा बीते कई सालों से अपना रखा है। उन्हें निगम की तरफ से तय दर पर ही निगम को भुगतान करना होता है किंतु वे इन्हीं प्लाटों को बाहर से आने वाले व्यापारियों तीन से चार गुना ज्यादा दाम पर मेले के लिए बेच देते हैं। ऐसा ही साइकिल स्टैंड और झूला मैदान के प्लाटों को लेकर भी होता आया है।
ऐसे लगा सकते अंकुश
मेले में दुकानें पूरी तरह लगने के बाद निगम के अधिकारी और जनप्रतिनिधि मेले की दुकानों का सर्वे करे और जो वर्तमान में दुकान लगाकर व्यापार कर रहा है उसका नाम-पता नोट करके उनके नाम से ही इसका आवंटन कर सकते हैं। यदि प्लाट उसके नाम नहीं हो तो जिसके नाम आवंटित हुआ उस पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए तो काफी हद तक दलालों की गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकता है।
दलालों पर रोक लगाने के प्रयास
मेले में बाहर से आने वाले व्यापारियों और छोटे दुकानदारों को सहुलियत देने के लिए प्लाट आवंटित किए जाते हैं। कुछ दलाल सक्रिय होते हैं जिन पर अंकुश लगाने के लिए हमने पार्टी के कुछ जिम्मेदारों को भी राजस्व समिति के साथ काम करने के लिए सुझाव दिया है। दलालों पर रोक लगाना प्राथमिकता है।
प्रहलाद पटेल, महापौर, रतलाम
हमारी कोशिश दलालों पर रोक लगे
हमारी कोशिश है कि दलालों पर रोक लगे क्योंकि बाहर से जो व्यापारी यहां व्यापार करने आता है वह उम्मीद से आता है। उन्हें नुकसान हो तो वह दोबारा नहीं आएगा। हमारी कोशिश है कि दलालों पर रोक लगे। महापौर के आने के बाद इस पर मंथन किया जाएगा।
दिलीप गांधी, प्रभारी राजस्व समिति नगर निगम, रतलाम