झाबुआ –जिले मे पिटोल बैरियर पर ओवरलोडिंग के नाम पर दलाली प्रथा जोरों पर है कई बार इन दलालों द्वारा जांच के नाम पर वाहन चालकों से अवैध उगाही की जाती है । कुछ ऐसा ही झाबुआ जिले के पिटोल बैरियर पर सुनने को मिल रहा है जहां पर शेखावत द्वारा ट्रक चालकों से इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटा में सेटिंग कर ओवरलोडिंग के नाम पर अवैध उगाही की जा रही है और शेखावत रोजाना हजारों / लाखों के वारे न्यारे कर अपनी जेबें गर्म कर रहा है और शासन को लाखों का चूना लगा रहा है।
झाबुआ से 15 किलोमीटर दूर मध्य प्रदेश और गुजरात की बॉर्डर पर पिटोल में आरटीओ विभाग का बेरियर हैं । इस बैरियर से होकर झाबुआ जिले के विभिन्न गांवों से वाहनों का गुजरात की ओर आवागमन होता है । लेकिन इस बेरियर से होकर गुजरने वाले विभिन्न ओवरलोड वाहनों को शेखावत से संपर्क करने के बाद ही अनुमति प्राप्त होती हैं । चूंकि पिटोल बैरियर पर इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटा और ऑनलाइन चेकिंग की सुविधा होने से वाहनों को नियम अनुसार टैक्स और चालानी कार्रवाई पूर्ण करना होती है । इस पूरे सिस्टम से वाहनों को कैसे निकालना यह शेखावत के बिना संभव नहीं हैं । यदि वाहन मे क्षमता से अधिक माल भरा हो तो शेखावत की रजामंदी के बगैर वह पिटोल बैरियर से नहीं गुजर सकता । यहां शेखावत के राज में इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटा में सेटिंग कर अंडरलोड वाहन को ओवरलोड करना और ओवरलोड वाहन को अंडरलोड करने की प्रक्रिया चल रही है । एंट्री देने वाले वाहन को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है । यदि कुछ वाहन चालकों के पास सामग्री का बिल नहीं है तो शेखावत दारा जीएसटी या अन्य टैक्स के नाम पर हजारों / लाखों की अवैध उगाही करता है और अपनी जेबें गर्म कर रहा है । जबकि नियम अनुसार यदि वाहन चालक के पास सामग्री का बिल नहीं है तो नियमानुसार टैक्स भरवाया जाना चाहिए और पेनल्टी लगाई जाना चाहिए । जिससे शासन को राजस्व को प्राप्त हो । लेकिन शेखावत निजी राजस्व प्राप्ति में लगा है । यदि किसी वाहन चालक के पास सामग्री का बिल तो है लेकिन यदि वाहन ओवरलोड है या क्षमता से अधिक माल भरा हुआ है । तो शेखावत द्वारा नियम कायदों की एक लंबी लिस्ट बताई जाती है और उसके बाद वाहन चालक को इस बेरियर से निकलने के लिए एक निश्चित राशि देना होती है राशि नहीं देने पर वाहन घंटो या दिनों तक इस बैरियर पर खड़ा रहता है । इसके अलावा यदि कोई वाहन अन्य प्रदेश से आ रहा हूं तथा उक्त वाहन चालक के पास सामग्री का बिल नहीं है और वाहन ओवरलोड है तो इस दलाल के लिए मानो सोने पर सुहागा हो गया ….तब तो शेखावत द्वारा उक्त वाहन चालक से मनमानी राशि वसूली जाती है । अन्यथा वाहन को शासकीय नियम अनुसार कार्रवाई के बहाने राजसात करने की बात भी कही जाती है । प्रश्न यह है कि आखिर पिटोल बेरियर पर शेखावत को किस का संरक्षण प्राप्त है या फिर शेखावत किस आधार पर वाहन चालकों से अवैध उगाही ओवर लोडिंग और अन्य जांच के नाम पर कर रहा है है । क्या शासन-प्रशासन और परिवहन विभाग इस ओर ध्यान देकर शेखावत को लेकर कोई कार्यवाही करेगा …या फिर यह शेखावत यू ही मनमानी कर और लोडिंग और जांच के नाम पर अवैध उगाही करता रहेगा…..?