जीव दया अभियान की बनाई दवाई लम्पी वायरस में कारगर ===================== सदस्यों ने की गौ माता की सेवाजीव दया अभियान ने बताई लम्पी वायरस से बचाव की विधि
थांदला (वत्सल आचार्य)जगत में मूक पशुओं पर आई लम्पी वायरस रूपी विकराल महामारी के लिए अनेक संस्थाओं ने आगे आकर पशुओं को बचाने के प्रयास किये है वही जीव दया अभियान से जुड़े ज़िलें के जीव दया प्रेमी बंटी मिश्रा, पवन नाहर, आत्माराम शर्मा, भगवती लाल पाटीदार, विजय पाटीदार, जीवन मेड़ा, राज मालवी, मनोज बारोट, सुरेश गिरी, प्रेम प्रजापत, विजय वसुनिया आदि ने अथक प्रयासों से लम्पी वायरस से बचाव की ऐसी औषधि तैयार की है जो पशुओं को न केवल लम्पी वायरस से निजात दिला रही है अपितु उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बड़ा रही है। शुरुआती समय में अंचल के ग्राम रायपुरिया से इसकी शुरुआत की गई देखते ही देखते पूरे जिलें के सैकड़ो ग्रामीणों ने इसका उपयोग शुरू करते हुए पशु धन बचाने का काम किया है। विगत 45 दिनों से आसपास के 300 किमी तक के ग्रामीण पशुपालक दवाई लेने रायपुरिया आने लगे जिसे देखते हुए समिति के मुख्य संयोजकों ने इसका फार्मूला सार्वजनिक करते हुए अन्य समाजसेवी संस्थाओं व जीव दया अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं से आग्रह किया है कि आप भी अपने क्षेत्र में कोई भी रोग ग्रसित या लम्पी वायरस पीड़ित पशु देखें तो उन्हें सूचित करें या इस दवाई को बनाकर लोगों को दे जिससे पशुओं को बचाया जा सके। जीव दया अभियान के संयोजक बंटी मिश्रा व पवन नाहर ने बताया कि आज जिलें की पेटलावद थांदला झाबुआ तहसील के अनेक स्थानों पर इस औषधि को बनाया जा रहा है जिससे पशुओं में लम्पी वायरस के फैलने से रोक भी लगी है। ऐसे बनाई जाती है यह औषधि जानकारी देते हुए जीव दया प्रेमी विजय पाटीदार, जीवन मेड़ा ने बताया कि 20 लीटर पानी के तबेले में 5 किलो फिटकरी, नीम की पत्ति, सनाई की पत्ती, हल्दी, बिलपत्र, पीपलामूल, तुलसी व अन्य 3 प्रकार का आयुर्वेदिक पानी मिलाकर 3 घण्टे माध्यम आंच में उकलाना व जब पानी एक तिहाई रह जाये तब इस औषधि में डिटोल मिलाकर पशुओं पर तीन बार छिड़काव करने से पशुओं के घाव समाप्त हो जाते है व बीमारी समूल नष्ट हो जाती है। थांदला ब्लड डोमेशन टीम ने दवाई के साथ पशुओं को पौष्टिक आहार देने के लिए आयुर्वेदिक लड्डू तैयार किये है जिसकी गर्मी से पशुओं के अंदर की पीड़ा शांत हो जाती है व वे पूर्णतया आरोग्य बन जाते है। जीव दया प्रेमी पवन नाहर का कहना है कि पशुओं की आरोग्यता समस्त मानव जाति के लिए आरोग्यता का आधार है इसलिए उन्हें महामारी से बचाना शासन प्रशासन का ही काम नही है बल्कि देश के हर नागरिक का कर्तव्य भी है।