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श्रमण संस्कृति में अधिकांश वीतरागी श्रमण अपना जन्मदिन नहीं मनाते क्योंकि जन्मदिन मनाना ग्रहस्थों का काम है

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इसलिए श्रमण अपना दीक्षा दिवस स्मरण रखते हैं और श्रावक और श्रमण मिलकर उनका दीक्षा दिवस मनाते हैं।
इंदौर नगर की दिगंबर जैन समाज बहुत सौभाग्यशाली है कि उसे नगर में विराजमान 16 भाषाओं के ज्ञाता श्रुत संवेगी मुनि श्री आदित्य सागर जी महाराज एवं इंदौर नगर गौरव बहु भाषाविद मुनि श्री अप्रमित सागर जी महाराज का दीक्षा दिवस स्मृति नगर में मुनि द्वय की सन्निधि में ही समारोहपूर्वक आज 8 नवंबर को मनाने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। इसअवसर पर संघस्थ*
मुनि श्री सहज सागर जी महाराज का भी सानिध्य समारोह को प्राप्त होगा।
आप श्रमण संस्कृति के श्रेष्ठ चर्या शिरोमणि के रूप में बहु चर्चित संत आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के सुयोग्य शिष्य
हैंआपके व्यक्तित्व एवं कृतित्व में अपने दीक्षा गुरु *आचार्य श्री विशुद्ध सागर जी महाराज *की छवि भी दिखाई देती है।* आपने हाल ही में इंदौर के समोसरण मंदिर में न केवल अपना ऐतिहासिक वर्षा योग संपन्न किया बल्कि नगर के विभिन्न क्षेत्रों में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा एवं विधान महोत्सव के आयोजनों को अपना सानिध्य प्रदान कर धर्म की महती प्रभावना भी की है। आपकी साधना के सुफल से
दिगंबर जैन पंचायती मंदिर छावनी कचनेर तीर्थ स्वरूप अतिशय क्षेत्र के रूप में चर्चित हुआ, और अब इसी माह आपकी सन्निधि में तीन पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव भी संपन्न होना प्रस्तावित है जिसकी तैयारियां द्रुतगति से जारी हैं। प्रस्तावित पंचकल्याणक में समोसरण मंदिर में विराजमान होने वाली विश्व की सबसे बड़ी 51 इंच की स्फटिक मणि की शांतिनाथ भगवान की प्रतिमा का पंच कल्याणक भी सम्मिलित है
हम आज मुनि द्वय के दीक्षा दिवस पर इंदौर नगर की समग्र जैन समाज कीऔर से मुनि द्वय को नमोस्तु निवेदित करते हुए यह भावना भाते हैं कि आज आप साधु परमेष्ठी के पद पर
विराजमान है, भविष्य में आप और भी उच्च पद पर आसीन हों और हमें आपका दीक्षा दिवस दीक्षा कल्याणक के रूप में मनाने का भी सौभाग्य प्राप्त हो। आपका रतनत्रय सदैव कुशल मंगल रहे और आपकी कीर्ति चक्रवृद्धि ब्याज की गति से निरंतर जो द्विगुणित होती रहे इसी पुनीत भावना के साथ नमोस्तु ,नमोस्तु

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