झाबुआ

अहिंसा, संयम और तप की आराधना ही सच्चा धर्म है :- समणी डा. निर्वाण प्रज्ञा जी

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ज्ञानशाला की प्रशिक्षीका हंसा गादीया और दीपा गादीया का सम्मान करते हुए महिला मंडल सचिव शर्मिला कोठारी

झाबुआ -महातपस्वी ,महायशस्वी युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या समणी निर्वाण प्रज्ञा जी और समणी मध्यस्थ प्रज्ञा जी का चातुर्मास प्रवास झाबुआ में पूर्ण होने पर विहार के पूर्व मंगलवार शाम को विदाई कार्यक्रम अंतर्गत मंगल भावना कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय लक्ष्मीबाई मार्ग स्थित तेरापंथ सभा भवन पर किया गया । बुधवार सुबह समणी वृंद ने सामूहिक समाजजन से खमत खामणा करते हुए सारंगी की ओर प्रस्थान किया ।

मंगलवार रात्रि 8:00 बजे स्थानीय तेरापंथ भवन पर विदाई कार्यक्रम अंतर्गत प्रणेत गादीया ने मंगलाचरण की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ । पश्चात महिला मंडल की सदस्यों द्वारा गीतिका की प्रस्तुति दी । महिला मंडल सचिव शर्मिला कोठारी ने बताया कि समणी वृंद ने अपने चातुर्मास काल के दौरान नैतिकता के साथ जीवन जीने की बात बताई तथा छोटे-छोटे संकल्प को ग्रहण करने की बात भी बताई । तत्पश्चात ज्ञानशाला के नन्हे-मुन्ने बच्चों ने एक के बाद एक अपनी प्रस्तुतियां देकर सभी का मन मोह लिया । समणी मध्यस्थ प्रज्ञा जी ने तेरापंथ समाज के सभी सदस्यों को ध्यान में रखते हुए श्रावक चालीसा का निर्माण और संगान किया । जिसमें समाज के बच्चे से लेकर वृद्धजन तक को शामिल करते हुए , उनके जीवन का वर्णन करते हुए उसमें सुधार की बात बताई । यह चालीसा बहुत ही प्रेरणादायक था । तत्पश्चात समणी निर्वाण प्रज्ञा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अध्यात्म जगत के महा सूर्य तीर्थंकर प्रभु महावीर स्वामी का यह जिनशासन है ।सभी जैन धर्मावलंबी वीतराग के इस सुपथ पर चलते हुए अध्यात्म का पूर्ण आलोक प्राप्त करें । प्रभु ने धर्म का सुंदर रूप प्रदान किया हैं । धर्म क्या है अहिंसा , संयम और तप की आराधना ही सच्चा धर्म है । जो आत्मा को परमात्मा की भूमिका तक पहुंचाता है । झाबुआ शहर का परम सौभाग्य है जहां तीन चातुर्मास संपन्न होने जा रहे हैं । चातुर्मास काल में संपूर्ण जैन समाज में जप, तप, स्वाध्याय व प्रवचन रूपी पवित्र गंगा प्रवाह मान रही । तेरापंथ धर्म संघ एक गुरु के अनुशासन में मर्यादा, समर्पण और अनुशासन के साथ आध्यात्मिक विकास करें । उन्होंने समाज मे प्रेम व सौहार्द के साथ आगे बढ़ने की बात कही । तत्पश्चात तेरापंथ समाज के वरिष्ठ श्रावक ताराचंद गादीया ने बताया कि समणी निर्वाण प्रज्ञा जी व समणी मध्यस्थ प्रज्ञा जी ने अपने प्रबल पुरुषार्थ व अद्भुत प्रवचन शैली से मात्र अध्यात्म की ही नहीं जीवनशैली कैसे हो इसके बारे में विस्तृत रूप से बताया । उन्होंने यह भी बताया कि आपके चातुर्मास कॉल के दौरान समाज को एक नई ऊर्जा प्राप्त हुई है तथा समाज जन ने बढ़ चढ़कर त्याग तपस्या की और अणुव्रतो के छोटे-छोटे संकल्पों को ग्रहण कर अपने जीवन को एक नई दिशा दी । तत्पश्चात तेरापंथ समाज के वरिष्ठ श्रावक मगनलाल गादीया ने अपने अनुभव साझा करते हुए तेरापंथ संघ का गौरवशाली इतिहास का वर्णन किया । तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष प्रमोद कोठारी ने भी समणी वृंद के आशीर्वाद और बताएं मार्गो से अपने जीवन में एक नया मोड आने पर अनुभव साझा किए । तेरापंथ समाज अध्यक्ष कैलाश श्रीमाल ने भी कहा कि झाबुआ समाज का प्रथम चातुर्मास ऐतिहासिक और सफलतम रहा । । युवक परिषद सचिव वैभव कोठारी ने भी चातुर्मास काल के दौरान अपने अनुभव साझा । तेयुप से पीयूष गादीया ने भी कविता के माध्यम से समणी वृंद की प्रवचन शैली, तत्वों के बारे में विस्तार रूप से जानकारी प्रदान की , का वर्णन करते हुए इस प्रथम चातुर्मास को सफलतम चतुर्मास बताया । अंत में उपासक विशाल कोठारी ने भी शब्दों के माध्यम से अपनी भावनाएं व्यक्त की । तेरापंथ सभा सचिव दीपक चौधरी ने भी समणी वृंद के चातुर्मास काल के दौरान त्याग , तपस्या और कार्यक्रमों का वर्णन करते हुए इसे चातुर्मास को ऐतिहासिक चातुर्मास की संज्ञा दी । सचिव ने यह भी बताया कि समणी वृंद मृग सुदी एकम को अपना सफल चातुर्मास संपन्न कर सारंगी, करवड, रायपुरिया, बामनिया आदि क्षेत्रों को स्पर्श करेगी और अध्यात्म की पवित्र गंगा को जनता तक पहुंचाएगी । इसके बाद तेरापंथ सभा झाबुआ ने ज्ञानशाला की प्रशिक्षिका हंसा गादीया व दीपा गादीया को सफल प्रशिक्षण. और उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मान भी किया । कार्यक्रम का सफल संचालन महिला मंडल सदस्य मेघा कांसवा ने किया तथा आभार दीपक चौधरी ने माना ।

बुधवार सुबह करीब 8:00 बजे समणी डॉक्टर निर्वाण प्रज्ञा जी व मध्यस्थ प्रज्ञा जी ने तेरापंथ सभा भवन पर संपूर्ण समाजजन की उपस्थिति में सामूहिक रूप से खमत खामणा का कार्यक्रम भी हुआ । तत्पश्चात संपूर्ण तेरापंथ समाज के सदस्य व समणी वृंद तेरापंथ भवन से पैदल विहार करते हुए बस स्टैंड की ओर प्रस्थान किया । जहां से वे सारंगी की ओर रवाना हुई ।

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